कर्नाटक: जाति के आधार पर पूर्व विधायक को आरएसएस संग्रहालय में प्रवेश नहीं मिलने का आरोप - Karnataka: Former MLA Accused Of Not Getting Entry Into RSS Museum On The Basis Of Caste

कर्नाटक: जाति के आधार पर पूर्व विधायक को आरएसएस संग्रहालय में प्रवेश नहीं मिलने का आरोप

कर्नाटक के पूर्व विधायक ने जाति के आधार पर आरएसएस संग्रहालय में प्रवेश नहीं करने देने का आरोप लगाया हैं | आरएसएस ने शेखर के दावे का खंडन करते हुए इसे निराधार बताया है।

HIGHLIGHTS

  • हेडगेवार संग्रहालय में प्रवेश करने से रोक दिया
  • शेखर ने आरोप लगाया है कि दलित होने के कारण प्रवेश रोक दिया
  • आरएसएस ने शेखर के दावे का खंडन करते हुए इसे निराधार बताया

 

केशव बलिराम हेडगेवार संग्रहालय में प्रवेश करने से रोक दिया

कर्नाटक के होसदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व विधायक गुलीहट्टी डी. शेखर ने आरोप लगाया है कि दलित होने के कारण उन्हें नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार संग्रहालय में प्रवेश करने से रोक दिया गया। आरएसएस ने शेखर के दावे का खंडन करते हुए इसे निराधार बताया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष को संबोधित एक ऑडियो संदेश में शेखर ने दावा किया कि वह करीब तीन से चार महीने पहले दो अन्य लोगों के साथ नागपुर में आरएसएस मुख्यालय गए थे। पूर्व विधायक ने दावा किया कि वहां हेडगेवार संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर किसी ने उनसे आगंतुक रजिस्टर पर अपना नाम और पता लिखने के लिए कहा। शेखर ने आरोप लगाया, ‘‘मैंने अपना नाम लिखा और अंदर जाने ही वाला था कि वहां खड़े एक आदमी ने पूछा कि ‘महोदय, अगर आप बुरा न मानें तो क्या आप आरक्षित वर्ग से हैं’, जिसका मतलब है कि क्या मैं अनुसूचित जाति से हूं। जब मैंने ‘‘हां’’ में जवाब दिया तो उस व्यक्ति ने कहा कि वे एससी (लोगों) को प्रवेश की अनुमति नहीं देते हैं।’’

पार्टी द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद भाजपा छोड़ा

पूर्व मंत्री शेखर ने पार्टी द्वारा टिकट देने से इनकार करने के बाद भाजपा छोड़ दी थी और मई 2023 में चित्रदुर्ग जिले के होसदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था। आरएसएस की कर्नाटक शाखा ने शेखर के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि संगठन के किसी भी कार्यालय में कहीं भी कोई रजिस्टर नहीं है क्योंकि आरएसएस मुख्यालय में कोई भी कहीं भी जा सकता है। इसने एक बयान में कहा, ‘‘गुलीहट्टी शेखर ने कहा है कि यह घटना विधानसभा चुनाव से कम से कम चार महीने पहले हुई थी, जबकि उसके बाद वह कई आरएसएस नेताओं से मिले लेकिन उन्हें अपने अपमान के बारे में कभी नहीं बताया। यह आश्चर्य की बात है कि वह घटना के 10 महीने बाद एक बयान जारी कर रहे हैं।’’

 

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