फेस्टिव सीजन से पहले भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने बड़ा झटका दिया है। आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। मई महीने के बाद से रेपो रेट अब तक चार बार इजाफा हुआ है। RBI ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी दी।
रेपो रेट में इजाफे का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला लोन महंगा होगा और मौजूदा लोन की मासिक EMI बढ़ेगी। यह चौथी बार है जब पालिसी रेट में वृद्धि की गयी है। मई से लेकर अबतक आरबीआई रेपो रेट में 1.90 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है।
गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के पॉलिसी रेट में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नए ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं।’’ आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत रहने का अनुमान है।
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उन्होंने कहा, एमपीसी ने रेपो रेट 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत करने का निर्णय किया है। एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने पॉलिसी रेट में इजाफे का समर्थन किया। साथ ही कमेटी ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त में कंस्यूमर प्राइस इंडेक्स पर आधारित महंगाई सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है। शक्तिकांत दास ने कहा कि अगर तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष (Current Financial Year) के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7.0 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वैश्विक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।