केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) का विरोध कर रहे लोग “झूठ के झाड़ से सच्चाई का पहाड़” छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। नकवी ने विवादास्पद सीएए और एनआरसी को लेकर जागरुकता फैलाने की भाजपा की मुहिम के तहत शनिवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मुसलमान किसी ‘‘मजबूरी’’ में भारत में नहीं रह रहे हैं, बल्कि वे “राष्ट्रवाद के प्रति प्रतिबद्धता” के कारण यहां रह रहे हैं।
उन्होंने कहा, “संकीर्ण राजनीतिक हितों वाले कुछ लोग सीएए, एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी पर समाज के एक विशेष वर्ग के बीच गलत जानकारी फैला रहे हैं और झूठ के झाड़ से सच का पहाड़ छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।” नकवी ने कहा कि सीएए, एनआरसी या किसी अन्य कानून से किसी भारतीय मुसलमान की नागरिकता को खतरा नहीं है।
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री ने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार बिना किसी भेदभाव के विकास की दिशा में काम कर रही है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि सीएए (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में अत्याचार का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को) नागरिकता देने के लिए लाया गया और इसे मौजूदा नागरिकों से नागरिकता छीनने के लिए नहीं लाया गया है।
उन्होंने कहा कि असम में की गई एनआरसी की प्रक्रिया केवल राज्य तक ही सीमित थी और इस प्रक्रिया से भारतीय मुसलमानों को कोई खतरा नहीं होगा। नकवी ने कहा कि हालांकि पाकिस्तान ‘‘अल्पसंख्यकों के लिए नर्क है, भारत उनके लिए स्वर्ग है’’ और ‘‘देश को कमजोर करने की कोशिश करने वाली विभाजनकारी ताकतें ’’ इस सच को स्वीकार नहीं कर रहीं।
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उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक पुलिस अधिकारी द्वारा सीसीए विरोधी प्रदर्शनकारी को “पाकिस्तान जाने के लिए” कथित रूप से कहे जाने के बारे में पूछने पर नकवी ने कहा कि यदि यह बात सही पाई जाती है तो अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा सभी 130 करोड़ भारतीयों को “हिंदू” कहने संबंधी प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा, “जब दो लाख (भारतीय) लोग हज के लिए जाते हैं तो उन्हें हिंदी कहा जाता है।”