आगामी लोकसभा चुनावों में 370 से अधिक सीटें हासिल करने के लक्ष्य को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अपने दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में अपनी रणनीति तय कर ली है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय परिषद के अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए नेताओं और कार्यकर्ताओं को न केवल जीत का मंत्र दिया बल्कि चुनावों के लिए पार्टी का एजैंडा भी तय कर लिया। अधिवेशन में प्रस्तुत भाजपा के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और राम मंदिर संबंधी प्रस्तावों से पार्टी का चुनावी एजैंडा स्पष्ट हो चुका है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर भारतीय के जीवन को बदलने के लिए अभी बहुत सारे निर्णय बाकी हैं। दस साल में जो गति हासिल की है उसे और तेज करना है। हमारे सपने भी विराट होंगे और संकल्प भी। इसे हासिल करने के लिए भाजपा की सत्ता में वापसी जरूरी है।
भारत के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में राजनीतिक विश्लेषकों के बीच इस बात को लेकर आम सहमति है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हैट्रिक बनाना निश्चित है। हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों में विधानसभा चुनावों की जीत के बाद प्रधानमंत्री खुद यह भविष्यवाणी करने से पीछे नहीं हट रहे कि वे ही 2024 के चुनावों में भारी बहुमत से जीत कर सरकार बनाएंगे।
सभी प्रमुख विपक्षी दलों का बना इंडिया गठबंधन खंडित हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी 2014 में बड़े पैमाने पर सत्ता विरोधी लहर के कारण सत्ता में आए थे जबकि 2019 में उनकी दोबारा जीत लगभग तय थी। चुनावों से ठीक पहले पुलवामा के आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उसके बाद नरेन्द्र मोदी के समर्थन में राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना का तूफान खड़ा हो गया था, जिसके चलते उन्हें दोबारा शानदार जीत हासिल हुई। इस बार भारत को वैश्विक शक्ति के तौर पर उभारने का श्रेय उन्हें पूरी तरह जाता है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन चुनावों में छाया रहने वाला सबसे बड़ा मुद्दा है और सबसे बड़ा मुद्दा है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विकसित भारत का संकल्प। भाजपा ने कर्म और धर्म को मिलाकर अपना एजैंडा तैयार किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने भाषणों में सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों का उल्लेख कर अपने 10 वर्ष के शासन की उपलब्धियों को दोेहराते हैं। चुनावों के दिनों में ऐसा हर प्रधानमंत्री करते रहे हैं। यह कोई नई बात नहीं है लेकिन जो बात उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग दिखाती है वह यह है कि 2047 तक विकसित भारत की रूपरेखा प्रस्तुत करना।
प्रधानमंत्री लगातार इस बात पर बल दे रहे हैं कि सरकार के तीसरे कार्यकाल में विकसित भारत की नींव रखी जाएगी। यह एक नए कालचक्र का प्रारम्भ है। हमें अपनी चेतना का विस्तार देव से देश और राम से राष्ट्र तक करना है। यह भारत का समय है और भारत आगे बढ़ रहा है। श्रीराम मंदिर और विकसित भारत के संकल्प के पीछे उनका लक्ष्य बहुमत को अपने साथ लाना है। भाजपा 2024 के चुनाव में राम मंदिर निर्माण, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, तीन तलाक को खत्म करने और भाजपा शासित राज्यों द्वारा समान नागरिक संहिता की ओर बढ़ने तथा अन्य अपने वादे पूरा करने को लेकर जनता के बीच जाएगी। भाजपा हमेशा चुनावी मूड में रहती है और उसके कार्यकर्ता वोटरों तक पहुंचने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी का कद ऊंचा होना भी भाजपा के लिए एक प्रीमियम की तरह है।
देश की राजनीति में आजादी के बाद थोड़े समय को हटा दें तो चार दशकों तक कांग्रेस ने राज किया। कांग्रेस काे उच्च जातियाें, मुसलमान और दलितों का साथ मिला। हालांकि 70 के दशक में कांग्रेस को राज्यों में चुनौती मिलने लगी थी। फिर आया 90 का दशक। इसमें एक तरफ मंडल था दूसरी तरफ कमंडल यानि बीजेपी की हिंदूवादी राजनीति। इसने देश में गठबंधन राजनीति का दौर शुरू किया जो 2014 तक कायम रहा। 2014 आते-आते बीजेपी पूरी तरह से नए कलेवर में थी। अब तक उच्च जातियों की पार्टी कही जाने वाली भाजपा ने 2014 में बता दिया कि उसने मंडल की काट ढूंढ़ ली है। नरेंद्र मोदी ब्रांड बनकर उभरे और उनके नेतृत्व में न सिर्फ केंद्र बल्कि राज्यों में भी बीजेपी का परचम लहराया। हिंदुत्व प्लस मोदी ब्रांड की सबसे खास उपलब्धि रहा। यूपी जहां बीजेपी बस सांस ले पा रही थी। दो बार से प्रचंड बहुमत से सरकार में है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा को दक्षिण भारत के राज्यों में मजबूत करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पांच दक्षिणी राज्यों की 129 लोकसभा सीटों में से केवल 29 सीटेें जीत सकी थी। इनमें से 25 सीटें कर्नाटक से आई थीं। तमिलनाडु, केरल और आंध्र में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी। प्रधानमंत्री लगभग एक महीने से दक्षिण भारत के राज्यों में लगातार दौरे पर रहे हैं और वहां नए हवाई अड्डों सहित कई बड़ी परिजनाओं की सौगातें दे रहे हैं। भाजपा का लक्ष्य दक्षिणी राज्यों में अपनी सीटों को बढ़ाना है।
विपक्षी गठबंधन की बात करें तो कांग्रेस का अपना घर ही ध्वस्त हो रहा है। कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। कांग्रेस नेता विहीन नजर आ रही है। लगातार मिल रही हार से पार्टी कैडर पहले से ही हताश है। चुनावों में मोदी की गारंटी काम करती नजर आएगी। प्रधानमंत्री हमेशा अस्तित्व में रहने वाले नए भारत की परिकल्पना को गढ़ रहे हैं और उन्होंने विकास और सांस्कृतिक, धार्मिक जागरण को मिलाकर ऐसा दृश्य तैयार कर दिया है जिसमें हर भारतीय को अपनी विरासत पर गर्व महसूस हो रहा है। उनका तीसरा कार्यकाल लगभग अपरिहारया प्रतीत होता है। भाजपा तीसरे कार्यकाल के लिए पूरी तरह से तैयार है।