कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को दावा किया कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है, जबकि सरकार सोई हुई है और इस खतरे को ‘‘नजरअंदाज’’ करने की कोशिश कर रही है।
गांधी द्वारा सरकार पर निशाना साधे जाने पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कांग्रेस नेता पर देश में भ्रम फैलाने और सैनिकों का मनोबल गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया। भाजपा ने कहा कि यह जवाहरलाल नेहरू का 1962 का भारत नहीं है।
गांधी की ओर से यह आलोचना ऐसे समय की गई, जब आज दिन में पहले थलसेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलिता ने कहा कि देश की उत्तरी सीमा से सटे सीमा क्षेत्रों में ”स्थिरता” है और वहां भारतीय सशस्त्र बलों का ”मजबूत नियंत्रण” है। उन्होंने कहा, ‘हम सभी परिस्थितियों और आकस्मिक चीजों से निपटने के लिए तैयार हैं।’
गांधी ने कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के 100 दिन पूरे होने पर जयपुर में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर पर भी निशाना साधा और कहा कि वह टिप्पणियां करते रहते हैं, लेकिन ‘‘उन्हें अपनी समझ को गहरा करने की जरूरत है।’’
गांधी ने मीडिया को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें यकीन है कि पत्रकार उनसे सचिन पायलट और अशोक गहलोत से लेकर हर चीज के बारे में पूछेंगे, लेकिन चीन पर एक सवाल नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जो चीन का खतरा है.. और मुझे तो वो स्पष्ट है.. और मैं इसको लेकर दो-तीन साल से कह रहा हूं, लेकिन केंद्र सरकार उसको छिपाने की कोशिश कर रही है। सरकार उसको नजरअंदाज कर रही है, मगर उस खतरे को न तो छुपाया जा सकता है और न ही उसकी अनदेखी की जा सकती है।’’
गांधी का इशारा अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में सीमा पर चीन के साथ हुई झड़प की ओर था।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चीन, भारत की सीमा पर युद्ध की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘उनकी पूरी तैयारी चल रही है..उनका लद्दाख की तरफ और अरुणाचल की तरफ पूरी आफेंसिव प्रिपेरेशन (युद्ध की तैयारी) चल रही है… हिन्दुस्तान की सरकार सोई हुई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बात को हिन्दुस्तान की सरकार सुनना नहीं चाहती है..मगर उनकी (चीन) तैयारी चल रही है, तैयारी युद्ध की है.. तैयारी कोई घुसपैठ की नहीं है… तैयारी युद्ध की है।’’
राहुल ने आगे कहा, ‘‘…अगर कोई भी इन बातों को समझता है..अगर आप उनके हथियारों का पैटर्न (स्वरूप) देख लें। वो क्या कर रहे हैं, वहां पर .. वे युद्ध की तैयारी कर रहे हैं और हमारी सरकार उस बात को छुपाती है और उस बात को शायद स्वीकार नहीं कर पा रही है।’’
इस मामले पर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह हो क्यों रहा है… क्योंकि हिन्दुस्तान की सरकार ‘इवेंट बेस्ड’ काम करती है.. हिन्दुस्तान की सरकार स्ट्रेजेकली (रणनीतिक रूप से) काम नहीं करती। ‘इवेंट बेस्ड’ (कार्यक्रम आधारित) काम करती है। वे केंद्र सरकार वाले सोचते हैं कि भैया यहां पर एक इवेंट (कार्यक्रम) करो.. यहां पर एक और इवेंट करो, मगर जब अंतरराष्ट्रीय संबंधों की बात होती है.. जियो स्ट्रेटेजी (भू-रणनीति) की बात होती है, वहां पर ‘इवेंट’ काम नहीं करता है.. वहां पर शक्ति काम करती है।’’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘…तो मैंने तीन-चार बार बोला है.. सावधान रहना चाहिए। जो हो रहा है, उसको समझना चाहिए.. उनकी ओर से बयानबाजी होती रहती है.. मैं देखता हूं विदेश मंत्री बोलते रहते हैं..मगर शायद उनको अपनी समझ गहरी करनी चाहिए।’’
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि गांधी को छोड़कर हर गर्वित भारतीय ने भारतीय सैनिकों द्वारा चीनी सैनिकों की पिटाई करने वाले वीडियो देखे हैं। उन्होंने कहा कि गांधी भारतीय सैनिकों की वीरता पर संदेह करना जारी रखे हुए हैं, क्योंकि उन्होंने ‘चीनियों के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, उनके परिवार ने चीनी आतिथ्य का आनंद लिया है और आरजी (राजीव गांधी) फाउंडेशन ने धन प्राप्त किया है।’’
भाजपा प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राहुल गांधी को लगता है कि चीन के साथ निकटता होनी चाहिए। अब उनकी इतनी नजदीकियां बढ़ गई हैं कि उन्हें पता है कि चीन क्या करेगा।’
उन्होंने कहा, ‘‘अपनी यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने देश में भ्रम फैलाने और भारतीय सैनिकों का मनोबल गिराने के लिए भारतीय सुरक्षा और सीमावर्ती क्षेत्रों के बारे में टिप्पणी की है। यह उनके परनाना नेहरू का भारत नहीं है, जिन्होंने चीन के हाथों 37,000 वर्ग किलोमीटर जमीन गंवा दी थी।’
राठौर ने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘यह मोदी का भारत है, यह नया भारत है। अब अगर कोई देश के खिलाफ आंख उठाता है, तो उसे करारा जवाब मिलता है।’
राठौर ने कहा कि गांधी को खुद को ‘फिर से लॉन्च’ करने के प्रयास में राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
थलसेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आर पी कलिता ने शुक्रवार को कहा कि देश की उत्तरी सीमा से सटे सीमा क्षेत्रों में ”स्थिरता” है और वहां भारतीय सशस्त्र बलों का ”मजबूत नियंत्रण” है।
अरुणाचल प्रदेश में तवांग शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित सीमावर्ती क्षेत्र यांगत्से में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के एक सप्ताह बाद कलिता ने यह बात कही। इस क्षेत्र पर चीन की सेना ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ (पीएलए) ने 1962 में भी हमला किया था।
कलिता ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विभिन्न बिंदुओं को लेकर दोनों देशों की सेनाओं की अलग-अलग अवधारणाएं हैं और इनमें से आठ क्षेत्रों की दोनों पक्षों ने पहचान की है।
उन्होंने कहा कि पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में इनमें से एक क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की, जिसका भारतीय बलों ने ‘बहुत मजबूती से जवाब’ दिया।
पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी), लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा, ‘वर्तमान में, हम सभी को आश्वस्त करना चाहते हैं कि उत्तरी सीमा से लगते सीमा क्षेत्रों में स्थिरता है और हमारा मजबूत नियंत्रण है।’
दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोट आने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय कमांडरों ने मौजूदा प्रोटोकॉल के जरिए बातचीत कर इस मुद्दे को हल कर लिया।
पूर्वी सैन्य कमांडर ने कहा, ‘कुछ हिंसा हुई, लेकिन मौजूदा द्विपक्षीय तंत्र और प्रोटोकॉल का सहारा लेते हुए इसे स्थानीय स्तर पर नियंत्रित किया गया।’
उन्होंने कहा कि इसके बाद बुमला में एक ‘फ्लैग बैठक’ हुई, जिसमें इस मुद्दे को और अधिक सुलझाया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने कोई घुसपैठ की है या अरुणाचल प्रदेश में भारत की कोई जमीन उत्तरी पड़ोसी के कब्जे में है, सैन्य कमांडर ने कहा कि इसका ‘संक्षिप्त उत्तर ‘नहीं’ है।’
कलिता यहां पूर्वी कमान के मुख्यालय फोर्ट विलियम में 51वें विजय दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि समारोह के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
विजय दिवस वर्ष 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान पर भारत की शानदार जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।