2018 में भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए थे। उस वक्त भी टी.एस. सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, चरणदास महंत जैसे दिग्गज नेता मुख्यमंत्री पद की दौड़ में थे। लेकिन भूपेश बघेल सब पर भारी पड़े। भूपेश बघेल ने 1993 में पहली बार दुर्ग की पाटन विधानसभा से चुनाव लड़ा था। 1998 में भाजपा की निरुपमा चन्द्राकर को हराने के बाद उन्हें मध्य प्रदेश की दिग्विजय सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के बाद 2003 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई तब भूपेश बघेल ने विधानसभा में विपक्षी दल के उपनेता की जिम्मेदारी निभाई। ऐसा नहीं है कि भूपेश बघेल ने हमेशा ही जीत का स्वाद चखा है। 2004 में और 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। क्रिकेट की एक चर्चित कहावत है ‘कैचस विन मैचस’ मतलब कैच गिरा और मैच हाथ से गया। न खेल में न ही राजनीति में चूक की कोई गुंजाइश नहीं होती। भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री बनकर ऐसा कैच पकड़ा कि वह हर बाजी जीतते ही चले गए। छत्तीसगढ़ में उनके नेतृत्व में राज्य ने न केवल अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाई बल्कि आर्थिक रूप से भी काफी प्रगति की।
छत्तीसगढ़ को सश्य श्यामला धरती कहा जाता है। राज्य में भरपूर खनिज सम्पदा है। सबका लाभ यहां के लोगों को मिलना चाहिए। लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार मिलना ही चाहिए। भूपेश बघेल ने जमीनी राजनीतिज्ञ होने का परिचय देते हुए इन्हीं सब बातों पर ध्यान केन्द्रित किया और राज्य के लोगों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चलाईं। लोगों के अधिकारों एवं उनके सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रयास किए। एक तरफ गोबर बेचकर लोग पैसा कमा रहे हैं, तो दूसरी तरफ लघु उपज का संग्रहण अधिक हुआ। इससे लोगों की आमदनी बढ़ी। बघेल सरकार द्वारा शुरू की गई राजीव गांधी न्याय योजना के कारण पशु पालन की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा, दूध और धान के उत्पादन में वृद्धि हुई और इससे लोगों के जीवन में बहुत परिवर्तन आया। छत्तीसगढ़ की पहचान कभी लाल आतंक की बन गई थी। बघेल सरकार ने राज्य के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में िवकास की बयार बहाई और इन क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था से लेकर रोजगार तक काम किया गया जिससे राज्य के लाल आतंक की पहचान ही बदल गई। यद्यपि विपक्ष भाजपा राज्य सरकार की आलोचना तो करती है लेकिन यह भी तथ्य है कि राज्य की कई योजनाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
राज्य में काफी आबादी आदिवासियों की है। राज्य सरकार ने आदिवासियों के जीवन स्तर को सुधारने, उनकी सांस्कृतिक पहचान को अक्षुण बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास किए। विश्व आदिवासी दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर और सरगुजा संभाग को 1000 करोड़ के विकास कार्यों की सौगात दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने आदिवासी पर्व सम्मान निधि योजना की दूसरी किश्त में 5633 पंचायतों को जारी कर दी है। आदिवासी पर्व सम्मान योजना के तहत वन अधिकार पत्र, वन संसाधन अधिकार पत्र और सामुदायिक वन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं। इन योजनाओं के चलते आदिवासी युवा, किसान, मजदूर संतुष्ट नजर आ रहे हैं। सरकार की नीतियों के चलते महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए 13 हजार करोड़ के ऋण माफ किए गए हैं। महिलाओं के आत्मसम्मान के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।
धान की खरीद ने रिकाॅर्ड कायम कर डाले। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद अब तक सर्वाधिक धान खरीदी खरीफ सीजन में हुई। राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का पुराना रिकाॅर्ड भी टूट गया। छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले साल धान की प्रति क्विंटल 1940 रुपए के खरीद मूल्य को बढ़ाकर वर्ष 2023-24 के लिए 2040 रुपए कर दिया है। इसके अलावा धान ए ग्रेड की कीमत 2060 रुपए किया गया है। इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिल रहा है। किसान घर बैठे टोकन लेकर धान बेच रहे हैं। सबसे ज्यादा धान जमा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का दूसरा राज्य बन चुका है।
भूपेश बघेल के नाम बड़ी उपलब्धि यह है कि उनके शासन के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी नीतियों के चलते खेती-किसानी और किसानों के जीवन में सुखद बदलाव आया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य में फसल उत्पादकता एवं फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा संचालित राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अलावा गोधन न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, किसानों की कर्ज माफी, सिंचाई कर माफी से राज्य के किसानों को एक नई ताकत मिली है, जिसके चलते राज्य में किसानों की संख्या और खेती के रकबे में लगातार वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान हितैषी योजनाओं से इन चार वर्षों में लगातार किसानों की पंजीयन संख्या में वृद्धि हुई है। इस वर्ष 24.96 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है, इनमें 2.30 लाख नए किसान हैं। किसानों को धान विक्रय में सहूलियत हो इस लिहाज से इस साल राज्य में 135 नए उपार्जन केन्द्र शुरू किए गए, जिसके कारण कुल उपार्जन केंद्रों की संख्या 2617 हो गई है।
भूपेश बघेल का कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक कद काफी बढ़ चुका है। कांग्रेस ने एक किसान के बेटे को मुख्यमंत्री बनाकर एक संदेश दिया था कि राज्य के किसान आिदवासी गरीब सब सुरिक्षत रहेंगे। मुख्यमंत्री यह संदेश देने में सफल रहे हैं। उन्होंने एक आक्रामक राजनीति करने वाले कांग्रेस नेता के रूप में पहचान भी बनाई है। वे िवपक्ष के आरोपों का जवाब आक्रामक तरीके से देते आ रहे हैं। इसलिए वह विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के अन्य नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com