उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित विश्व विख्यात शिक्षण संस्थान ‘बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय’ (बीएचयू) के परिसर क्षेत्र में दो महीने पहले जिस तरह एक छात्रा के साथ मोटरसाइकिल पर सवार होकर आये कुछ युवकों ने जो व्यवहार किया था और उसे वस्त्रहीन करके उसके साथ यौन उत्पीड़न व बलात्कार तक करने का प्रयास किया था उससे केवल प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में ‘भारत रत्न’ महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा था और यह भी सिद्ध हो गया था कि वर्तमान सामाजिक वातावरण को राजनीति जिस तरह से प्रदूषित कर रही है उससे भारत का युवा वर्ग पथ भ्रष्ट होता जा रहा है। राज्य के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ को श्रेय देना होगा कि उन्होंने इस मामले की जड़ तक जाने के लिए अपने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिये और उसने दो महीने बाद एेसे तीन युवकों को धर-दबाैचा जिनकी इस वीभत्स कांड में हिस्सेदारी थी।
पुलिस ने युवकों की गिरफ्तारी पूरी तरह निष्पक्ष भावना से न्याय की दृष्टि से की और इस बात की जरा भी परवाह नहीं की कि इन तीन युवकों का सम्बन्ध कुछ समय पहले तक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से रहा है। जब विश्वविद्यालय परिसर में दो महीने पहले यह मानवता को शर्मसार करने वाला कांड हुआ था तो अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भी विरोध- प्रदर्शन किया था और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में तो कई दिन तक लगातार छात्र-छात्राएं धरने पर बैठे रहे थे और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग करते रहे थे। पुलिस ने हालांकि दो महीने बाद ही पक्की कार्रवाई की है मगर जो कुछ भी किया है वह पक्के सबूतों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों व गवाही के आधार पर ही किया है। जिन तीन मुल्जिम युवकों को पकड़ा गया है उनमें सक्षम पटेल 20 वर्ष की आयु का है जो केवल दसवीं कक्षा पास है। दूसरा युवक 28 वर्षीय कुणाल पांडेय है जो कि बी. काॅम पास है। तीसरा युवक अभिषेक चौहान है जो दसवीं फेल है और एक साड़ी की दुकान पर काम करता है। इनमें से कुणाल पांडेय का कहना है कि वह वाराणसी भाजपा आई.टी. संभाग का संयोजक था जबकि दोनों युवकों सक्षम पटेल व अभिषेक चौहान का कहना है कि वे भी भाजपा के आई.टी. संभाग या सेल से जुड़े हुए थे। उनके सोशल मीडिया परिचय में इस बात का जिक्र है।
शहर भाजपा के अनुसार इनमें दो युवक दीपावली तक उसके आईटी सेल से जरूर सम्बद्ध थे। अतः श्री योगी की सरकार ने छात्रा को न्याय दिलाने और विश्वविद्यालय परिसर में न्याय की आवाज को बुलन्द रखने के लिए सारे राजनैतिक आग्रहों व पूर्वाग्रहों को एक तरफ रख कर विशुद्ध इंसाफ के नजरिये से कार्य किया है। उससे राज्य के निवासियों को यह ढांढस बन्धेगा कि कोई भी अपराधी अपने राजनैतिक सम्बन्धों की आड़ में उनके राज में नहीं बच सकता। श्री योगी उस राज्य के मुख्यमन्त्री हैं जिसमें स्व. चन्द्रभानु गुप्ता व चौधरी चरण सिंह भी मुख्यमन्त्री रहे हैं। हालांकि स्व. गुप्ता भी बहुत न्यायप्रिय माने जाते थे क्योंकि वह स्वतन्त्रता सेनानी थे मगर चौधरी चरण सिंह का न्याय तो राज्य के छोटे से छोटे गांव के लोगों में भी प्रसिद्ध था। चौधरी साहब तो अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाजायज मांग को सिरे से खारिज करते हुए ऐलान कर देते थे कि कानून के अनुसार ही सब के साथ काम किया जायेगा। उनके कार्यकाल मेें ऐसे एक नहीं बल्कि कई उदाहरण सामने आये। वह किसी भी जिले के जिलाधीश व पुलिस कप्तान को सबसे पहले कानून का नौकर बताते थे औऱ पार्टी के कार्यकर्ताओं को सन्देश देते थे कि वे कानून के दायरे के भीतर रह कर ही कोई काम करें और इस गलतफहमी में कतई न रहें कि राज्य में उनकी पार्टी का नेता मुख्यमन्त्री के पद पर बैठा है।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की घटना निश्चित रूप से शिक्षा के मन्दिर में हुआ ऐसा अपराध है जिसे कलंक कहा जा सकता है और इसके असली अपराधियों को सजा दिलवाना पुलिस का परम कर्त्तव्य है क्योंकि मामला देश की युवा पीढ़ी के चरित्र और उसकी मानसिकता का है। महिलाओं और छात्रों का सम्मान करना प्रत्येक पुरुष का संस्कार बने ऐसी शिक्षा हमारे शास्त्र हमें देते हैं। नारी समाज की प्रगति व विकास को किसी भी देश के विकास के समकक्ष रखने का पैमाना हमारे संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर ने तब तय किया था जब वह पश्चिम के विद्वानों के सामाजिक बराबरी के सिद्धान्तों से सहमत हुए थे। अतः युवा पीढ़ी को तो इस सन्दर्भ में वर्तमान वैज्ञानिक युग में इस मामले में और भी अधिक संजीदा होना चाहिए औऱ नारी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरक वातावरण तैयार करना चाहिए। मगर आज हम प्रायः ऐसी खबरें पढ़ते रहते हैं जिनमें समाज में ठीक इसका उल्टा होता हुआ दिखाई पड़ता है। इसकी वजह क्या युवा पीढ़ी का रूढ़ीवादी या अन्ध विश्वासी होना तो नहीं है?