दिल्ली विश्वविद्यालय के सैकड़ों शिक्षक गुरुवार को हड़ताल पर रहे। यह हड़ताल दिल्ली सरकार से पूरी तरह वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी 12 कॉलेजों में रही। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर अजय कुमार भागी का कहना है।
- 939 शिक्षण पद सृजित किए गए
- दिल्ली सरकार समय पर ग्रांट जारी नहीं कर रही
- शिक्षा विरोधी मॉडल जनता के सामने उजागर करने का संकल्प
कई कॉलेज में शिक्षकों को बीते कई महीनों से वेतन नहीं
कि डीयू के टीचर्स दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी के पत्रों की निंदा और उन्हें खारिज करते हैं। डूटा के मुताबिक कई कॉलेज में शिक्षकों को बीते कई महीनों से वेतन नहीं मिला है। बिना वेतन के काम कर रहे 12 कॉलेजों के शिक्षकों और कर्मचारियों को पूरी धनराशि जारी करने की मांग सरकार से की गई थी, लेकिन दिल्ली सरकार ने इस संदर्भ में अभी तक कोई उचित कार्यवाही नहीं की। इसके साथ ही कॉलेजों को ग्रांट भी जारी नहीं किया।
शिक्षा विरोधी मॉडल जनता के सामने उजागर करने का संकल्प लिया
दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज में एकत्र हुए शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने अपने आंदोलन को तेज करने और दिल्ली सरकार के उच्च शिक्षा विरोधी मॉडल को जनता के सामने उजागर करने का संकल्प लिया है। मांगें पूरी नहीं होने पर मार्च महीने से दिल्ली के अलग-अलग कोनों में इसी तरह के विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू करने का संकल्प लिया गया।
939 शिक्षण पद सृजित किए गए
डूटा अध्यक्ष प्रोफेसर भागी ने शिक्षकों को बताया कि दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने दो पत्र लिखे थे, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि दिल्ली सरकार से वित्त पोषित 12 कॉलेजों में अवैध रूप से 939 शिक्षण पद सृजित किए गए हैं। इन 12 कॉलेजों में स्थायी रूप से काम कर रहे शिक्षकों के वेतन पर सरकार का करोड़ों खर्च किया गया है।
दिल्ली सरकार समय पर ग्रांट जारी नहीं कर रही
प्रोफेसर भागी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इन 12 कॉलेजों में हमारे शिक्षक दशकों से तदर्थ आधार पर अपनी सेवाएं दे रहे। इन्हें वेतन मिल रहा था, लेकिन पिछले कई सालों से दिल्ली सरकार समय पर ग्रांट जारी नहीं कर रही है। फंड में कटौती और इन कॉलेजों को आर्थिक रूप से बीमार घोषित करने के साथ ये पत्र कॉलेज के कर्मचारियों और छात्रों के प्रति दिल्ली सरकार की बांह मरोड़ने की रणनीति के अलावा कुछ नहीं है। इसका उद्देश्य इन कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय और कौशल विश्वविद्यालय जैसे राज्य विश्वविद्यालयों में स्थानांतरित करने के लिए सहमत करना है।
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