नई दिल्ली : लोकसभा के चुनावों में हुई बुरी हार से दिल्ली कांग्रेस बौखला गई है। दो दिन तक अपनी हार को दबाए रखने की कांग्रेसियों ने खूब कोशिश की लेकिन शनिवार को गुस्सा फूट पड़ा। शनिवार को दिल्ली प्रदेश कार्यालय में जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि को मनाने के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करनी थी, लेकिन वहां वरिष्ठ नेताओं की भाषणबाजी से फुंके बैठे कार्यकर्ताओं ने जब अपनी मन की बात रखी तो वरिष्ठ नेता तमतमा गए और फिर हंगामा खड़ा हो गया। बात हाथापाई तक भी पहुंच गई।
कई वरिष्ठ नेताओं ने वहां से खिसकने में ही भलाई समझी। पार्टी के नेता अब इस मामले को दबाने में लगे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार को पूर्व मंत्री मंगतराम सिंघल, परवेज हाशमी, रमाकांत गोस्वामी, रमेश कुमार, हारुन युसूफ, राजेश लिलौठिया, वीर सिंह धीगांन जैसे वरिष्ठ नेता कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने पहुंचे लेकिन कार्यकर्ताओं में हार का गुस्सा भरा हुआ था।
एक कार्यकर्ता ने सवाल उठा दिया कि ‘आप लोग आते हैं, भाषण देते हैं और चले जाते हैं, कभी कार्यकर्ताओं की भी सुना करिए, अगर कार्यकर्ताओं की सुनते तो शायद हार नहीं होती।’ इस पर मंच पर बैठे राजेश लिलौठिया तिलमिला गए और अपनी हार के लिए कार्यकर्ताओं को ही दोषी ठहरा दिया। लिलोठिया ने कहा कि उनको साजिश के तहत हराया गया। लिलौठिया ने अपनी हार के साथ-साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की हार का भी जिक्र कर दिया। राहुल की हार का जिक्र आते ही कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने लिलौठिया को बुरा-भला करना शुरू कर दिया।
कार्यकर्ताओं का कहना था कि अपनी हार को राहुल गांधी की हार से क्यों जोड़ रहे हैं? इसके बाद तो लिलौठिया ने जमकर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने अपने ही कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाना शुरू कर दिया है, उनकी वजह से ही उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। कार्यकर्ताओं के बीच आपस में बहस होने लगी। वहीं बात हाथापाई तक पहुंच गई। बैठक में मौजूद महिला कार्यकर्ता इस बहस में आपस में ही भिड़ गईं। बताया तो यह भी जा रहा है कि कार्यकर्ताओं ने वहां पर लिलौठिया को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष के पद से हटाने की मांग भी कर दी, लेकिन इसकी पुष्टि वरिष्ठ कांग्रेसी नहीं कर रहे हैं।
मामला यहीं नहीं थमा कार्यकर्ताओं ने वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाना शुरू कर दिया कि आप लोग आते हैं और सामने बैठ कर हमें आदेश सुना कर चले जाते हैं। यहां सामने बैठने के लिए भी मारा मारी मची रहती है। कार्यकर्ता अगर पहले आकर बैठ गया तो भी वरिष्ठ नेता आने पर उनको उठा देते हैं। हमें बार-बार अपमानित किया जाता है। प्रदेश कार्यालय में यह पूरा ड्रामा करीब 25-30 मिनट तक चलता रहा।