उत्तर कोरिया के सनकी तानाशाह किम जोंग उन ने रूस पहुंचकर राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से लम्बी मुलाकात की। पुतिन किम जोंग को लेकर अपने सबसे ज्यादा आधुनिक स्पेस रॉकेट साइट पर पहुंचे जहां पर रॉकेट्स के बारे में भी बातचीत हुई। किम जोंग उन ने यूक्रेन से युद्ध को लेकर रूस का बिना शर्त समर्थन किया और किम ने यह भी कहा कि उत्तर कोरिया हमेशा साम्राज्यवाद विरोधी मोर्चे पर मास्को के साथ खड़ा है। किम जोंग की रूस यात्रा ऐसे समय में हुई जब दोनों देश इस समय पश्चिम से अभूतपूर्व राजनयिक दबाव का सामना कर रहे हैं। मिल रही खबरों में यह भी कहा गया है कि किम जोंग उन ने पुतिन से देश के लिए खाद्यान्न की मदद मांगी है। क्योंकि इस समय उत्तर कोरिया में भुखमरी छाई हुई है। यद्यपि अधिकारिक रूप से यही कहा गया है कि पुतिन ने उत्तर कोरिया को सैटेलाइट बनाने में मदद देने की घोषणा की है। लेकिन इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों में सैन्य सहयोग की सम्भावनाओं पर विचार किया।
उत्तर कोरिया ने 1953 के बाद कोई युद्ध नहीं लड़ा है। इस कारण उसके पास हथियारों का बड़ा जखीरा है। अमेरिका पहले ही यह आरोप लगाता रहा है कि रूस-यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उत्तर कोरिया के हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है। दोनों देशों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। यही कारण है कि अब दोनों देश रणनीतिक गठबंधन बनाने लग गए हैं। रूस सैटेलाइट टैक्नोलॉजी के मामले में उत्तर कोरिया की मदद कर सकता है। बदले में उत्तर कोरिया गोला-बारूद और हथियार उत्पादन में मास्को की क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकता है। अमेरिका और पश्चिम देशों की धमकियों से दोनों ही देश डरने वाले नहीं हैं। रूस उत्तर कोरिया संबंधों से अमेरिका और दक्षिण कोरिया काफी घबरा गए हैं। अमेरिका बार-बार यह कह रहा है कि अगर उत्तर कोरिया रूस को हथियार देता है तो यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कई प्रस्तावों का उल्लंघन होगा। इसके बावजूद रूस और उत्तर कोरिया आगे बढ़ रहे हैं। रूस के पास इस समय हथियारों की कमी है। खासकर बम और तोपों में इस्तेमाल होने वाले गोला-बारूद की। उत्तर कोरिया के पास इन दोनों की कोई कमी नहीं। उत्तर कोरिया को इस समय पैसा भी चाहिए और अनाज भी और उसे अपना परमाणु कार्यक्रम आगे बढ़ाने के लिए रूस से तकनीक भी चाहिए। उत्तर कोरिया के रूस के नजदीक जाने का एक कारण यह भी है कि शीत युद्ध के शुरूआती दिनों में सोवियत संघ के समर्थन से ही कम्युनिस्ट उत्तर कोरिया का गठन हुआ था।
उत्तर कोरिया यूक्रेन युद्ध में रूस के साथ गठबंधन कर रहा है। प्योंगयांग इस बात पर भी जोर दे रहा है कि अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम की ‘वर्चस्ववादी नीति’ के कारण ही माॅस्को अपनेे सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई कर रहा है। मालूम हो कि अमेरिका ने इस युद्ध में उत्तर कोरिया पर रूस को बड़े पैमाने पर हथियार मुहैया करने के आरोप लगाए हैं। हालांकि, उत्तर कोरिया ने अपने ऊपर लगे इस दावे का खंडन करते हुए सिरे से नकार दिया है। उत्तर कोरिया दशकों से सोवियत संघ से मदद लेता रहा और उस पर निर्भर होता गया। वर्ष 1990 के दशक में सोवियत संघ का विघटन हुआ। तब उत्तर कोरिया की स्थिति खराब हो गई और उसे भयंकर अकाल का सामना करना पड़ा।
प्योंगयांग और मॉस्को के बीच रिश्तों में नया मोड़ उत्तर कोरिया के साल 2017 में आखिरी परमाणु परीक्षण के बाद आया, जब किम जोंग उन ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने के लिए कई कदम उठाए। वह साल 2019 में रूसी शहर व्लादिवोस्तोक में एक शिखर सम्मेलन में पहली बार रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले थे, जिसके बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अक्टूबर में उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं भेजी थी। इसके बाद जून में रूस के राष्ट्रीय दिवस के लिए एक संदेश में किम ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ हाथ मिलाने और रणनीतिक सहयोग को मजबूत करने की कसम खाई। यूक्रेन युद्ध में रूस को समय-समय पर उत्तर कोरिया का समर्थन मिलता रहा है। यूक्रेन से अलग हुए कई यूक्रेनी इलाकों को रूस द्वारा अपने में मिलाने के बाद उत्तर कोरिया ने इन क्षेत्रों को सबसे पहले स्वतंत्रता को मान्यता दे दिया। उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर रूस के घोषित कब्जे के लिए समर्थन भी व्यक्त किया था। दोनों देशों की दोस्ती से क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति संवेदनशील होती जा रही है। देखना होगा कि अमेरिका से टकराव किस हद तक पहुंचता है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com