मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाए जाने के कारण सरकारी एवं निजी क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोजगार की कमी आने की बात से इंकार करते हुए सरकार ने बुधवार को कहा कि यदि ऐसा कोई विशेष मामला सामने आता है तो वह उस पर गौर करेगी। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने का निर्णय किया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी आशंकाएं जताई जा रही है कि मातृत्व अवकाश बढ़ाए जाने से महिलाओं को रोजगार मिलने में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि सरकारी क्षेत्रों में महिला रोजगार में कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्रों में भी समस्या आने की कोई बात अभी तक सामने नहीं आई है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी खास मामले की जानकारी हो तो उसे सरकार के संज्ञान में लाया जाए। सरकार उस पर विचार करेगी। इससे पहले पूरक प्रश्न पूछते हुए कांग्रेस के रिपुन बोरा ने एक सर्वेक्षण के हवाले से श्रम मंत्री से पूछा था कि क्या पिछले पांच सालों में महिला रोजगार में कमी आयी है?
गंगवार ने एक अन्य प्रश्न के जवाब में बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में उस समय के 44 श्रम कानूनों को चार या पांच संहिता में सम्मलित करने का निर्णय किया गया। ‘‘लेकिन दुख की बात है कि 2004 से 2014 तक सरकार ने इस विषय में कुछ नहीं किया।
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उन्होंने कहा कि 2014 में नरेन्द्र मोदी सरकार के शासन में आने के बाद इस कार्य को आगे बढ़ाया गया है।’’ उन्होंने कहा कि इनमें से चार संहिता में से दो को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित कानून लेकर सरकार जल्द ही संसद में आएगी। गंगवार ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में बताया कि असंगठित क्षेत्र का संकुचन होना विकास का एक ‘‘सकारात्मक’’ संकेत है तथा सरकार भारत में असंगठित क्षेत्र के बारे में अलग से आंकड़े तैयार करेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सरकार असंगठित क्षेत्र के बारे में एक राष्ट्रीय आंकड़ा तैयार करेगी।’’ उन्होंने कहा कि देश में असंगठित क्षेत्र के बारे में अलग से कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है।