संदेशखाली केस: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों द्वारा संदेशखाली क्षेत्र की महिलाओं के खिलाफ यौन अत्याचार के आरोपों को लेकर उनकी सुरक्षा का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश T.S. शिवगणम और न्यायमूर्ति एच. भट्टाचार्य की खंडपीठ ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता एक निर्वाचित प्रतिनिधि है जैसे कि विधायक या पंचायत प्रधान या संदेशखाली का निवासी है या क्या उस व्यक्ति ने प्रभावित जगह का दौरा किया था?
- कोर्ट ने संदेशखाली केस में तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया
- कोर्ट ने कहा याचिका पर विचार के लिए बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा
समाचार पत्रों की प्रतियां काफी नहीं- कोर्ट
अदालत ने कहा कि याचिका के साथ केवल समाचार पत्रों की खबरों की प्रतियां संलग्न करना ही काफी नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता वकील से कहा कि किसी जनहित याचिका पर विचार करने के लिए उसकी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करना होगा। याचिकाकर्ता वकील ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली की ग्रामीण महिलाओं को सुरक्षा देने के अनुरोध वाली अपनी जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की प्रार्थना की।
याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं- कोर्ट
खंडपीठ ने वकील को मौखिक रूप से कहा कि वह याचिका पर तत्काल सुनवाई नहीं कर सकती। इसने कहा कि चूंकि एकल पीठ पहले से ही संदेशखाली मामले की सुनवाई करने वाली है, इसलिए वह समानांतर कार्यवाही नहीं कर सकती।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं।