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जय माता दी… मुबारक श्राइन बोर्ड

पिछले दिनों मुझे वैष्णो माता से बुलावा आया और मैं अपनी दो प्यारी सहेलियों के साथ और एक बेटी के साथ माता के दर्शन करने गई। मेरी यात्रा बिल्कुल ऐसी थी जैसे कहते हैं कि फूलों की तरह गई फूलों की तरह वापिस आ गई।

पिछले दिनों मुझे वैष्णो माता से  बुलावा आया और मैं अपनी दो प्यारी सहेलियों के साथ और एक बेटी के साथ माता के दर्शन करने गई। मेरी यात्रा बिल्कुल ऐसी थी जैसे कहते हैं कि फूलों की तरह गई फूलों की तरह वापिस आ गई।
मुझे अपने बचपन के कई साल याद आ रहे थे कि हर साल माता पर पूरा परिवार जाता, एक महीने के लगभग का ट्रिप होता था। उस समय होटल नहीं थे, धर्मशालाएं थीं। 20 ​दिन कटड़ा और 15 दिन श्रीनगर। यही हमारे परिवार की आउटिंग मनोरंजन  होता था। उस समय बड़ी कठिन यात्रा होती थी। रास्ता बड़ा उबड़-खाबड़, कठिन होता था। जगह-जगह पर मांगने वाले होते थे। रास्ते में कोई शौचालय और पानी पीने का प्रबंध नहीं था। हर जगह लालच नजर आता था। पुजारी भी मनमानी करते थे।
फिर शादी के बाद अश्विनी जी के साथ गई। अश्विनी जी पहली बार मेरे साथ गए थे। उनके साथ उनकी मौसी और मासड़ भी थे। तभी अश्विनी जी ने वहां कहा कि मुझे अवसर मिलेगा तो अवश्य यहां सुधार करूंगा। माता रानी सबकी सुनती है तो अश्विनी जी को अडवानी जी ने ट्रस्टी बनवाया तब गवर्नर जगमोहन जी के निर्देशन में श्राइन बोर्ड द्वारा माता वैष्णो देवी की यात्रा का विकास आरम्भ हुआ। माता वैष्णो देवी की इतनी आस्था है कि हमारे आफिस में एक कर्मचारी सिर्फ लोगों को दर्शन करवाने की ​चिट्ठियां टाइप करता था। अश्विनी जी किसी को इन्कार नहीं करते थे। उनका विश्वास था कि जितने भी लोग दर्शन करेंगे उन्हें तो आशीर्वाद देंगे ही साथ में आस्था बढ़ेगी और चढ़ावा ज्यादा से ज्यादा होगा तथा तीर्थ स्थान का विकास होगा। उसके बाद मैंने अपने ओल्ड गोल्ड ग्रुप यानी जब से दिल्ली आई 82 से बने ग्रुप के साथ जाना शुरू किया। कभी ट्रेन से, कभी जहाज से, घोड़ों से, कभी पैदल, फिर हैलीकाप्टर से, फिर अश्विनी जी का जाना, कोरोना आदि के बाद  काफी गैप पड़ गया।
परन्तु पिछले साल यानी 2022 और 2023 में मैं जब गई तो उस समय की यात्रा और अब की यात्रा में जमीन-आसमान का अंतर आ गया है। नया रास्ता भी बन गया। जहां सिर्फ पैदल यात्री सफर करते हैं या श्राइन बोर्ड की एम्बुलैंस या सामान ढोने वाली गाड़ियां चलती हैं। दूसरा रास्ता भी कायम है, जहां घोड़े, पिट्ठू, पालकी चलती हैं। अर्द्धकंवारी से बैटरी कार चलती है। हैलीकाप्टर सुविधाएं हैं परन्तु मौसम खराब हो जाए तो यह सुविधा रद्द हो जाती है, इसलिए उसके लिए श्राइन बोर्ड कटड़ा से माता तक ट्रॉली सेवा देने की सोच रहा है। प्रयास कर रहा है कि अगर वहां के लोकल दुकानदार स्पोर्ट करें क्योंकि उनकी सोच में बिजनेस नहीं मिलेगा अगर यात्री सीधे पहुंच गए परन्तु वह नहीं सोच रहे जिनकी पैदल चलने की आस्था है वो पैदल ही चलेंगे और जो लोग पैदल नहीं चल सकते वो ही या समय की कमी की के कारण लोग ट्रॉली पर जाएंगे उसका पुण्य उन्हीं को मिलेगा।
जैसे ​िक मैंने कभी भैरो बाबा के दर्शन नहीं किये परन्तु ट्रॉली की सुविधा होने के कारण इस बार भैरो बाबा के दर्शन किए, क्योंकि मुझे दिल्ली से सुबह जाकर रात को हर हालत में वापिस आना था। उसी तरह हमारे कई रिश्तेदार लंदन, अमेरिका से आते हैं, उन्हें भी दर्शन करते होते हैं तो उन्हें बड़ी सुविधा हो गई है।
इसका सारा श्रेय मैं श्राइन बोर्ड के चेयरमैन, जम्मू-कश्मीर के गवर्नर श्री मनोज सिन्हा, सदस्य के.के. शर्मा, महामंडलेश्वर स्वामी गिरी जी  महाराज, मुम्बई के रिटायर्ड आफिसर आईपीएस अशोक मान, रिटायर्ड आईएएस बलेश्वर राय, रिटयर्ड जज सुरेश कुमार शर्मा, कुलभूषण आहूजा और सी.ई.ओ. अंशुल गर्ग, डायरैक्टर टूरिज्म, सुप्रीटैंडेंट ऑफ पुलिस और सभी संस्थाएं जो व्यवस्था करने में जुटी हैं, उनको देती हूं क्योंकि जितनी व्यवस्था अच्छी होगी उतनी ही आस्था बढ़ेगी और अधिक से अधिक श्रद्धालु दर्शन करने आएंगे।
अभी हर साल लगभग 1 करोड़ से ज्यादा लोग दर्शन करने आते हैं। अगर व्यवस्था और अच्छी होगी तो 1 करोड़ 70-80 लाख लोग आ सकते हैं। अभी स्काई पास भी बन गया है। माता के दरबार जाने का और वापसी का आसान रास्ता होगा ​जिससे आमजन को बहुत सुविधा होगी। नए-नए भवनों का निर्माण हो रहा है। ट्रस्टी कुलभूषण आहूजा जी के अनुसार ऐसी व्यवस्था की कोशिश है कि एक आम व्यक्ति या गरीब व्यक्ति भी अच्छे से यात्रा कर सके।
आगे से सफाई, लाइन सिस्टम सब कुछ बढ़िया हो रहा है परन्तु कहीं-कहीं अभी भी शौचालय की व्यवस्था कमजोर नजर आती है और कहीं-कहीं बदबू भी आती है, तो मेरी इस कालम से गवर्नर साहिब और सभी ट्रस्टियों से अनुरोध है कि किसी कम्पनी को शौचालयों का सुधार करने की जिम्मेदारी दे दी जानी चाहिए ताकि चारों तरफ खुशबू का वातावरण हो।
इसी कालम के माध्यम से मोदी जी को भी प्रार्थना करना चाहूंगी कि जहां हमारे देश में मंदिरों का विकास हो रहा है हिन्दुओं की श्रद्धा और आस्था कायम हो रही है और उन्हें अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है। वैसे ही सारे देश के मंदिरों का एक कॉमन ट्रस्ट बन जाना चाहिए ताकि सभी मंदिर साफ-सुथरे हों और चढ़ावे से बहुत से लोगों का भला हो सकता है। अस्पताल, शिक्षा केन्द्र, गरीब कन्याओं काे फायदा हो सकता है। देश के विकास में बहुत योगदान हो सकता है। क्यों​िक ईश्वर देने वाला है, ​िकसी भी रूप में माता वैष्णो देवी, शिवजी का मंदिर, वृंदावन, सिद्धीविनायक, दिल्ली के सरो मंदिर सभी एक ट्रस्ट में आ जाएं तो ईश्वर के द्वारा करोड़ाें लोगों का फायदा होगा।

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