किसी व्यक्ति द्वारा अपने धर्म को छोड़कर किसी नए धर्म को अपनाना धर्मांतरण कहलाता है। यह स्वेच्छा और जबरदस्ती दोनों तरीके से हो सकता है। भारत में स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना कोई अपराध नहीं है, लेकिन जबरन, धोखे से या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना कई राज्यों में आपराधिक श्रेणी में आता है। आजादी से पहले अंग्रेजों ने धर्मांतरण को लेकर कोई कानून नहीं बनाया था लेकिन कुछ रियासतों ने इस पर नियम कानून बनाए थे। धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाने को लेकर संसद में कई बार बहस हो चुकी है और संसद के मौजूद सत्र में भी इस पर बहस जारी है, लेकिन अभी तक कोई देशव्यापी कानून नहीं बना है। पिछले कुछ वर्षों में कई राज्यों ने अपने यहां जबरदस्ती फ्रॉड अथवा लालच देकर किए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए कानून बनाए हैं। भारत के संविधान में धर्मांतरण को लेकर कोई स्पष्ट अनुच्छेद नहीं है लेकिन अनुच्छेद 25 से लेकर 28 के बीच धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लेख किया गया है। अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि स्वेच्छा से भारत के हर व्यक्ति को किसी भी धर्म का प्रचार-प्रसार करने की आजादी है। यद्यपि धार्मिक स्वतंत्रता और धर्मांतरण में अंतर है। इसलिए संविधान के ये प्रावधान यहां लागू नहीं होते। देशभर में हो रही लव-जेहाद की घटनाओं से देश के हिन्दुओं के मन में आक्रोश भी है और उफान भी। लगातार हो रही घटनाओं से सामाजिक तनाव बढ़ रहा है। अब हरियाणा में भी धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हो गया है।
राज्यपाल की मंजूरी मिल जाने के बाद हरियाणा 11वां भाजपा शासित राज्य है जहां इस तरह का कानून बनाया गया है। राज्य में अब सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं होगी। यदि कोई इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसे तीन से 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही पीड़ित को गुजारा भत्ता भी देना होगा। अगर आरोपी व्यक्ति का निधन हो जाता है तो उसकी अचल सम्पत्ति बेची जाएगी और पीड़िता की आर्थिक मदद की जाएगी। अगर कोई किसी भी तरह का लालच देकर या जबरन धर्म परिवर्तन करवाता है तो 5 साल की कैद और एक लाख रुपए जुर्माना होगा। अगर कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन करता है तो पहले उसे मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी। राज्य में पिछले 4 सालों के दौरान धर्म परिवर्तन के 127 मामले आ चुके हैं। बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सरकार ने हरियाणा विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन नियम 2022 बनाया। कानून में कई प्रावधान काफी कड़े किए गए। जैसे कानून के उल्लंघन को गैर जमानती बनाया गया और शादी के लिए धर्म छिपाने पर अधिकतम दस साल की जेल का प्रावधान किया गया है।
हर रोज लव-जेहाद की घटनाएं सामने आती हैं और हर रोज धर्म के नाम पर घिनौना खेल खेला जा रहा है, जिसमें कई मुस्लिम युवक लगातार किसी खतरनाक उद्देश्य से कई हिन्दू लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद कर रहे हैं। लड़कियों को पहले तो फर्जी नाम से प्रोफाइल बनाकर उनको अपना शिकार बनाते हुुए उनसे शादी कर लेते हैं। शादी करने के बाद जल्दी से लड़की को गर्भवती कर देते हैं चूंकि यह बात ऐसे बहुत से समझ जाते हैं कि बच्चे होने के बाद लड़की कुछ नहीं कर पाती और उसके बाद हकीकत पता चलने के बाद फिर लड़की का धर्म परिवर्तन कराने का दबाव बनाते हैं। अधिकतर केसों में लड़की को इनकी बात माननी ही पड़ती है और न माने तो मार दिया जाता है। जैसा अधिकतर घटनाओं में देखा गया है। ऐसे मामलों में लड़की के परिजन भी कुछ नहीं कर पाते। चूंकि जो लड़की, लड़के का बिना बैक-राउंड जाने या उनके मर्जी के खिलाफ शादी कर लेती है तो लड़की के घरवाले उससे रिश्ता खत्म कर लेते हैं। अब एेसी घटनाओं पर दुख कम गुस्सा ज्यादा आता है। चूंकि आज के दौर में मात्र सौ रुपए की वस्तु को खरीदने के लिए हम कितनी जांच-पड़ताल करते हैं, जो मात्र कुछ समय तक ही चलती है, लेकिन जिसके साथ पूरी जिन्दगी बितानी है उसके बारे में कुछ भी नहीं जानना चाहते। चूंकि प्यार का भूत इस कदर सवार होता है हर कोई समझाने वाला दुश्मन नजर आता है।
पिछले महीने ही देश की सर्वोच्च अदालत ने जबरन धर्मांतरण को न सिर्फ धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ बताया था बल्कि इसे देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा करार दिया था। धर्मांतरण को गम्भीर मुद्दा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से इस मामले में दखल देने को कहा था। कोर्ट ने इस बात की चेतावनी भी दी थी कि अगर जबरन धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो बहुत गम्भीर परिस्थितियां आ जाएंगी। जबरन धर्मांतरण से देश का सांस्कृतिक स्वरूप बदलने का खतरा भी बना हुआ है। एक आशंका यह भी बल पकड़ रही है कि भारत को मुस्लिम देश बनाने के षड्यंत्र किए जा रहे हैं और 2050 तक भारत सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश होगा। भारत का सनातन धर्म और सनातन संस्कृति इतनी कमजोर नहीं है कि वह खत्म हो जाएगी क्योंकि सनातन धर्म बरसों तक हमले झेलकर भी जीवित रहा है लेकिन अपनी संस्कृति और संस्कारों को बचाने के लिए हमें लगातार प्रयास करने होंगे। क्योंकि हम तभी मजबूत होकर रह पाएंगे जब हम अपनी संस्कृति और संस्कारों को बनाए रखेंगे। हरियाणा सरकार द्वारा कानून बनाना सराहनीय है, लेकिन देखना यह भी होगा कि कानून का दुरुपयोग न हो।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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