हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का आज जन्मदिन है। अपने करिश्माई खेल से सबको अपना दीवाना बनाने वाले ध्यानचंद का जन्म प्रयागराज में 29 अगस्त 1905 को हुआ था। उनके पिता समेश्वर दत्त सिंह सेना में कलर्क थे। मेजर ध्यानचंद के जन्म के करीब छह-सात वर्ष उनके पिता का तबादला झांसी हो गया। इसके बाद वह झांसी चले गए। उनकी शिक्षा-दीक्षा के साथ ही खेल का अधिकतर समय झांसी में ही गुजरा।
मेजर ध्यानचंद की जयंती पर देश के प्रधानमंत्री समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें नमन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था। उन्होंने कहा कि मेजर ध्यानचंद के चार दशक बाद एक बार फिर देश के बेटे बेटियों ने दुनिया में भारतीय हॉकी की परचम लहराया है। इस उपलब्धि से मेजर ध्यानचंद की आत्मा को प्रसन्नता हो रही होगी।
बीजेपी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा, ‘‘ओलंपिक खेलों में तीन स्वर्ण पदक जीतकर सम्पूर्ण विश्व में भारत का गौरव बढ़ने वाले, पद्म भूषण से सम्मानित, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन।’’ उन्होंने कहा कि श्री ध्यानचंद के सम्मान में मनाए जाने वाले राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर सभी खेल प्रेमियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
1948 की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम को दी मात
हॉकी के खेल में मेजर ध्यानचंद ने 1926 से 1949 तक के करियर में देश को 1928, 1932 और 1936 का ओलिंपिक स्वर्ण पदक दिलाया। मेजर ध्यानचंद ने 1948 की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम को हराया था। 1948 में भारतीय टीम ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतकर लौटी थी। ध्यानचंद साल 1926 में पहली बार न्यूजीलैंड गए थे। यहां टीम ने एक मैच में 20 गोल कर दिया, जिसमें से 10 गोल तो अकेले ध्यानचंद ने किए थे। न्यूजीलैंड में भारत ने 21 मैचों में से 18 मैच जीते और पूरी दुनिया ध्यानचंद को पहचानने लगी।