हरियाणा में हिसार बार ऐसोेसिएशन के सदस्यों के अनुसार किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट के आए आदेशों से किसानों का भला नहीं होने वाला। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एडवोकेट जेएस मल्हि, बार सदस्य एडवोकेट दलीप जाखड़ आदि ने ‘चाय पर चर्चा‘ में उच्चतम न्यायालय के मंगलवार के आदेशों पर मंथन किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता जेएस मल्हि ने कहा कि किसानों की मांगें केंद्र सरकार से थीं जबकि सुप्रीम कोर्ट को मध्यस्ता के लिए बीच में आना पड़ा है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जो चार सदस्यीय समिति बनाई है, उन सदस्यों की राय पहले सेे कृषि कानूनों के पक्ष में थी जिससे किसानों का इस समिति पर विश्वास करना मुश्किल है।
एडवोकेट मल्हि ने कहा कि किसानों की मांगें केंद्र सरकार से थीं जबकि देश के कृषि मंत्री तोमर ने किसान संगठनों की बैठक में ही किसानों को सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह दी थी और उसी दिन से किसानों के मन पर संशय के बादल छा गए थे। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार आम जनता में अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है।
वकीलों का कहना था कि देश के विपक्षी दल भी सरकार पर कृषि कानूनों की वापसी का दबाब बनाने में असफल रहे हैं। चर्चा में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि किसान आंदोलन में अब तक 70 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं और सरकार ने कोई सहानुभूति तक प्रकट नहीं की है।