यूएनजीए में भारत की बड़ी कामयाबी - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

यूएनजीए में भारत की बड़ी कामयाबी

संयुक्त राष्ट्र आम सभा में भारत को बहुत बड़ी सफलता मिली है। भारत हिन्द महासागर में प्रमुख स्थान रखने वाले अपने दोस्त मालदीव को आम सभा के 76वें सत्र का अध्यक्ष पद दिलाने में कामयाब रहा है।

संयुक्त राष्ट्र आम सभा में भारत को बहुत बड़ी सफलता मिली है। भारत हिन्द महासागर में प्रमुख स्थान रखने वाले अपने दोस्त मालदीव को आम सभा के 76वें सत्र का अध्यक्ष पद दिलाने में कामयाब रहा है। भारत के लिए मालदीव को अध्यक्ष पद ​दिलाना कितनी बड़ी कामयाबी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी जो यूएनजीए के अध्यक्ष हैं, वो तुर्की के रहने वाले हैं और आए दिन कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के समर्थन में बयान देकर भारत को ​निशाना बनाते रहते हैं। इस बार के चुनाव में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों ने हिस्सा लेना था  मालदीव दक्षिण एशिया का सबसे छोटा देश है लेकिन हिन्द महासागर में इसकी भौगोलिक स्थिति की वजह से इसका सामरिक महत्व है। 
भारत के लिए हाल के वर्षों में मालदीव की सामरिक अहमियत और बढ़ी है। एक तो चीन का बढ़ता दबदबा और दूसरा मालदीव में कट्टरपंथ का फैलाव, इन दो कारणों की वजह से मालदीव को लेकर दिल्ली की चिंताएं बढ़ गई थीं। वर्ष 2008 में 30 वर्षों की तानाशाही के खत्म होने के बाद जब मालदीव में लोकतंत्र बहाल हुआ है तब से ही देश में लोकतंत्र का सफर बड़ी कठिनाइयों से गुजरा है। 30 वर्षों तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे मोमून अब्दुल ग्यूम के भारत से करीबी रिश्ते रहे। एक बार उनके तख्ता पलट की कोशिश कोेेेेेेेेेेेे नाकाम करने के ​लिए भारत ने अपनी सेना भेजी थी। उसके बाद राष्ट्रपति बने मोहम्मद नशीद अमेरिका और ​ब्रिटेन से करीबी रखने के पक्षधर थे, मगर जब 2012 में नशीद  को हटा कर अब्दुल्लाह यमीन ने सत्ता सम्भाली तो भारत और मालदीव के रिश्ते बिखरने लगे और यमीन ने मालदीव को चीन की गोद में डाल दिया। अब्दुल्लाह यमीन के चुनावों में हार जाने के बाद विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार इब्राहिम सोलिहा राष्ट्रपति बने। अब मालदीव भारत से संतुलन बनाकर चल रहा है। इस छोटे से देश को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की अध्यक्षता मिलना अपने आप में गौरव की बात है। मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह शाहिद को संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष चुन लिया गया है। उन्हें 143 मत मिले जबकि 191 सदस्यों ने मतदान में भाग लिया। शहीद तुर्की के राजनयिक वोल्कान बीजकिर की जगह लेंगे जो संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष थे। चुनाव में अफगानिस्तान के पूर्व विदेशी मंत्री डा. जालमेई रसूल भी उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें केवल 48 मत मिले।
मालदीव की इस जीत में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के विदेश सचिव ने 2020 में मालदीव की यात्रा की थी और तभी भारत ने मालदीव के समर्थन का ऐलान कर दिया था। महासभा के अध्यक्ष पद के लिए हर वर्ष गुप्त मतदान के जरिये चुनाव किया जाता है और जीत के ​लिए साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है। मालदीव ने 2018 में अब्दुल्ला शाहिद को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की थी। शाहिद को एतिहासिक जीत के पीछे दो अहम कारण भी हैं। पहला तो यह की ​शहीद एक सफल राजनयिक हैं और उन्हें बहुउद्देशीय मंचों पर काम करने का पुराना अनुभव है। दूसरा बड़ा कारण है कि अफगानिस्तान के जालमेई रसूल ने अपनी दावेदारी बहुत देर से जताई। भारत ने मालदीव की जीत पर उसे बधाई दी है। इसी वर्ष फरवरी में मालदीव की सुरक्षा के लिए भारत ने अपनी प्रतिबद्धता जताई थी और मालदीव की समुद्री सुरक्षा क्षमता के विस्तार के लिए पांच करोड़ डालर के रक्षा ऋण सुविधा भी देने का ऐलान किया था। इसके अलावा भारत ने उसके नौसैनिक अड्डे पर तटरक्षक बल, बंदरगाह और डाॅकयार्ड विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
कोरोना काल में भारत ने मालदीव  को वैक्सीन देकर ‘पड़ोसी पहले’ का उदाहरण स्थापित किया। पाकिस्तान नहीं चाहता था कि भारत अपने दोस्त को अध्यक्ष पद दिलाये। मालदीव पूरी तरह से अकेला था लेकिन भारत के समर्थन के बाद सारी दुनिया के देश मालदीव के समर्थन में उतर आए। भारत और मालदीव के बीच संबंध बहुत लम्बे अर्से से काफी घनिष्ठ रहे हैं और हिन्द महासागर में मालदीव भारत का रणनीतिक साझेदार भी है। मालदीव काे चीन की नीतियों का अहसास हो चुका है। चीन पहले पड़ोसियों की सहायता करता है, वहां निवेश करता है, परियोजनाएं शुरू करता है, ​फिर वहां की जमीन हथिया लेता है, जैसा कि उसने श्रीलंका को ऋण के जाल में फंसा कर किया है। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह के कार्यकाल में भारत-मालदीव संंबंध पटरी पर आ चुके हैं। मालदीव के साथ बेहतर संबंध बनाना ही भारत के पक्ष में है। भारत यही चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र आमसभा की कार्यवाही ​निष्पक्ष तरीके से चले।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × four =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।