दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवल के मंत्री सत्येंद्र जैन की उस याचिका को शनिवार को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उनके खिलाफ धन शोधन के मामले को एक अन्य अदालत में स्थानांतरित करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी।जस्टिस योगेश ने कहा कि प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश (विनय कुमार गुप्ता) ने मामले को स्थानांतरित करते हुए सभी तथ्यों पर गौर किया और फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं हैं। धन शोधन के इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को कुछ परिस्थितियों को देखते हुए आशंका थी कि शायद न्याय न हो और उसका मानना है कि ऐसी आशंका को पक्षकार के नजरिए से देखना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘‘यहां सवाल किसी न्यायधीश की ईमानदारी का नहीं बल्कि एक पक्ष के मन में आशंका का है।’’ कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच एजेंसी द्वारा जतायी आशंका में देरी नहीं हुई है और तथ्य यह दिखाते हैं कि ऐसी आशंका को विभाग ने महज अपने मन में नहीं रखा बल्कि इस अदालत का रुख किया है इसलिए इसे अतार्किक नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अत: याचिका खारिज की जाती है।’’
चार कंपनियों के जरिए धन शोधन करने का आरोप
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनय कुमार गुप्ता के 23 सितंबर के आदेश को सत्येंद्र जैन ने चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। निचली अदालत ने धन शोधन के मामले को विशेष न्यायाधीश विकास ढुल को स्थानांतरित कर दिया था। इससे पहले विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थीं।जिला न्यायाधीश ने ईडी द्वारा इस मामले को स्थानांतरित करने की याचिका पर यह फैसला दिया था। एजेंसी ने कुछ मुद्दों को उठाते हुए मामला किसी और न्यायाधीश को भेजने का अनुरोध किया था। आप नेता ने दलील दी कि प्रवर्तन निदेशालय को किसी न्यायाधीश को ‘डरा-धमका कर अपना काम कराने’ नहीं दिया जा सकता। गौरतलब है कि 2017 में ‘आप’ के नेता के खिलाफ दर्ज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI ) की एक प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनयम के तहत जैन और अन्य दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जैन पर उनसे संबद्ध चार कंपनियों के जरिए धन शोधन करने का आरोप है।