नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र की सऊदी अरब की कंपनी अरामको के साथ 15 अरब डॉलर के सौदे पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका का रिलायंस इंडस्ट्रीज ने विरोध किया है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि मध्यस्थता अदालत ने किसी भी फैसले में बकाए की बात नहीं की है। इस कारण केंद्र सरकार की याचिका प्रक्रिया का दुरुपयोग है।
कंपनी ने कहा है कि यह कहना सही नहीं है कि मध्यस्थता अदालत ने उसे और उसकी भागीदार कंपनी को सरकार को 3.5 अरब डॉलर के बकाए के भुगतान के निर्देश दिए हैं। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी भागीदार ब्रिटिश गैस को अपनी संपत्तियों के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है।
यह राशि पन्ना-मुक्ता और ताप्ती (पीएमटी) के उत्पादन-भागीदारी अनुबंध मामले में मध्यस्थता अदालत के केंद्र सरकार के पक्ष में दिए गए फैसले के तहत दी जानी थी। केंद्र सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज भारी कर्ज के बोझ में है और यही वजह है कि कंपनी अपनी संपत्तियों को बेचने, हस्तांतरित करने की प्रक्रिया में है।
ऐसा कर वह अपनी चल एवं अचल संपत्तियों में तीसरे पक्ष को ला रही है। रिलायंस यदि अपनी संपत्ति की बिक्री कर देती है तो ऐसी स्थिति में मध्यस्थता अदालत के निर्णय को अमल में लाने के लिए सरकार के पास कुछ नहीं बचेगा।