वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में डाले जाने वाली पूंजी बढ़ाकर 83,000 करोड़ रुपये करेगी। इसके साथ चालू वित्त वर्ष में बैंकों को मिलने वाली पूंजी 1.06 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।
जेटली ने कहा कि पूंजी अगले कुछ महीनों में डाली जाएगी। इससे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई की सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा से तत्काल बाहर निकलने में मदद मिलेगी।
इससे पहले सरकार ने 2018-19 में सरकारी बैंकों में 65,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की थी। इसमें से 23,000 करोड़ रुपये की पूंजी पहले ही डाली जा चुकी है। कुल प्रस्तावित पूंजी में से 42,000 करोड़ रुपये बची है। सरकार ने 41,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डाले जाने को लेकर संसद की मंजूरी मांगी।
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यह राशि अक्टूबर, 2017 में सरकार द्वारा बैंकों में जो 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की गई थी उसके अतिरिक्त है। जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि पूंजी डाले जाने से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी और आरबीआई के सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) रूपरेखा से तत्काल बाहर निकलने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘अब इस साल बैंकों में 1.06 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी और इसमें से शेष बची 83,000 करोड़ रुपये का उपयोग चार अलग-अलग मदों में किया जाएगा। पहला, निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करना है कि बैंक नियामकीय पूंजी नियमों को पूरा करे।’’
जेटली ने कहा, ‘‘दूसरा, पीसीए के अंतर्गत आने वालों में बैंकों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले बैंकों को 9 प्रतिशत का जोखिम भारांश संपत्ति अनुपात (सीआरआरएआर) हासिल करने तथा जरूरी पूंजी सुरक्षा बफर बनाने एवं 6 प्रतिशत शुद्ध एनपीए के लिये पूंजी दी जाएगी ताकि उनमें से कुछ पीसीए से स्वयं बाहर आ सके।’’
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उन्होंने कहा कि तीसरी श्रेणी में वे बैंक आएंगे जो पीसीए के दायरे में तो नहीं हैं लेकिन उसके करीब पहुंचे हुए हैं। उन्हें पूंजी इसलिए दी जाएगी ताकि पीसीए रूपरेखा के अंतर्गत नहीं आये। जेटली ने कहा कि विलय वाले बैंकों को कुछ पूंजी नियामकीय नियमों और वृद्धि पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के पूंजी दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत में सरकार ने देना बैंक और विजया बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय करने की घोषणा की थी। वित्त मंत्री ने कहा कि 2015 में शुरू सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में फंसे कर्ज (एनपीए) की पहचान का काम पूरा हो चुका है और एनपीए में कमी आनी शुरू हो गयी है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए (फंसा कर्ज) मार्च 2018 में उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 23,860 करोड़ रुपये कम हुआ है।
संवाददाताओं से बातचीत में वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि तीन बैंक पीसीए रूपरेखा में शामिल होने के कगार पर हैं लेकिन इस पूंजी से वे सुरक्षित होंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में 11 आरबीआई के पीसीए रूपरेखा में दायरे में हैं। इससे बैंकों पर कर्ज देने के मामले में पाबंदी लगायी जाती है। यह पूछे जाने पर कि क्या नीरव मोदी घोटाले से प्रभावित पंजाब नेशनल बैंक को भी पूंजी मिलेगी, उन्होंने कहा कि वह पूंजी के लिये उम्मीदवार हो सकता है।