Rajasthan Politics: राजे सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाना अनुशासनहीनता कैसे? पायलट ने पूछा सवाल - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

Rajasthan Politics: राजे सरकार के भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाना अनुशासनहीनता कैसे? पायलट ने पूछा सवाल

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी जन संघर्ष यात्रा के दूसरे दिन पेपर लीक मामला और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी ही सरकार से सवाल पूछा।

राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी जन संघर्ष यात्रा के दूसरे दिन पेपर लीक मामला और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी ही सरकार से सवाल पूछा। उन्होंने गहलोत खेमे द्वारा उन पर लगाए गए आरोपों पर पलटवार भी किया।अनुशासनहीनता के आरोपों पर बोलते हुए उन्होंने कहा, वसुंधरा राजे के शासन में भ्रष्टाचार की जांच का मामला उठाना अनुशासनहीनता कैसे हो गया? उन्होंने आगे गहलोत खेमे द्वारा लगाए जा रहे आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा, जब मैंने अनशन किया था तो वह वसुंधरा राजे के कार्यकाल में सामने आए भ्रष्टाचार के खिलाफ था। मुझे समझ नहीं आता कि यह पार्टी के अनुशासन की धज्जियां उड़ाने का मामला कैसे बन गया? अनुशासन तोड़ने का काम 25 सितंबर को किया गया था, जब सोनिया गांधी का स्पष्ट आदेश था कि दोनों पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक करने आ रहे हैं। बैठक क्यों नहीं हो सकी? बाद में विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने बाद में अदालत में कहा कि इस्तीफे इसलिए खारिज करने पड़े क्योंकि विधायकों ने अपनी स्वतंत्र मर्जी से इस्तीफा नहीं दिया था। फिर वे किसकी इच्छा से दिए गए थे? कौन सा दबाव था? जहां तक अनुशासन की बात है, तो मानक सभी के लिए समान होने चाहिए।
पायलट ने दूसरे दिन शुक्रवार सुबह आठ बजे अपनी यात्रा शुरू की। इसके बाद 11 बजे बिड़ला स्कूल, बंदर सिंदरी के पास विश्राम का समय निर्धारित किया गया। दूसरे दिन की यात्रा का दूसरा चरण बिरला स्कूल से शाम चार बजे शुरू होगा। इसके बाद शाम सात बजे गेजी मोड़, पड़सौली में विश्राम होगा। पायलट ने 2020 में बगावत की बात भी की और कहा, जब हम अपनी बात रखने के लिए दिल्ली गए, तो क्या हमारे किसी साथी ने इस्तीफा दिया? हमने कब पार्टी के खिलाफ बात की है? क्या हमने सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ कहा है? 25 सितंबर को जो भी हुआ सबके सामने हुआ। पार्टी ने जो कहा हमने उसका सम्मान किया और पार्टी ने जो कहा उसे हमने स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, जब पार्टी ने मुझे दोनों पद छोड़ने के लिए कहा, तो मैं सहमत हो गया। हमारी मांगों पर गठित समिति किसी नेता ने नहीं बल्कि पार्टी ने बनाई थी। हमने हर चुनाव में प्रचार किया और भाजपा को हराया। हमने पार्टी के खिलाफ एक भी काम नहीं किया। हालांकि, 25 सितंबर को जो हुआ वह इतिहास में पहली बार हुआ है। कांग्रेस पार्टी के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि कांग्रेस अध्यक्ष के आदेश पर आए पर्यवेक्षकों का अपमान किया गया, फिर बैठक नहीं हुई और वे खाली हाथ लौट गए। फिर नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन अब तक कुछ भी नहीं हुआ है। मुझे लगता है कि इस पर भी विचार किया जाना चाहिए।
आगामी 11 जून को कांग्रेस छोड़ने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर पायलट ने कहा, आप सभी को कयास लगाने की जरूरत नहीं है। मैं जो भी कहता हूं, सबके सामने करता हूं। मैं लुकाछिपी का खेल नहीं खेलता। मैंने जो भी कहा है, सबके सामने कहा है। मैं दोहरे अर्थो वाली बात भी नहीं करता। मेरी मांग सामूहिक है, व्यक्तिगत नहीं। मुझे किसी पद की आकांक्षा नहीं है। पार्टी ने मुझे काफी हद तक बहुत कुछ दिया है। यहां तक कि मेरा कट्टर विरोधी भी मेरी वफादारी और ईमानदारी पर उंगली नहीं उठा सकते। हमें युवाओं की बात सुननी होगी। मैं युवाओं के लिए ऐसे लड़ रहा हूं जैसे पहले कभी नहीं लड़ा गया।
गहलोत के नेतृत्व में इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर पायलट ने कहा, जब पार्टी सत्ता में होती है तो मुख्यमंत्री चेहरा होता है। उन्होंने कहा, पहले जब भाजपा सरकार में थी, वसुंधरा जी या अशोक परनामी (तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष) चेहरा थे, स्वाभाविक है कि वसुंधरा राजे चेहरा थीं। उन्होंने कहा, जब सत्ता में होते हैं मुख्यमंत्री और जब विपक्ष में होते हैं तो पार्टी अध्यक्ष नेतृत्व करते हैं। पिछले 25 साल में जब भी कांग्रेस की सरकार रही, अगली बार हम हारे। मैंने आलाकमान द्वारा गठित समिति को मेरे सुझावों से अवगत करा दिया है। हम सब चाहते हैं कि सरकार फिर बने।

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