भारत-नेपाल में फिर नजदीकियां - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

भारत-नेपाल में फिर नजदीकियां

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल दौरा महज सात घंटे का ही था लेकिन इसका संदर्भ बहुत व्यापक है। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 8 वर्ष के कार्यकाल में पांचवीं बार नेपाल गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेपाल दौरा महज सात घंटे का ही था लेकिन इसका संदर्भ बहुत व्यापक है। बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 8 वर्ष के कार्यकाल में पांचवीं बार नेपाल गए हैं। 2014 में भारत ने ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति अपनाई थी तब से लेकर आज तक प्रधानमंत्री इसी नीति पर अडिग हैं। प्रधानमंत्री मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के बीच विभिन्न परियोजनाओं और कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा हुई और 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसी वर्ष 2 अप्रैल को नेपाल के प्रधानमंत्री देउबा भारत दौरे पर आए थे, उस दौरान भी दोनों देशों के बीच कई आर्थिक परियोजनाओं पर बातचीत हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उसी कड़ी का विस्तार है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के इस दौरे का उद्देश्य पड़ोसी देश नेपाल में चीन के दखल करने का कूटनीति प्रयास है। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए इंडिया इंटरनेशनल  सैंटर का शिलान्यास किया।
भारत-नेपाल के बीच बुद्धिस्ट सर्किट के तहत रेल लाइन शुरू करने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई। भारत चाहता है कि इंडोनेशिया, थाइलैंड जैसे देशों से बुद्ध की जन्मस्थली देखने आने वाले पर्यटक भारत में कुशीनगर और कपिलवस्तु भी आएं। इससे धार्मिक पर्यटन काफी बढ़ सकता है। लुम्बिनी भारत सीमा से केवल 174 ​किलोमीटर की दूरी पर है। चीन वहां लगातार निवेश कर रहा है। चीन ने वहां बुद्धिस्ट सैंटर बना रखा है। चीन ने मेहरवा एयरपोर्ट भी बना रखा है। भारत भी लुम्बिनी में निवेश कर चीन को टक्कर देना चाहता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बुद्ध को मानवता के सामूहिक बोध का अवतार बताते हुए कहा कि वहां ‘बोध’ भी है और शोध भी है। आज जिस तरह की वैश्विक परिस्थितियां बन रही हैं उसमें भारत-नेपाल की निरंतर मजबूत होती मित्रता संपूर्ण मानवता के हित में काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संक्षिप्त यात्रा का महत्व इसलिए भी बढ़ा है कि चीन की मनमानियों से नेपाल परेशान हो चुका है। चीन की मित्रता उसके पड़ोसी देशों के साथ भारी पड़ रही है। श्रीलंका, पाकिस्तान, भूटान, बंगलादेश इसे अच्छी तरह समझते हैं, अब नेपाल भी इसे अच्छी तरह समझने लगा है। कहा जाता है कि चीनी उत्पाद और दोस्ती दोनों ही कुछ दिनों के मेहमान होते हैं, ये ज्यादा दिन नहीं टिकते। चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिक्रिएटिव लगभग ठप्प हो चुकी है। परियोजना के फायदे स्पष्ट न होने और धन की तंगी के चलते काम ठप्प हो चुका है। 
हाल ही में चीन के विदेश मंत्री वांग यी नेपाल दौरे पर आए थे तो दोनों देशों के बीच 9 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे लेकिन बीआरआई परियोजना पर चर्चा ही नहीं हुई। 2016 में बीआरआई समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे लेकिन अभी तक इस पर काम शुरू ही नहीं हुआ। अमेरिका के मिलेनियम चैलेंज कार्पोरेशन के तहत बुनियादी ढांचा निर्माण परियोजना ने इस प्रोजैक्ट को महत्वहीन बना दिया है। नेपाल के लोगों को लगता है कि चीन बुनियादी ढांचे के विकास का प्रलोभन देकर नेपाल पर अपना प्रभुत्व जमाना चाहता है। विभिन्न देशों के साथ चीन के समझौते रद्द होने के बाद नेपाल सतर्क हो गया है आैर वह अब चीन के कर्जजाल में नहीं फसंना चाहता। नेपाल अब कुछ मुद्दों पर गहराई से सोच रहा है कि चीनी परियोजना से नेपाल के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों की रक्षा कैसे होगी। बीआरआई परियोजना के तहत बूधि गंडकी जल विद्युत परियोजना से 40 हजार से अधिक लोग प्रभावित होंगे और केरूंग काठमांडाै रेल परियोजना का सामाजिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 2015 की आर्थिक नाकेबंदी के दौरान नेपाल चीन के करीब हो गया था। उसने चीन के साथ व्यापार समझौता भी किया था लेकिन चीन से मिले कड़े अनुभवों के चलते नेपाल के लिए भारत का महत्व फिर बढ़ गया। चीन नेपाल की भूमि को भी हड़पने का प्रयास कर रहा था। चीन की योजना माओवादियों की मदद से नेपाल में अपना दबदबा कायम करना था। भारत के नेपाल के साथ लंबे समय से ऐतिहासिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक संबंध हैं। इन रिश्तों को खत्म करना सहज नहीं है। दरअसल भारत और नेपाल के संबंध स्वाभाविक हैं। कोई भी दूसरी विचारधारा किसी देश की संस्कृति और जनमानस के विरुद्ध खड़ी नहीं हो सकती। श्रीलंका और पाकिस्तान का हश्र देखकर नेपाल की जनता सतर्क हो चुकी है। ऐसी ​स्थिति में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से दोनों देश करीब आए हैं। भारत- नेपाल मित्रता दोनों देशों के हित में है। 
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nine + 7 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।