कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच हुए कई वार्ताओं के बाद भी अन्नदाताओं की समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। वहीं विदेशी फंडिंग को लेकर जांच आंदोलन पर एनआईए के अलावा अन्य एजेंसियों की भी नजर है। विरोध प्रदर्शन को हवा देने के मामले में एनआईए , ईडी, आयकर विभाग सहित अन्य एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं।
सूत्रों का कहना है कि फंडिंग की कड़ियों को विभिन्न स्तर पर खंगाला जा रहा है। देश के भीतर व बाहर इसके स्रोत तलाशने के लिए एनआईए, ईडी, आईटी सहित अन्य संबंधित एजेंसियो का समन्वय बना हुआ है। एक अधिकारी ने कहा कि पूछताछ में शामिल न होने वाले संबंधित पक्षो को दोबारा समन भेजा जाएगा।
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सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय में 12 दिसंबर को एनआईए, ईडी, आईटी, सीबीआई और एफसीआरए डिवीजन के अधिकारियों की एक बड़ी बैठक हुई थी। इसके बाद ये प्लान तैयार हुआ कि सिख फॉर जस्टिस, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स, खालिस्तान टाइगर फोर्स की ओर से की जा रही फंडिंग पर ध्यान रखा जाए और इन संगठनों के जरिए भारत में किन एनजीओ को मदद मिल रही है इसपर भी नजर रखी जाए।
खुफिया एजेंसियों का मानना है कि किसान आंदोलन में सिख फॉर जस्टिस, खालिस्तान जिन्दाबाद फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे अलगाववादी संगठन पैसे के जरिए मदद कर रहे हैं। इस बाबत 15 दिसंबर 2020 को गृह मंत्रालय की शिकायत पर एक एफआईआर दर्ज की गई।