रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि काम के दौरान मरने वाले श्रमिकों के शवों को उनके घर वापस भेजने के लिए सरकार भुगतान करेगी। उन्होंने ये जानकारी ‘एक्स’ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की है। इससे पहले, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन के श्रमिकों के शवों की देखभाल और परिवहन के नियमों को बढ़ाकर उन श्रमिकों को भी शामिल कर लिया है जो केवल थोड़े समय के लिए कार्यरत थे।
खर्च होने वाली राशि भी बढ़ा दी गई
सिंह ने अपने पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार सभी श्रमिकों के कल्याण के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए रक्षा मंत्रालय में यह निर्णय लिया गया है कि यदि बीआरओ परियोजनाओं के निर्माण कार्य के दौरान अल्पकालिक आधार पर काम करने वाले श्रमिकों की किसी भी कारण से मृत्यु हो जाती है, तो उनके शवों को सुरक्षित रूप से उनके घरों तक पहुंचाया जाएगा। सिंह ने कहा कि श्रमिकों के शवों को घर तक ले जाने में आने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और उनके अंतिम संस्कार पर खर्च होने वाली राशि भी बढ़ा दी गई है।
सीपीएल इस सुविधा से वंचित थे
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि देश की सीमा पर और उससे लगे सुदूरवर्ती इलाकों में कड़ी मेहनत करके सड़क बनाने वालों का महत्व किसी सैनिक से कम नहीं है। इसलिए यह फैसला लिया गया है।’’ रक्षा मंत्री ने अल्पकालिक वेतनभोगी श्रमिकों (सीपीएल) के अंतिम संस्कार के खर्च को 1,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये करने को भी मंजूरी दी है। अभी तक, सरकारी खर्च पर शव के संरक्षण और इसे मूल स्थान तक पहुंचाने के लिए परिवहन की सुविधा केवल जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स (जीआरईएफ) के कर्मियों के लिए उपलब्ध थी। समान परिस्थितियों में काम करने वाले सीपीएल इस सुविधा से वंचित थे।