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बिम्सटैकः भारत बना रक्षा कवच

श्रीलंका में गम्भीर आर्थिक संकट के बीच 18वें बिम्सटैक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।

श्रीलंका में गम्भीर आर्थिक संकट के बीच 18वें बिम्सटैक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। पड़ोसी मुल्क इस समय बड़े संकट से गुजर रहा है। ऐसे में उसे आ​र्थिक मदद की जरूरत भी है। भारत ने श्रीलंका की आर्थिक मदद की है। उसे न केवल एक बिलियन अमेरिकी डालर का ऋण दिया है साथ ही पैट्रोलियम उत्पादों की खरीद के ​लिए  अलग से 50 करोड़ अमेरिकी डालर की सहायता भी दी है। बिम्सटैक सम्मेलन से पहले भारत द्वारा सहायता इसलिए दी गई ताकि अन्य दूसरे देश भी प्रेरित होकर उसकी आर्थिक सहायता करें। संकट काल में भारत ने हमेशा पड़ोसी देशों की मदद की है। भारत ने श्रीलंका को जो संबल दिया  है उसकी सराहना श्रीलंका की सरकार के साथ विपक्षी नेता भी कर रहे हैं। सराहना होनी भी चाहिए क्योंकि भारत अन्य देशों की तरह केवल बातें ही नहीं करता बल्कि करके दिखता  भी है। श्रीलंका ​बिम्सटैक का मौजूदा अध्यक्ष है। बिम्सटैक के गठन का उद्देश्य ही बंगाल की खाड़ी देशों पर केन्द्रित एक क्षेत्रीय सहयोग वाला मंच बनाना है। जहां बैठकर सभी सदस्य देश अपनी समस्याएं एक-दूसरे से साझा कर सकें और समस्याओं का समाधान खोज सकें। इस संगठन का विकास भारत के प्रयासों से ही जून 1997 में बिस्ट-ईसी समूह बंगलादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग की स्थापना के साथ शुरू हुआ था। बाद में म्यांमार, नेपाल और भूटान के प्रवेश के बाद ​बिम्सटैक समूह गठित हुआ। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूराेप में हाल के घटनाक्रमों ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस संदर्भ में क्षेत्रीय सहयोग करना समय की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने ​बिम्सटैक चार्टर का उल्लेख करते हुए कहा कि बंगाल की खाड़ी को सम्पर्क, समृद्धि और सुरक्षा का पुुल बनाने का समय आ गया है। आतंकवाद का मुकाबला करने और हिसंक  उग्रवाद को रोकने के लिए मजबूत कानूनी मानदंड स्थापित करना हमारा लक्ष्य है। 
शिखर सम्मेलन अपने आप में सफल रहा क्योंकि पहली बार इस संगठन के चार्टर को मंजूरी मिली है। शीर्ष नेताओं में सहयोग करने की सहमति बनी है और हर सदस्य देश को एक क्षेत्र में नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भारत को बिम्सटैक में सुरक्षा व्यवस्था के क्षेत्र में होने वाले सहयोग का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी मिली  है। यानी भारत बिम्सटैक को सुरक्षा कवच प्रदान करेगा। एक तरह से देखा जाए तो भारत यह तय करने में बड़ी भूमिका निभाएगा कि बिम्सटैक देशों को किसी तरह ज्यादा सुरक्षित बनाया जाए। सदस्य देशों में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लागू करने पर भी सहमति बन गई है। 
दरअसल किसी दौर में दक्षिण एशियाई देशों का सहयोग संगठन (सार्क) काफी सक्रिय था लेकिन जिस उद्देश्य के लिए  उसका गठन किया गया था, वह कभी हासिल नहीं हो सका और न ही कारोबार के क्षेत्र में कोई प्रगति हुई। इसका बड़ा कारण पाकिस्तान रहा। पाकिस्तान ने सार्क के मंच का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे को उछालने के लिए किया। पाकिस्तान में कोई भी हुक्मरान रहा हो उसने सार्क मंचों पर कश्मीर का बेसुरा राग ही अलापा। जबकि कश्मीर मसला भारत का आंतरिक मामला रहा। सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान के पूर्व हुक्मरान परवेज ​मुशर्रफ और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की तल्खी को आज तक भारतीय नहीं भूले हैं। कई बार सार्क में टकराव भी हुआ। एक तरफ जम्मू-कश्मीर में भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का सामना करता रहा और  दूसरी तरफ वह अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देता रहा। धीरे-धीरे सार्क संगठन अर्थहीन होता गया और उसकी जगह बिम्सटैक ने ली।
भारत की पड़ोसी पहले और एक्ट ईस्ट नीतियों के चलते क्षेत्रीय एकीकरण की प्रक्रिया तेज हुई और यह उम्मीद बंध गई कि बिम्सटैक सार्क की तरह विफल नहीं होगा। वास्तव में बदले हुए परिदृश्य और दृष्टिकोण के साथ बंगाल की खाड़ी में हिन्द प्रशांत क्षेत्र का केन्द्र बनने की क्षमता है। बिम्सटैक एक गतिशील और प्रभावी संगठन बनाने के लिए सभी देशों से राजनीतिक समर्थन और उनकी मजबूत प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण है। सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी खुफिया जानकारी साझा करने, साइबर सुरक्षा, तटीय सुरक्षा, परिवहन सम्पर्क और पर्यटन सहित कई क्षेत्रों में ​बिम्सटैक सहयोग में काफी प्रगति हुई है। भारत दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में काम करने का इच्छुक है। पहला यह कि आतंकवाद, अन्तर्राष्ट्रीय अपराध और गैर सामान्य अपराधाें के खिलाफ एक ढांचा स्थापित करना और दूसरा आर्थिक क्षेत्र में सहयोग को पुख्ता करना। बिम्सटैक की सहयोग गतिविधियां सात स्तम्भों पर आधारित होगी और सुरक्षा के स्तम्भ की जिम्मेदारी भारत पर होगी। भारत के बाद बंगलादेश और  अन्य देश भी श्रीलंका की मदद करने के लिए आगे आए हैं, इससे एक सहयोग के नए अध्याय की शुरूआत होगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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