वरिष्ठ नागरिक दिवस हर साल 1 अक्तूबर को मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण दिन है। वैसे तो भारतीय संस्कृति के हिसाब से रोज ही वरिष्ठ नागरिक दिवस होता है। हमारे घरों में, समाज में बुजुर्गों का सम्मान होता है और होना भी चाहिए। क्योंकि सारी उम्र बुजुर्गों ने बच्चों और समाज के लिए जीवन का अमूल्य समय देकर सेवा की होती है। अब उनका समय है अपने लिए जीने का, आराम करने का, आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने का।
19 साल पहले हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना की थी, तब सबने सोचा था कि क्या हो सकता है। बहुत से लोगों ने कहा कि किरण बच्चों का काम करो, लड़कियों के लिए काम करो, खुशियां मिलेंगी। बुजुर्गों के िलए काम करोगी तो डिप्रेशन होगा। यह इस उम्र में अक्सर दुखी होते हैं, कभी बीमारी कभी घर से परेशानी, कभी साथी चला जाता है। परन्तु अश्विनी जी के दादा जी लाला जगत नारायण जी की यही इच्छा थी, इस देश में बुजुर्गों के लिए कुछ अच्छा होना चाहिए। उन्होंने जीवन की संध्या नामक बहुत से आर्टिकल लिखे, फिर अश्विनी जी भी यही चाहते थे कि बुजुर्गों के लिए उनके दादा और पिता जी की इच्छा अनुसार उनकी याद में कुछ न कुछ किया जाए। इतने में मैं और अश्विनी जी अमेरिका गए, वहां हमने एक ओल्ड होम का दौरा किया। तो वहां का दृश्य देखकर हम दोनों बहुत ही भावुक हुए। क्योंकि वहां के सभी बुजुर्ग बड़ी अजीब सी जिन्दगी जी रहे थे या यूं कह लो कि वो आए दिन अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे थे, तो अश्विनी जी ने मेरी तरफ बड़ी अर्थपूर्ण नजरों से देखा तो मैंने वहीं निश्चय कर लिया कि भारत जाकर सबसे पहले यही काम करूंगी और आकर मैंने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की स्थापना की। क्लब जानबूझ कर नाम रखा ताकि इस उम्र में बुजुर्ग बेचारगी या असहाय न महसूस करें। वह बड़ी शान से कहें कि हम क्लब जा रहे हैं।
इसमें तीनों वर्गों के बुजुर्गों के लिए काम किया जाता है। उच्च और मध्यम वर्ग के बुजुर्गों को बहुत सी एक्टिविटीज करवाई जाती हैं और उनमें आत्मविश्वास भरा जाता है कि वो किसी से कम नहीं और जिन्दगी के हर पल को एंज्वाय कर सकते हैं। मर्यादा में रहकर वो शायर, एक्टर, गीतकार, संगीतकार, डांसर सब कुछ हैं और अपनी अधूरी इच्छाएं और शौक पूरा करते हैं।
जरूरतमंद बुजुर्गों के लिए बहुत से निःशुल्क हैल्थ कैम्प लगाए जाते हैं। उनकी जरूरत का सामान बांटा जाता है और दुनिया में पहली बार उनकी एडोप्शन का सिस्टम चलाया है, यानि बच्चों को तो सभी एडोप्ट करते हैं, जरूरतमंद बुजुर्गों को एडोप्ट करो। एडोप्शन मतलब उनको घरों में नहीं लेकर जाना, उनको इस समय दवाइयों और खाने की जरूरत है तो उन्हें आर्थिक सहायता की मदद करो। यानि एक बुजुर्ग 2000, 3000, 5000 के साथ एडोप्ट करो। इससे बहुत से बुजुर्ग अपने बच्चों के साथ सम्मानपूर्वक जिन्दगी जी सकते हैं। क्योंकि अक्सर बच्चे हमारे पास आते हैं कि महंगाई है, हम माता-पिता को नहीं रख सकते। हमें वृद्ध आश्रम बता दीजिए। तो हम कहते हैं भारत देश श्रीराम का देश है। वृद्ध आश्रम रोटी, छत तो दे सकते हैं परन्तु अपनापन नहीं। तो हम उनकी दवाई और खाने का खर्च देंगे। आप उन्हें अपने साथ रखें। तो यह है एडोप्शन। कोई एक बुजुर्ग एडोप्ट करता है, कोई 5, कोई 10, कोई 100 भी करता है। इससे बहुत से बुजुर्ग अपने घरों में रह रहे हैं। बस हमारी आज के दिन सरकार से यही प्रार्थना है कि हर बुजुर्ग यानी 65 से ऊपर व्यक्ति की सोशल सिक्योरिटी जरूर होनी चाहिए। मैडिकल सुविधा निःशुल्क होनी चाहिए, रेलवे और जहाज की यात्रा 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर मिलनी चाहिए। क्योकि सारी उम्र इन्होंने टैक्स भरे होते हैं। अब इन्हें इस समय इन सभी सुविधाओं की जरूरत है।

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