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भए प्रकट कृपाला…

यदि राष्ट्र की धरती अथवा सत्ता छिन जाए तो शौर्य उसे वापिस ला सकता है। यदि धन नष्ट हो जाए तो परिश्रम से कमाया जा सकता है।

यदि राष्ट्र की धरती अथवा सत्ता छिन जाए तो शौर्य उसे वापिस ला सकता है। यदि धन नष्ट हो जाए तो परिश्रम से कमाया जा सकता है। यदि राष्ट्र की पहचान ही खो दे तो कोई भी शौर्य या परिश्रम उसे वापिस नहीं ला सकता। इसी कारण भारतीयों ने विषम परिस्थितियों में लाखों अवरोधों के बाद भी राष्ट्र की पहचान को बनाए रखने के लिए अनेक लड़ाइयां लड़ीं और बलिदान दिए। इसी राष्ट्रीय चेतना और पहचान को बचाए रखने के लिए देश के बहुसंख्यक हिन्दुओं को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण का संकल्प पूरा करने के​ लिए वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। अब करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के चलते अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर तैयार होने की तारीख आ गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने त्रिपुरा की धरती पर खड़े होकर यह ऐलान कर दिया है कि एक जनव​री 2024 को राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ राम मंदिर ही नहीं मां त्रिपुरा सुन्दरी का मंदिर भी ऐसा भव्य बनेगा कि पूरी दुनिया यहां देखने आएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में हिन्दुओं की आस्था के केन्द्र काशी विश्वनाथ का शानदार कारिडोर बनाया गया। महाकाल का कारिडोर बनाया गया। सोमनाथ और अंबाजी का मंदिर सोने का हो रहा है।
देश के सभी धार्मिक स्थलों का पुराना वैभव लौट रहा है। जनसंघ के काल से ही भाजपा के एजैंडे में तीन मुद्दे प्रमुखता से शामिल रहे। पहला अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण, दूसरा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का उन्मूलन और समान नागरिक संहिता लागू किया जाना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में ही भाजपा अपने एजैंडे  को पूरा कर पाई है। गृहमंत्री अमित शाह ने राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हमेशा के लिए हटा दिया और अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ और सरकार समान नागरिक संहिता से जुड़े मुद्दों पर काफी आगे बढ़ चुकी है। मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार ढाने वाले तीन तलाक को भी एक तरह से खत्म किया जा चुका है। नरेन्द्र मोदी सरकार को भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख मुद्दों को पूरा करने का श्रेय मिलना ही चाहिए। अब श्रीराम मंदिर निर्माण 2024 को पूरा होने के साथ ही हिन्दुओं का स्वप्न साकार हो जाएगा। जब वे श्रीराम लला के दर्शन कर गर्व महसूस करेंगे। 
श्रीराम का सम्पूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, कर्त्तव्य और मर्यादित आचरण का उत्कृष्ट स्वरूप है। मर्यादा निर्माण का यह अभ्यास विश्व इतिहास में अनूठा है। यही कारण है कि विज्ञान और विकास के दौर में भी श्रीराम जनमानस के देवता हैं। राम शक्ति के ही नहीं विरक्ति के भी प्रतीक हैं। राम भगवान से पहले एक व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने जीवन में ऐसे कार्य किए हैं जिन्हें हम दैनिक जीवन में अपना सकते हैं। जनमानस की व्यापक आस्थाओं के इतिहास को देखें तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कण-कण में विद्यमान हैं। श्रीराम इस देश के पहले महानायक हैं। राम का जो विराट व्यक्तित्व भारतीय जनमानस पर अंकित है, उतने विराट व्यक्तित्व का नायक अब तक के इतिहास में कोई दूसरा नहीं हुआ। राम के जैसा दूसरा कोई पुत्र नहीं। उनके जैसा सम्पूर्ण आदर्श वाला पति, राजा, स्वामी कोई भी दूसरा नाम नहीं। राम किसी धर्म का हिस्सा नहीं, बल्कि मानवीय चरित्र के उदात हैं।
भगवान राम के पावन नाम के स्मरण मात्र से प्राणों में सुधा का संचार होता है। इस नाम की महिमा कौन नहीं जानता। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के प्रतीक पुरुष श्रीराम भारतीयों के रोम-रोम में बसे हुए हैं। मैथलीशरण गुप्त का साकेत सचमुच इस बात की घोषणा करता है।
‘‘राम तुम्हारा वृत स्वयं ही काव्य है
कोई कवि हो जाए सहज संभाव्य है।’’
आज भारत को भावनात्मक एकता की जरूरत है। आज आदर्शों की बात होनी चाहिए। चरित्र की बात होनी चाहिए। व्यवहार की बात होनी चाहिए। मानव कल्याण और विश्व शांति की बात होनी चाहिए। आज समूचा विश्व जल रहा है। विश्व आज उस मुकाम पर खड़ा है, जहां विध्वंस ही विध्वंस नजर आ रहा है। विश्व में शांति का मार्ग बताएगा तो वह श्रीराम मंदिर ही होगा। पूरी दुनिया हमारी इस धरोहर का लाभ उठाए तभी शांति की स्थापना हो सकती है। हमें श्रीराम के नाम की पावन शक्ति को पहचानना होगा और उसके सदुपयोग से देश में अशांति को समाप्त करना होगा। श्रीराम मंदिर साम्प्रदायिक सद्भाव और ​विश्व शांति के रूप में उभरे यही भारतीयों की कामना है। हमें इस बात का हमेशा गर्व रहेगा कि हमने अपने जीवन में श्रीराम लला के दर्शन कर अपना जीवन सफल बनाया है। हमें बेसब्री से इस बात का इंतजार है कि कब श्रीराम मंदिर हम सबके दर्शनार्थ खोला जाएगा और हम सब श्रीराम को नमन करेंगे।
“भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्‍या हितकारी।
हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी।।’’

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