भारत में बहुत सी परम्पराएं हैं जिन्हें हमारे बुजूर्गों ने बीते पांच हजार वर्षों से अनवरत जारी रखा है। आप इसे इस रूप में भी देख सकते हैं कि इन परम्पराओं या सिद्धांतों के पीछे का विश्वास हजारों पीढ़ियां और हजारों वर्षों का अनुभव है। इसलिए इनके उपयोग से निश्चित तौर पर हम लाभान्वित हो सकते हैं। इसमें कोई सशंय नहीं है। इन परम्परओं में एक परम्परा रात्रि में घर के मुख्य द्वार पर दीपक रखना भी है। हालांकि यह आमतौर पर दीपावली या दूसरे त्यौहारों पर ज्यादा प्रचलित है लेकिन इसकी मूल भावना में इस दीपक या रोशनी का उद्देश्य धन की देवी श्रीलक्ष्मी को आकर्षित करना होता है।
कैसे करें
इस युक्ति के प्रयोग के दो तरीके हैं। पहला तो यह कि आप प्रतिदिन एक दीपक रात्रि होते ही घर के मुख्य द्वार की दायीं तरफ रखें। यहां हमेशा ध्यान रखें कि दायां पक्ष हमेशा वह होगा जब कि आप घर में प्रवेश करें तो दीपक आपके दाहिने हाथ की तरफ होना चाहिए। यदि आपको विशेष कार्य सिद्धि चाहिए तो निम्न श्रीलक्ष्मी के मंत्र का एक से अधिक बार उच्चारण करते हुए इस दीपक को रखें।
।। ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्मी नमः ।।
इस विधि के प्रयोग से मात्र 15 दिनों में कार्यसिद्धि मिल जाती है। यदि ग्रह बहुत खोटे हों तो कुछ ज्यादा समय भी लग सकता है। लेकिन परिणाम निश्चित आता है।
दीपक की प्रकृति क्या हो
दीपक मिट्टी का होना चाहिए। और दीपक में तेल या घी दोनों में से कोई भी प्रयोग कर सकते हैं। बत्ती एक ही रखनी चाहिए। दीपक को जमीन पर भी रख सकते हैं। यदि दीवार में दीपक रखने का स्थान बना हो तो वहां भी रखा जा सकता है। या फिर पीलर पर भी रख सकते हैं। इसको इस रूप में देखंे कि प्राकृतिक रोशनी होनी चाएिह। फिर यह रोशनी किसी भी जरिए से हो, इससे कोई विशेष अंतर नहीं होता है। जिन लोगों के पास नौकरी नहीं है अथवा जिन लोगों का बिजनेस ठीक नहीं है, उन्हें यह प्रयोग करके चमत्कार अवश्य देखना चाहिए।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में क्या करें
आधुनिक युग में बहुत सी लिमिटेशन्स हो सकती हैं। इसलिए संभव है कि इस दीपक की प्रक्रिया को हम किन्हीं कारणों से यदि प्रयोग में नहीं ला सकें तो इसका रूप बदल देना चाहिए। यदि हम हमेशा के लिए रात्रि को द्वार पर हल्की रोशनी रखें तो भी हमें स्वतः ही नये-नये अवसर प्राप्त हो सकते हैं। यह करना बहुत आसान भी है और एल.ई.डी. बल्ब के कारण मंहगा भी नहीं है। रोशनी कम से कम रात्रि में पांच से छः घंटे होनी जरूरी है। यदि आप को तुरंत कोई लाभ लेना है तो आप मुख्यद्वार की दिशा विशेष के आधार पर एल.ई.डी. के कलर का चयन करें। इससे भी कुछ ही हफ्तों में आप को लाभ दिखाई देना शुरू हो जाता है। इस काम में मिल्की व्हाईट रोशनी बहुत अच्छा काम करती है। लेकिन जिन प्रिय सज्जनों के पास रोशनी में कलर के विकल्प नहीं है वे किसी भी दिशा के द्वार को रोशन करने के लिए क्रीम या फिर सफेद कलर की रोशनी का प्रयोग कर सकते हैं।
यह भी कर सकते हैं
जिन लोगों के मुख्य द्वार के पीलरों पर लाइट लगी हुई हैं वे उनको रात्रि में रोशन रखें। जिन सज्जनों के पास यह सुविधा नहीं है, वे उस स्थान पर एक अस्थायी बल्ब भी लगा सकते हैं। जिससे कम से कम मुख्य द्वार तो रोशन हो ही जाए। यहां यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि रोशनी द्वार के साथ-साथ मार्ग पर भी जानी चाहिए।
— ज्योतिर्विद् सत्यनारायण जांगिड़
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