नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) लिमिटेड की 2030 तक पेट्रोरसायन उत्पादन बढ़ाने तथा परिशोधन क्षमता को करीब दोगुना कर 15 करोड़ टन करने के लिए 1.43 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की योजना है। कंपनी के निदेशक (परिशोधन संयंत्र) बी. वी. राम गोपाल ने कहा कि आईओसी 2040 तक ईंधन मांग दोगुना होने के अनुमान के हिसाब से बढ़ी मांग की पूर्ति के लिए परिशोधन क्षमता का विस्तार कर रही है। इसके साथ ही हम महज परिशोधन कंपनी नहीं बने रहना चाहते हैं और इसी कारण पेट्रोरसायन तथा अन्य वैकल्पिक ईंधनों पर भी ध्यान दे रहे हैं।
कंपनी के पास अभी देश के कुल 23में से 11 परिशोधन संयंत्र हैं। इनकी कुल परिशोधन क्षमता 8.07 करोड़ टन सालाना है। उन्होंने कहा कि कंपनी यूरो-6 मानक के पेट्रोल एवं डीजल उत्पादन के लिए परिशोधन संयंत्रों के उन्नयन पर 16,628 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।निवेश का यह दौर 2020 तक पूरा होगा। इसके अलावा कंपनी पेट्रो रसायन परियोजनाओं के विस्तार पर 15,600 करोड़ रुपये तथा मौजूदा संयंत्रों की क्षमता विस्तार पर 74,600 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। गोपाल ने कहा कि 36,500करोड़ रुपये की अन्य परियोजनाएं प्रक्रिया में हैं जिन्हें अभी निदेशक मंडल की मंजूरी नहीं मिली है।
इनमें ओडिशा स्थित पारादीप परिशोधन संयंत्र की क्षमता 15 एमटीपीए से बढ़ाकर 18 एमटीपीए करने तथा बोंगईगांव संयंत्र का क्षमता विस्तार करना शामिल है। आईओसी की योजना हरियाणा के पानीपत संयंत्र की क्षमता मौजूदा 15 एमटीपीए से बढ़ाकर 25 एमटीपीए तथा गुजरात के कोयली संयंत्र की क्षमता 13.7 एमटीपीए से बढ़ाकर 18 एमटीपीए करने की है। इसके अलावा बिहार के बरौनी संयंत्र की क्षमता तीन एमटीपीए बढ़ाने और उत्तर प्रदेश के मथुरा संयंत्र की क्षमता 1.2 एमटीपीए बढ़ाकर 9.2 एमटीपीए करने की है।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहाँ क्लिक करें।