पटना, (पंजाब केसरी): लोजपा (रामविलास) ने कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा कि कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मंत्री बनने के समय से ही कृषि विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे थे और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध उन्होंने मोर्चा खोल रखा था। इसलिए भ्रष्ट अधिकारियों के समक्ष कृषि मंत्री सुधाकर सिंह को घुटने टेकने पड़े और उनको आखिरकार इस्तीफा देना पड़ा। श्री भट्ट ने कहा कि इससे यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा सरकार मैं भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं उन्होंने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री चिराग पासवान जी मौजूदा सरकार में व्याप्त घोर भ्रष्टाचार की बात कहते हैं तो माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी उनके इस वक्तव्य को सरकार का विरोध मानते हैं जबकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चिराग पासवान जी मौजूदा सरकार को आईना दिखाते हैं और उन्हें इस बाबत सिर्फ आगाह करते हैं बावजूद सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बिल्कुल संजीदा नहीं है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है श्री भट्ट ने कहा कि महागठबंधन सरकार बनने के आज कुल 32 दिनों के अंदर दो मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है । क्या यही बिहार सरकार का सुशासन व प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी की जीरो टॉलरेंस नीति है। उन्होंने कहा कि मंत्री बनने के बाद से ही सुधाकर सिंह मंडी कानून का मुद्दा उठा रहे थे। वे किसानों के हित से जुड़े मुद्दे पर लगातार मुखर रहे हैं। लेकिन सिर्फ मुद्दे उठाने से कुछ भी नहीं होगा बल्कि उसके लिए त्याग भी करना होगा। देश के किसानों और जवानों की भूमिका को कभी भी नकारा नहीं जा सकता है। इसलिए किसानों के हित में मंत्री सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भेज दिया है। हालांकि इस्तीफा नीतीश कुमार को भेजा जाना चाहिए था क्योंकि वे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इस प्रकरण से यह साबित हो गया कि सरकार के असली मुखिया तेजस्वी है, सीएम नीतीश कुमार नहीं। उन्होंने कहा कि यहां भी सुधाकर सिंह ने तेजस्वी को इस्तीफा भेजकर अपना संदेश साफ कर दिया है कि उनके नेता तेजस्वी यादव ही प्रदेश के असली मुख्यमंत्री हैं। श्री भट्ट ने कहा कि सुधाकर सिंह ने किसानों के लिए बड़ी लडाई छेड़ी है और इसके लिए उन्हें त्याग करना पडा है। लोजपा (रामविलास) सुधाकर सिंह के इस कदम को किसानों के हित में बेहद दुर्भाग्यपूर्ण मानती है