लुधियाना : महरूम मुख्यमंत्री स. बेअंत सिंह के कत्ल केस में सजायाफता पटियाला की जेल की सलाखों के पीछे लंबे अरसे से बंद 52 वर्षीय भाई बलवंत सिंह राजोआना की फांसी माफी के मुददे पर देश के गृहमंत्री अमित शाह द्वारा मुकर जाने पर एक बार फिर दिल्ली सरकार का सिखों के प्रति दोगला किरदार सामने आया है। उक्त विचारों का प्रकटावा श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने तलवंडी साबो में पत्रकारों से बातचीत करते सिखों की सिरमौर संस्था शिरोमणि कमेटी और शिरोमणि अकाली दल को निर्देश देते कहा कि वे भाई राजोआना की सजा माफी को लेकर पैरवी करें।
जबकि शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष जत्थेदार भाई गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने अमित शाह के बयान पर दुख प्रकट करते हुए राजोआना की फांसी की सजा को उम्रकैद में तबदील किए जाने पर पुर्न विचार करने की अपील की। उधर पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अमित शाह के बयान पर अफसोसजनक घटनाक्रम बताते हुए कहा कि अगर यह सच है तो बहुत ही दुखदायी है। अकाली दल ने भाजपा की केंद्रीय सरकार के फैसले पर बोलते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि वह इस मामले में अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर बात करेंगे। उन्होंने इसे बेइंसाफी कहते हुए कहा कि जिस शख्स ने पिछले 30 सालों के दौरान बेगैर पेरोल के सलाखों के पीछे रखा गया है, वह सरासर धक्का है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री विक्रम सिंह मजीठिया ने भी अमित शाह के बयान की निंदा की है। आज लोकसभा में लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिटटू द्वारा बब्बर खालसा के प्रमुख आगु बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्र कैद में बदले जाने के पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने जवाब देते स्पष्ट किया कि राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में तबदील नहीं किया गया। स्मरण रहे कि पिछले कुछ समय से अखबारों की सुर्खियों में 550वें गुरू पर्व का हवाला देते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के कातिल बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को उम्रकैद में बदले जाने की खबरें आ रही थी।
स. बेअंत सिंह के पौत्र स. रवनीत सिंह बिटटू जो तीन बार पंजाब से सासंद बन चुके है, ने सवाल किया था कि राजोआना की मौत की सजा में बदलाव क्यों किया जा रहा है तो अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मीडिया रिपोर्टों पर यकीन ना किया जाएं, कोई माफी नहीं दी गई। राजोआना कभी पंजाब पुलिस में कांस्टेबल होता था और सीबीआई की चंडीगढ़ स्थित विशेष अदालत द्वारा उन्हें 1 अगस्त 2007 को मौत की सजा सुनाई गई थी और इसी के साथ 31 मार्च 2012 को फांसी दिए जाने का हुकम जारी हुए थे।
कानूनी दांवपेचों में उलझे इस केस के मामले में सिखों की सर्वोच्च संस्था एसजीपीसी और श्री अकाल तख्त साहिब की दखलंदाजी के बीच शिरोमणि आकली दल भाजपा के वक्त पंजाब सरकार ने देश के महामहिम राष्ट्रपति को फांसी की सजा को उम्रकैद में बदले जाने की अपील की थी। हालांकि भाई राजोआना ने स्वयं किसी भी प्रकार की अपनी तरफ से कोई भी पैरवी नहीं की और ना ही उसने भारतीय संविधान में माना था। उसने बेअंत सिंह की हत्या को बड़े गर्व से कबूल किया था।