ऋषिकेश एम्स के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में पहुंची देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

ऋषिकेश एम्स के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में पहुंची देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

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President News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व-स्तर की शिक्षा और सेवा प्रदान करना एम्स, ऋषिकेश सहित, सभी अन्य एम्स संस्थानों की एक बहुत बड़ राष्ट्रीय उपलब्धि है। शैक्षिक (टीचिंग) हॉस्पिटल्स के रूप में एम्स संस्थानों ने सर्वश्रेष्ठ मापदंड स्थापित किए हैं। इसके लिए मैं एम्स संस्थानों से जुड़ सभी लोगों की सराहना करती हूं।

Highlight: 

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) चतुर्थ दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रतिभाग किया
  • राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ऋषिकेश एम्स में कहा कि

श्रीमती मुर्मू ने कहा,‘‘मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई है कि यहां के विद्यार्थियों में छात्राओं की कुल संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है।’’ उन्होंने कहा,‘‘पिछले सप्ताह मेरी मुला़कात इंडियन इकोनॉमिक सर्विस के अधिकारियों के नए बैचेस से हुई थी। उन अधिकारियों में भी लगभग 60 प्रतिशत संख्या महिला अधिकारियों की थी। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थ-व्यवस्था से जुड़ नीति निर्धारण से लेकर, टेर्टियरी हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती हुई भागीदारी एक बहुत बड़ और अच्छे सामाजिक बदलाव की तस्वीर प्रस्तुत करती है।’’ राष्ट्रपति ने कहा,‘‘बेटियों की भागीदारी और सफलता के लिए मैं, एम्स ऋषिकेश, सभी छात्राओं के परिवार-जनों और सभी बेटियों को विशेष बधाई देती हूं।

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भारत में डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में डायबिटीज से प्रभावित लोगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है, जो विश्व में सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि इसके इलाज के रूप में सेमाग्लुटाइड आजकल चर्चा में है। उत्तराखंड में धूप की कमी के कारण तथा स्थानीय खान-पान के कारण ओस्टियोपोरोसिस तथा एनीमिया जैसी बीमारियों से लोग, विशेषकर महिलाएं प्रभावित होती हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल मेडिसिन के इस युग में भी मेडिसिन से जुड़ राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय समस्याओं के बारे में अनुसंधान करना तथा उनका समाधान करना एम्स, ऋषिकेश जैसे संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए।

 

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