पहली बार इस देश में कोई ऐसी सरकार आई है जो हिंदुस्तान के नाम की सार्थकता को प्रमाणित कर रही है। हिंदुस्तान में रहने वाले नागरिक हिंदू पहले हैं इसके बाद जात-पात और मजहब की बात आती है। जिस देश में धारा 370 को जम्मू-कश्मीर से खत्म कर दिये जाने की हिमाकत करने वाली मोदी सरकार हो तो उससे ज्यादा उम्मीदें हर कोई रखेगा ही। जिस देश में 100 साल से भी ज्यादा मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर लफड़ा चल रहा हो और वहां कानून के दायरे में सुप्रीम कोर्ट संवैधानिक व्यवस्थाओं का सम्मान करते हुए मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का ऐलान कर दे तो उस सरकार से उम्मीदें हर कोई लगायेगा ही।
जिस देश के असम जैसे राज्य में अगर घुसपैठियों की संख्या वोटर के रूप में बन जाये और वे सभी मुसलमान हों तो देश के हिंदुओं को अल्पसंख्यक होने का खतरा पैदा हो जाये तो वहां एनआरसी अर्थात नेशनल सिटीजन रजिस्टर लाना कोई बुरी बात नहीं। इतना ही नहीं अब तो एनआरसी पर संशोधन विधेयक लाकर सरकार ने इसे संविधान के दायरे तले लोकसभा और राज्यसभा में पारित भी करा लिया है तो इस सरकार से हर किसी की उम्मीदें ज्यादा होंगी ही। अगर मोदी सरकार मुसलमानों से जुड़े एक मामले तीन तलाक को खत्म करने के लिए कानून ला सकती है तो लोगों की इस सरकार से उम्मीदें बढ़ेंगी ही।
हम मानते हैं कि शहीदे आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बापू के देश में सरदार पटेल जैसे मजबूत इरादे लेकर राष्ट्र के लिए काम करने जैसी ललक लेकर अगर पीएम मोदी और गृहमंत्री के रूप में अमित शाह डटे हुए हैं तो ऐसा उदाहरण अब तक कभी नहीं मिला। इनकी कर्त्तव्यपरायणता और काम करने के अंदाज की जितनी तारीफ की जाये वह कम है। पर एक अहम चीज के बारे में देशवासी अगर चिंता कर रहे हैं और बराबर सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं शेयर कर रहे हैं तो वह आर्थिक मोर्चा है। इस सरकार को आर्थिक मौर्चे पर अभी बहुत कुछ करना है।
जीडीपी बहुत नीचे है, महंगाई की बात तो छोड़ो प्याज तक सेंचुरी मार चुका है। सोने-चांदी की कीमतें आसमान छू रही हैं। रियल स्टेट जगत में उदासी छायी है। नोटबंदी के बाद पैसा बाजार से गायब है। लोगों की जेबें खाली हैं और उद्योगपति अडानी को 1.40 हजार करोड़ के नए ठेके सरकार ने दिए हैं। अगर ऐसा है तो विपक्ष इस सरकार को पूंजीपतियों की सरकार ही कहेगा। लिहाजा सरकार को अपनी छवि सुधारनी होगी। पूरी अर्थव्यवस्था बैठ रही है यह बात हम नहीं लोग कह रहे हैं और लोगों की इस चिंता में हम भी हमसफर हैं।
इसीलिए हमारा यह मानना है कि इस समय आर्थिक मोर्चे पर सरकार की पहली प्राथमिकता अगर कोई होनी चाहिए तो वह बेरोजगारी को दूर करने को लेकर होनी चाहिए। हालांकि सरकार इसमें जरूर चिंतित होगी लेकिन लोगों की उम्मीद काम करने वाली मोदी सरकार से इसलिए ज्यादा है कि वह राष्ट्रभक्ति, कर्त्तव्यपरायणता और हिंदुत्व को लेकर परिणाम दे चुकी है। लोग अब आर्थिक मोर्चे पर बेरोजगारी का खात्मा चाहते हैं। इस परिणाम के अच्छा निकलने से लोग खुश हो जायेंगे। लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं कि व्यापारी व उद्यमी हर कोई जीएसटी की जटिलताओं से परेशान है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ भी पंजाब के बाद भाजपा के हाथ से निकल गए और हाल ही में महाराष्ट्र भी निकल गया। हरियाणा बाल-बाल बच गया। झारखंड पर खतरा मंडरा रहा है। अगर सोने-चांदी की कीमतों पर नियंत्रण हो जाये, रियल स्टेट अर्थात प्रोपर्टी की खरीद-फरोख्त में तेजी आ जाये, रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जायें, पैट्रोल-डीजल के मूल्य कंट्रोल हो जाये तो लोगों को और क्या चाहिए। यही तो परिणाम है। महंगाई काबू में रहे जीडीपी डाउन न रहे और विकास दर चढ़ती रहे और सरकार को इसके लिए दावा न करना पड़े तो हर कोई मान लेगा कि अर्थव्यवस्था पटरी पर है।
जो हकीकत में इसके उलट है। कृषि, फसल और किसान के मुद्दे या फिर काला धन ये सब अर्थव्यवस्था से जुडे़ मुद्दे हैं, हमें इस मामले पर सरकारी तंत्र से किसी भाषण की उम्मीद नहीं बल्कि परिणाम की जरूरत है। सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि यह सरकार सब कुछ कर सकती है बस इस में बहुत सुस्त है जिससे अर्थव्यवस्था नोटबंदी के बाद डाउन चल रही है। बाजार में नकदी का प्रवाह कम है और प्राइवेट सैक्टर अगर चिंतित है तो कल सरकारी सैक्टर के तहत भी चिंता की आग आगे बढ़ सकती है। रुपया डालर की तुलना में जमीन फाड़ कर नीचे जा धंसा है।
सरकारी कंपनियां जिस तरह से बैठ रही हैं वह भी लोगों की चिंता बढ़ा रही हैं। हमारा मानना है कि अगर आर्थिक मुद्दे पर मोदी सरकार आगे बढ़ लें तो अब तक गुड से बैटर बनने वाली मोदी सरकार बहुत जल्दी बेस्ट भी बन जायेगी। लोगों को इसका इंतजार है पर हम भी यही कहेंगे कि लोगों की मांग भी यही है और सही समय पर अगर परिणाम निकल जाये तो फिर मोदी सरकार न सिर्फ भारत के नक्शे पर बल्कि पूरी दुनिया में एक नजीर बनकर स्थापित हो जायेगी।