ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस से पीड़ित एक मरीज का मध्य प्रदेश में सरकारी अस्पतालों द्वारा कथित तौर पर इलाज करने से इनकार किए जाने के मामले में संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग (एमपीएचआरसी) ने भोपाल के संभागीय आयुक्त और स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक से जवाब मांगा है। मीडिया की खबरों के अनुसार छिंदवाड़ा से प्रदेश की राजधानी भोपाल में ब्लैक फंगस के उपचार के लिए हाल ही में आए एक मरीज को एम्स भोपाल और हमीदिया अस्पताल ने बिना इलाज किए वापस कर दिया था।
एमपीएचआरसी ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए गुरुवार को अधिकारियों को 10 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने अधिकारियों से तीन बिन्दुओं पर सवाल किया है कि किन परिस्थितियों में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने से इंकार किया गया, क्या उसके इलाज की कोई व्यवस्था की गई तथा इस बीमारी का अगर छिंदवाड़ा में उपचार उपलब्ध था तो उसे भोपाल क्यों रेफर किया गया।
आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि 45 वर्षीय मरीज को बिस्तर के अभाव में एम्स भोपाल में सात घंटे तक भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद मरीज के परिजन उसे शासकीय हमीदिया अस्पताल ले गए, लेकिन वहां भी बिस्तर उपलब्ध नहीं होने पर वह उसे वापस एम्स भोपाल ले आए। प्रदेश के वन विभाग में लिपिक के तौर पर काम करने वाले इस मरीज ने 22 मार्च को कोरोना का टीका लगवाया था। इसके सातवें दिन 28 मार्च को वह बीमार हो गया और 12 अप्रैल को उसे लकवा का दौरा पड़ा और उसके बाईं आंख सूज गई। छिंदवाड़ा के डॉक्टरों ने कहा कि उसे ब्लैक फंगस हो गया है और इलाज के लिये मरीज को भोपाल रेफर कर दिया।