कश्मीर में मोदी ‘विकास मन्त्र’ - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

कश्मीर में मोदी ‘विकास मन्त्र’

पंचायती राज दिवस पर प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर का दौरा करके जिस तरह इस राज्य के लोगों को आश्वस्त किया है कि उनके विकास में दृढ़ निश्चय के साथ प्रजातन्त्र अपनी प्रभावी भूमिका निभायेगा उससे यही स्वर निकलता है कि भारत के सर्वाधिक संवेदनशील समझे वाले राज्य का भाग्य अब उनके ही हाथों लिखा जायेगा।

पंचायती राज दिवस पर प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर का दौरा करके जिस तरह इस राज्य के लोगों को आश्वस्त किया है कि उनके विकास में दृढ़ निश्चय के साथ प्रजातन्त्र अपनी प्रभावी भूमिका निभायेगा उससे यही स्वर निकलता है कि भारत के सर्वाधिक संवेदनशील समझे वाले राज्य का भाग्य अब उनके ही हाथों लिखा जायेगा। शर्त केवल यही होगी कि वे अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करते हुए लोकतान्त्रिक तरीके से समग्र विकास में जुट जायें। श्री मोदी 5 अगस्त 2019 को इस राज्य से धारा 370 हटाये जाने के बाद पहली बार दौरे पर गये थे। इस बीच ‘झेलम’ से बहुत पानी गुजर चुका है और राज्य की स्थिति में गुणात्मक परिवर्तन भी आना शुरू हुआ है। राज्य में शान्ति स्थापना के लिए जो प्रयास केन्द्र सरकार ने पिछले अरसे में किये हैं उसका सबसे बड़ा उल्लेखनीय पहलू यह है कि यहां के लोगों ने पंचायती स्तर से जिला स्तर तक अपने प्रतिनिधि चुन कर उनके माध्यम से अपने विकास का मार्ग प्रशस्त किया है। जाहिर है कि राज्य से धारा 370 हटाना कोई आसान काम नहीं था क्योंकि पड़ोसी पाकिस्तान इसी ‘अस्थायी’ संवैधानिक प्रावधान का लाभ उठा कर राज्य में अलगाववाद पैदा कर रहा था और आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था।
दूसरी तरफ राज्य की क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियां भी इस प्रावधान का लाभ उठाकर केन्द्र से मिलने वाली वित्तीय मदद का लाभ निजी व पार्टीगत हितों में करने की माहिर हो चुकी थीं। इसकी वजह यह थी कि केन्द्र से हर साल जो भी वित्तीय मदद इस राज्य को दी जाती थी उसका ‘लेखा- जोखा’ नहीं किया जा सकता था। अतः धारा 370 समाप्त होने से पहले राज्य के क्षेत्रीय विकास के नाम पर शून्य प्रगति ही रही और राष्ट्र रक्षा में लगी भारतीय फौज के खिलाफ ‘पत्थरबाजों’ की सेना तैयार होती रही जिसे किसी न किसी क्षेत्रीय राजनीतिक दल की हिमायत भी हासिल होती रही। 370 के चलते जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा होने के बावजूद ‘अलगाव’ में ही जीता रहा जिसे 5 अगस्त 2019 को गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने संसद के माध्यम से सीधे भारत के संविधान की उन विभिन्न धाराओं और अनुच्छेदों से जोड़ा जो शेष राज्यों पर एकदर असल  समान रूप से लागू होती थीं।
दरअसल 370 के लागू रहते संविधान के भीतर ऐसा पृथक संविधान लागू हो रहा था जो केवल जम्मू-कश्मीर का ही विशेषाधिकार था। इस असंगति को तोड़ कर श्री अमित शाह ने एक झटके में ही स्वतन्त्र भारत का वह इतिहास लिख डाला जिसकी प्रतीक्षा प्रत्येक भारतवासी उसी दिन 26 अक्टूबर 1947 से कर रहा था जिस दिन इस रियासत के महाराजा हरिसिंह ने पूरे जम्मू-कश्मीर का भारतीय संघ में विलय किया था। अतः बहुत जरूरी है कि अब हम इस राज्य के विकास का आधारभूत ढांचा इसकी भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वैसा ही बनायें जैसा कि किसी अन्य राज्य का होता है। इस तरफ प्रधानमन्त्री ने इशारा भी कर दिया है और कहा है कि राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए 38 हजार करोड़ रुपए की निजी निवेश की परियोजनाएं चालू हैं और राज्य की मनोरम प्राकृतिक छटाओं व खूबसूरती का आनन्द लेने के लिए पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जाहिर है कि इन गतिविधियों का लाभ अन्ततः राज्य के लोगों को ही मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार भी होगा किन्तु यह एक शुरूआत है और आगे विपुल संभावनाएं छिपी हुई हैं। विशेष रूप से राज्य की युवा पीढ़ी को पुराने राजनैतिक दुराग्रहों को छोड़ कर अपने भविष्य निर्माण में जुटना होगा और दिखाना होगा कि वे भारत के संविधान द्वारा उन्हें दिये गये अधिकारों के तहत ही उन ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं जहां कोई तमिलनाडु, बिहार या उत्तर प्रदेश का युवक पहुंचने का ख्वाब पालता है।
इसके साथ ही उन्हें मजहबी कट्टरता में फंसाने वाले लोगों को भी मुंहतोड़ जवाब देना होगा जो घाटी में जेहादी मानसिकता फैला कर अपने स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं। प्रधानमन्त्री ने 370 के बाद की अपनी पहली कश्मीर यात्रा में ही जिस तरह 20 हजार करोड़ रु. मूल्य की सड़क व बिजली परियोजनाओं की आधारशिला रखी उससे स्पष्ट है कि केन्द्र की सरकार इस राज्य का विकास इस तरह करना चाहती है जिससे राज्य के हर इलाके का समुचित विकास हो सके क्योंकि अतीत में केवल लोगों को 370 का झुनझुना पकड़ा कर उन्हें समतामूलक समग्र विकास की धारा से काट कर रखा गया जिसका लाभ कहीं न कहीं पाकिस्तान ने भी जमकर उठाया और युवा पीढ़ी को बरगलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मगर हमेशा परिस्थितियां एक जैसी नहीं रहती और वे लोग अब खुद ही हाशिये पर खड़े नजर आ रहे हैं जो कहा करते थे कि 370 समाप्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला कन्धा तक नहीं मिलेगा। उसी कश्मीर में तिरंगा अब चारों तरफ बहुत ऊंचा होकर लहरा रहा है और नामुराद पाकिस्तान को सबक भी सिखा रहा है।

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