मद्रास हाई कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि पुलिस या अन्य किसी अधिकारी द्वारा मांगे जाने पर वाहन चालक इलेक्ट्रॉनिक स्वरूप में वाहनों के कागजात दिखा सकते हैं। ऐसा पिछले महीने केंद्र सरकार की एक अधिसूचना में भी कहा गया। न्यायमूर्ति डॉ विनीत कोठारी और न्यायमूर्ति अनिता सुमंत की खंडपीठ ने बुधवार को एक ज्ञापन के खिलाफ अनेक याचिकाओं का निस्तारण किया।
इस ज्ञापन में कहा गया है कि वाहन चालकों को लाइसेंस समेत मूल दस्तावेज साथ में रखने चाहिए। मद्रास हाई कोर्ट ने पिछले महीने भूतल परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को रिकार्ड करने के बाद उसका निस्तारण किया। पीठ ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार द्वारा दो नवंबर को लाये गये संशोधन के मद्देनजर याचिकाएं निष्फल हो गयी हैं।’’
याचिकाओं में एक माल वाहन स्वामी संगठन के अखिल भारतीय संघ की ओर से दाखिल की गयी है जिसमें राज्य यातायात योजना प्रकोष्ठ के एडीजीपी द्वारा 24 अगस्त, 2017 को जारी ज्ञापन को चुनौती दी गयी है। ज्ञापन में कहा गया कि बिना लाइसेंस के वाहन चला रहे व्यक्ति पर मोटर वाहन अधिनियम की धारा 130 और 171 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
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ज्ञापन के अनुसार सभी वाहन चालक गाड़ी चलाते समय लाइसेंस समेत सभी कागजात की मूल प्रतियां रखेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता ‘ट्रैफिक’ रामास्वामी, तमिलनाडु लॉरी स्वामी संघ और टिपर लॉरी स्वामी संघ और माल वाहन स्वामी संगठन के अखिल भारतीय संघ ने उच्च न्यायालय में इस ज्ञापन को चुनौती दी थी।