Assam: राहुल गांधी का दावा, बोले- केंद्रीय गृह मंत्री ने निजी विश्वविद्यालय में छात्रों से बातचीत करने से ‘रोका’

Rahul Gandhi का दावा, बोले- केंद्रीय गृह मंत्री ने निजी विश्वविद्यालय में छात्रों से बातचीत करने से ‘रोका’

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री के ‘‘निर्देश’’ पर ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान मेघालय में एक निजी विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ बातचीत करने से ‘‘रोका’’ गया।उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने असम के मुख्यमंत्री कार्यालय के जरिए विश्वविद्यालय प्राधिकारियों को यह निर्देश दिया।

  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बड़ा दावा
  • केंद्रीय गृह मंत्री ने निजी विश्वविद्यालय में छात्रों से बातचीत करने से रोका- Rahul Gandhi

पार्टी नेताओं से अलग अलग बातचीत करने का कार्यक्रम था- कांग्रेस नेता

राहुल ने असम-मेघालय सीमा पर अपनी यात्रा के दौरान एक बस से छात्रों और अन्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैं आपके विश्वविद्यालय में आना चाहता था और आपको संबोधित करना, आपको सुनना चाहता था। लेकिन भारत के गृह मंत्री ने असम के मुख्यमंत्री को फोन किया और मुख्यमंत्री कार्यालय ने विश्वविद्यालय नेतृत्व को फोन किया और कहा कि राहुल गांधी को छात्रों से बातचीत करने न दी जाए।’’
राहुल का मंगलवार की सुबह असम की सीमा से लगते मेघालय के री भोई जिले में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान, मेघालय में छात्रों, नागरिक समाज के सदस्यों और पार्टी नेताओं से अलग अलग बातचीत करने का कार्यक्रम था।

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कार्यक्रमों के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया

कांग्रेस ने सोमवार दोपहर को निजी विश्वविद्यालय में इन कार्यक्रमों की घोषणा की लेकिन बाद में उन्हें एक होटल में आयोजित करने की जानकारी दी क्योंकि विश्वविद्यालय ने कार्यक्रमों के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया।कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘राहुल गांधी आता है या नहीं, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि आप जिस भी व्यक्ति को सुनना चाहते हैं, आपको उसकी अनुमति दी जाए। आपको अपनी मर्जी के अनुसार जिंदगी जीने की अनुमति दी जाए न कि किसी और के अनुसार।’’

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असम में नहीं बल्कि भारत के हर स्कूल, कॉलेज में हो रहा- राहुल गांधी

राहुल ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘वे आपको गुलाम बनाना चाहते हैं लेकिन मैं जानता हूं कि कोई भी, ब्रह्मांड में कोई भी ताकत ऐसा नहीं कर सकती है।’’उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘यह केवल असम में नहीं बल्कि भारत के हर स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में हो रहा है’’, जहां विद्यार्थियों को ‘‘अपनी मर्जी के अनुसार सोचने तक नहीं दिया जा रहा है।’’

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