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वैक्सीन सबसे पहले हो

पिछले दिनों केन्द्रीय मन्त्रिमंडल में जो फेरबदल किया गया उसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी नये स्वास्थ्य मन्त्री श्री मनसुख मांडविया पर यह डाली गई कि वह देश को कोरोना संक्रमण की भयावहता से बाहर निकालेंगे।

पिछले दिनों केन्द्रीय मन्त्रिमंडल में जो फेरबदल किया गया उसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी नये स्वास्थ्य मन्त्री श्री मनसुख मांडविया पर यह डाली गई कि वह देश को कोरोना संक्रमण की भयावहता से बाहर निकालेंगे। इसके साथ ही विभिन्न देशों से जिस प्रकार कोरोना संक्रमण के नये उत्परिवर्तन ‘डेल्टा’ के फैलने की खबरें आ रही हैं उसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के विभिन्न उच्चाधिकारियों ने चेताया है कि कोरोना से निपटने की वैक्सीन आ जाने के बाद अब पलड़ा हमारी तरफ झुका हुआ है, अतः विभिन्न देशों की सरकारों को जल्दी से जल्दी अपने सभी नागरिकों के वैक्सीन लगा कर संभावित तीसरी कोरोना लहर को प्रभावी होने से रोक देना चाहिए। भारत के सन्दर्भ में हमें बहुत गंभीरता के साथ इस सुझाव पर विचार करना चाहिए औऱ आम जनता को वास्तविकता से अवगत कराते हुए चलना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोग सुरक्षित रह सकें और सावधानी बरत सकें परन्तु गौर से देखा जाये तो इसका सारा दारोमदार अब सरकार पर ही निर्भर करता है अतः उसे भारतवासियों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता से लेकर इसके उत्पादन व आयात के बारे में स्पष्ट आंकड़ें  सामने रखने चाहिए। जाहिर तौर पर यह जिम्मेदारी श्री मनसुख मांडविया की है कि पूरे देश को विश्वास दिलायें कि आगामी दिसम्बर महीने तक प्रत्येक नागरिक को कोरोना टीका लगाने का काम सफलता पूर्वक पूरा हो जायेगा। फिलहाल इस विवरण के बारे में देश में भ्रान्ति का माहौल बना हुआ है क्योंकि दिसम्बर तक कुल 94 करोड़ वयस्कों में प्रत्येक को टीका लगाने का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब रोजाना 90 लाख के लगभग लोगों को टीका लगाया जाये। जबकि फिलहाल 40 लाख या इससे कम लोगों को ही रोजाना टीका लग रहा है। कई प्रदेशों की सरकारें वैक्सीन की कमी होने की केन्द्र सरकार से शिकायत कर रही हैं। यदि यह सही है तो स्वास्थ्य मन्त्रालय को वैक्सीन क्षमता व उत्पादन के सही आंकड़े सभी राज्य सरकारों के साथ साझा करने चाहिए जिससे किसी भी प्रदेश में वैक्सीन लगाने के केन्द्रों पर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा होकर बाद में निराशा में न पड़ सके। लोकतन्त्र की यह पहली शर्त होती है कि लोगों का विश्वास उनकी चुनी हुई सरकारों में हर हालत में बना रहे और यह कार्य पारदर्शिता से ही संभव होता है। अतः नये स्वास्थ्य मन्त्री को लोगों को यह विश्वास दिलाना होगा कि सरकार के पास वैक्सीन की पर्याप्त सुलभता है और प्रत्येक राज्य सरकार को उसकी जरूरत के मुताबिक वैक्सीन उपलब्ध कराई जायेगी। यह सबसे जरूरी इसलिए है कि कोरोना संक्रमण के चलते  आम लोग दाेहरी मार झेल रहे हैं। एक तरफ उनकी आमदनी घट कर आधी हो गई है और रोजगार खत्म हो रहा है और दूसरी तरफ महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। 
भारत में लाॅकडाउन की वजह से चार करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं और जो लोग बारोजगार हैं उनकी तनख्वाहें या तो आधी हो चुकी हैं अथवा आमदनी कम हो चुकी है। वह स्थिति बहुत ही वीभत्स होगी यदि भारत में कोरोना की तीसरी लहर पसर जाती है। अतः स्वास्थ्य मन्त्री पर वक्त ने बहुत बड़ी राष्ट्रीय जिम्मेदारी लाद दी है कि हर भारतीय परिवार स्वयं को अधिकाधिक सुरक्षित महसूस कर सके और देश की आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने में अपना योगदान कर सके। इसलिए बहुत आवश्यक है कि दिसम्बर तक प्रत्येक वयस्क के वैक्सीन लगने का खुला खाका सार्वजनिक विश्लेषण के लिए जारी हो। इस मामले में सरकार के वे सभी प्रयास जग जाहिर होने चाहिए जो वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिए किये जा रहे हैं। ये सूचनाएं टुकड़ों में विभिन्न सरकारी अधिकारियों द्वारा नहीं आनी चाहिए बल्कि स्वयं स्वास्थ्य मन्त्री को मोर्चा संभालते हुए गांवों में रहने वाले नागरिक से लेकर शहरों की ऊंची अट्टालिकाओं में प्रवास करने वाले शहरी या संभ्रान्त कहे जाने वाले व्यक्ति को विश्वास में लेना होगा। इसकी वजह यह है कि कोरोना की दूसरी लहर ने भारत के लगभग हर परिवार को भीतर से लाचार और घायल बना कर छोड़ दिया है। हमें अब इस प्रकार तैयारी करनी है कि कोरोना संक्रमण का खतरा कम से कम रहे। इसके लिए केवल वैक्सीन ही एकमात्र उपाय है। अतः सबसे ज्यादा जोर वैक्सीन की प्रचुरता पर ही देना है। यह प्रचुरता तभी संभव होगी जब आम लोगों को यह पता चलेगा कि भारत में वैक्सीन उत्पादक इकाइयों समेत आयातित वैक्सीन की क्षमता इतनी बढ़ा दी गई है कि दिसम्बर तक 180 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन क्रमशः उपलब्ध होती जायेगी। हालांकि इस बारे में सरकार आंकड़े पेश करती रही है मगर उनमें स्पष्टता नहीं है क्योंकि अभी तक आम जनता को यही पता नहीं है कि भारत में उत्पादित कोवैक्सीन व कोविशील्ड की सकल आठ करोड़ क्षमता को बढ़ा कर कितना करने की व्यवस्था कर दी गई है।  अभी तक केवल रूसी वैक्सीन स्पूतनिक का ही आयात हुआ है और हाल में ही इसे भारत के सीरम संस्थान में उत्पादित करने की अनुमति दी गई है। भारत की जनता यह भी जानना चाहती है कि कोविशील्ड व कोवैक्सीन की कितनी अन्य उत्पादन इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। हम देख चुके हैं कि कोरोना की दूसरी लहर का खामियाजा हमें इसी वजह से भुगतना पड़ा क्योंकि हम गफलत में थे। यह गफलत इस कदर थी कि हमने अपनी जरूरतों के लिहाज से वैक्सीन की सुलभता पर ध्यान ही नहीं दिया था। अतः ऐसी गफलत का आलम दोबारा किसी कीमत पर न बनने पाये और हम कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को भी टाल सकें। इसके लिए जरूरी है कि किसी भी राज्य से यह आवाज न आये कि उसके पास वैक्सीन खत्म हो चुकी है या उसे अपने वैक्सीन केन्द्र बन्द करने पड़ रहे हैं। मनसुख मांडविया अब रसायन मन्त्री भी हैं और उनके हाथ में ही यह शक्ति है कि वह वैक्सीन उत्पादन करने के लिए नई फार्मा कम्पनियों को प्रारम्भिक तौर पर लाइसेंस दें। अतः नये स्वास्थ्य मन्त्री को अपनी कर्मठता का दीदार आम जनता को करना ही पड़ेगा। इसके साथ ही देश की सभी राज्य सरकारों को पूरी निष्ठुरता के साथ सभी प्रकार के धार्मिक व सामाजिक आयोजनों पर तब तक प्रतिबन्ध लगाना होगा जब तक कि कोरोना का खतरा पूरी तरह टल न जाये। इस मामले में न आस्था कहीं आती है और न श्रद्धा। व्यक्ति का हृदय ही सबसे बड़ा साधना केन्द्र होता है। हर धर्म कहता है सबसे पहले इंसान बनो। 

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