वास्तु दोष दो तरह के होते हैं। पहली श्रेणी में वे वास्तु दोष आते हैं जिनका प्रभाव तो आपके जीवन पर अवश्य होता है लेकिन यह प्रभाव बहुत धीमा या आप कह सकते हैं कि बहुत कम होता है। इतना कम की आपके भाग्य की प्रबलता इन दोषों के परिणामों को दबा देती है। लेकिन कुछ वास्तु दोष ऐसे भी होते हैं और यदि वे आपके घर, दुकान, ऑफिस या फैक्टरी में है तो उनका निवारण बहुत आवश्यक है। क्योंकि जब तक आप उनको दूर नहीं करेंगे तब तक जीवन में परेशानियों से राहत मिल पाना संभव नहीं होगा। यदि ये दोष हैं तो आप कितने भी वैकल्पिक उपाय और टोटके आजमा लें, सारे टांय-टांय फिस हो जायेंगे।
एक दो दिन तो आपको लगेगा कि कुछ असर हो रहा है लेकिन बाद में आप अनुभव करेंगे कि स्थिति ज्यों की त्यों है। क्योंकि वास्तु पंच तत्त्वों पर आधारित है। ओैर जो गंभीर वास्तु दोष हैं उनको दूर करना ही एक मात्र उपाय है। लेकिन यह भी आवश्यक है किसी भी तोड़-फोड़ से पहले वास्तु दोषों के होने या नहीं होने के बारे में निश्चित धारण बना लेनी जरूरी है। एक बात ध्यान में रखें कि यदि आप वास्तु के पंच तत्त्वों को अपने निश्चित स्थान पर स्थापित कर देंगे तो दूसरे कोई वास्तु दोष आपको यदि आप इन तत्त्वों को अपने-अपने स्थान पर स्थापित कर दें तो समझ लें कि आपने अपने घर को पूरी तरह से वास्तु के अनुसार बना लिया है। इसके बाद आपका परिसर निश्चित तौर पर पूर्ण क्षमता से उन्नति और समृद्धि देने लगता है। घर में नित-नये मांगलिक कार्य संपन्न होंगे।
वास्तु को पहले समझें
किसी भी परिसर में समस्या और गरीबी गलत वास्तु के कारण उत्पन्न होती हैं। हालाँकि ज्यादा सोचने-विचारने की जरूरत नहीं है। आप को केवल वास्तु के साधारण से सिद्धांतों को लागू करने की जरूरत है। ऐसा करने के बाद लगभग छः माह के अन्तर्गत समस्याओं से मुक्ति मिलना आरंभ हो जाता है। मैं यहां जिन वास्तु दोषों के बारे में बता रहा हूं, वे सब पूरी तरह से प्रकृति के पंच तत्त्वों को अपने निश्चित स्थान पर होने को परिभाषित करते हैं। इसलिए इन दोषों को समझें और उसके अनुसार व्यवहार करें तो आपको किसी भी वास्तु शास्त्री से सम्पर्क करने की आवश्यकता नहीं है। मैं यहाँ कुछ अचूक सूत्र बता रहा हूँ जिनके आधार पर आप स्वयं निर्णय ले सकते हैं कि आपको क्या करना है।
क्या करना चाहिए?
- अग्नि कोण के अलावा कहीं आग नहीं जलनी चाहिए।
- ईशान कोण के अलावा किसी दूसरे स्थान पर भूमिगत (अंडर ग्राउंड) जल नहीं होना चाहिए।
- वायव्य से ईशान कोण और ईशान कोण से अग्नि कोण तक टायलेट, सीढ़ियाँ, कबाड़खाना, स्टोर या ऊँचा निर्माण नहीं होना चाहिए।
- कोई भी कक्ष ऐसा नहीं होना चाहिए जिसमें दक्षिण और पश्चिम दोनों दिशाओं में द्वार हो।
- काले रंग का फर्श और काले रंग की दीवारें नहीं होनी चाहिए।
- घर में ईशान कोण के अलावा कहीं भी तलघर (बेसमेन्ट) नहीं होना चाहिए।
- भूखंड किसी भी दिशा मुखी हो लेकिन कवर्ड एरिया से उत्तर या पूर्व दिशा में पैसेज जरूर होना चाहिए।
ज्योतिर्विद् सत्यनारायण जांगिड़
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