Jarawa Tribe: जिनके इलाके में कदम रखने से कतराती है सरकार भी, क्योंकि जो वहां जाता है वापस लौटकर नहीं आता - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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Jarawa Tribe: जिनके इलाके में कदम रखने से कतराती है सरकार भी, क्योंकि जो वहां जाता है वापस लौटकर नहीं आता

भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर यहां बाहरी लोगों के जाने पर पाबंदी लगाई हुई है, क्योंकि ये जनजाति बेहद खतरनाक है और इन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं कि कोई वहां आए। ये लोग बाहरी दुनिया से संपर्क रखना पसंद नहीं करते हैं। यदि इनका सामना किसी बाहरी इंसान से हो जाए तो ये काफी हिंसक हो जाते हैं।

आज हर देश में लोकतंत्र है, ऐसे में राजा नहीं सरकार का काम अपने देशवासियों की रक्षा करने का होता है। एक देश के अंदर रहने वाले सभी लोगों की जिम्मेदारी सरकार की होती है। फिर चाहे वे जंगल में रहने वाली कोई जनजाति ही क्यों ना हो। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया में एक ऐसी जनजाति है जिनके इलाके में आम इंसान क्या सरकार भी पैर रखने से कतराती है। इस जनजाति का नाम Jarawa Tribe है।
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बाहरी लोगों का दखल नहीं पसंद
जारवा जनजाति जिन्हें सेंटिनेलिस के नाम से भी जाना जाता है, वह आदिवासी सेंटिनल द्वीप और अंडमान के एक दूसरे द्वीप ओंगे में रहते हैं। इस जनजाति के लगभग 400 लोग ही जीवित है। आपको बता दें कि इस जनजाति के लोगों को अपनी जिंदगी में बाहरी लोगों का दखल बिल्कुल पसंद नहीं है। यह ही कारण है कि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर यहां बाहरी लोगों के जाने पर पाबंदी लगाई हुई है, क्योंकि ये जनजाति बेहद खतरनाक है और इन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं कि कोई वहां आए। ये लोग बाहरी दुनिया से संपर्क रखना पसंद नहीं करते हैं। यदि इनका सामना किसी बाहरी इंसान से हो जाए तो ये काफी हिंसक हो जाते हैं।
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सरकार भी रहती है इनसे दूर
आपको जानकर हैरानी होगी की यह एक ही ऐसी जनजाति है, जिनके अंदरूनी मामलों में भारत सरकार भी दखल नहीं देती है। इतना ही नहीं इस जगह पर उद्योगपति, सरकारी ऑफिसर, पुलिस और आर्मी को भी जाने की अनुमति नहीं है। क्योंकि इन्हें अपने जीवन में किसी बाहरी व्यक्ति का होना बिल्कुल नहीं भाता हैं।
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जो वहां गया वो वापस नहीं आया
हालांकि सरकार इनके इलाके में पैर नहीं रखती है। लेकिन रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2004 में आई सुनामी के बाद अंडमान द्वीप पर भारी तबाही मची थी, जिसके बाद जानवा जनजाति का हाल जानने के लिए भारतीय तटरक्षक दल ने वहां जाने का फैसला लिया, लेकिन इन्हें यह भी पसंद नहीं आया और इन्होंने आग के तीर चलाकर हेलिकॉप्टरों में आग लगा दी। इसके बाद वहां जाने की कोशिश बंद कर दी गई। वहीं एक बार  साल 2006 में गलती से कुछ मछुआरे इस द्वीप पर पहुंच गए थे, जो उनके लिए काफी बुरा साबित हुआ। इस जनजाति के लोगों ने उनको जिंदा नहीं छोड़ा।
 

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