मोदी का मिशन कश्मीर - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

मोदी का मिशन कश्मीर

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 7 मार्च को कश्मीर के दौरे पर जाएंगे, जहां वह दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक रैली को सम्बोधित करेंगे, विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन करेंगे तथा कल्याणकारी कार्यक्रमों के लाभार्थियों से संवाद करेंगे। लोकसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री वैसे तो हर राज्य में जाकर चुनावों का शंखनाद कर रहे हैं लेकिन अनंतनाग की रैली कश्मीर घाटी में लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के चुनाव अभियान की शुरूआत का प्रतीक मानी जा रही है। इससे पहले 20 फरवरी को जम्मू दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने 32 हजार करोड़ रुपए से अधिक की विकास परियोजनाओं का अनावरण किया था।
लद्दाख के अलग होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पांच लोकसभा सीटें हैं। इनमें से दो सीटें जम्मू संभाग में और दो सीटें कश्मीर घाटी में पड़ती हैं। पांचवीं सीट जम्मू और कश्मीर के मध्य पड़ती हैं, जिसमें दोनों संभागों के क्षेत्र का हिस्सा शामिल है। इस सीट का नाम अनंतनाग-राजाैरी सीट है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जम्मू और उधमपुर सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही नेशनल कॉन्फ्रेंस ने श्रीनगर, बारामुला, अनंतनाग सीट पर अपना परचम लहराया था। ऐसे में इस बार अनंतनाग-राजाैरी सीट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी ताकत लगाने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने जम्मू में कहा था कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना जम्मू-कश्मीर के व्यापक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण रहा आैर उनकी सरकार कश्मीर घाटी को ऐसे पर्यटक स्थल में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है जो स्विट्जरलैंड को टक्कर दे सके। उनकी सरकार कश्मीर में ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार करेगी कि लोग स्विट्जरलैंड जाना भूल जाएंगे। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव आया है और अब राज्य आर्थिक रूप से गुलजार हो रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों की नजरें अब प्रधानमंत्री के दौरे पर लगी हुई हैं कि वह जम्मू-कश्मीर को नई दिशा देने के लिए क्या विजन प्रस्तुत करते हैं। एक वो दिन थे जब जम्मू-कश्मीर में बम धमाकों आैर बंदूकों से चल रही गोलियों की आवाजें गूंजती थीं। निर्दोष लोगों की हत्याएं की जा रही थीं। सुरक्षा बलों पर पथराव रोजमर्रा की बात बन गई थी। अलगाववाद का बोलबाला था लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने बड़े ही राजनीतिक कौशल से राज्य के विकास की राह में सबसे बड़ी दीवार अनुच्छेद 370 को एक ही झटके में गिरा दिया। जिसके बाद राज्य सभी क्षेत्रों में संतुलित विकास की ओर बढ़ा। पिछले वर्ष दिसम्बर में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक संसद में पारित कर दिए गए हैं। जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक तथा शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान करता है। जबकि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधन विधेयक के कश्मीरी प्रवासी समुदाय के दो सदस्यों और पाक अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों को प्रतिनिधित्व देने के लिए एक सदस्य को विधानसभा में नामित करने का प्रावधान है। जम्मू-कश्मीर में नए परिसीमन के बाद राज्य का राजनीतिक नक्शा बदल चुका है।
परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है। उसमें नए इलाकों को शामिल किया गया है। सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 कर दी गई है, जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की भी 24 सीटें शामिल हैं। यह जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केन्द्र सरकार को अधिकार और शक्ति है कि वो निर्वाचन आयोग की सहमति से परिसीमन आयोग यानी- डिलीमिटेशन कमीशन बना सकती है। इस बाबत केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का उचित प्रयोग ही किया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में माता वैष्णो देवी सहित 90 सीटें होंगी। परिसीमन आयोग ने दो बार कार्यकाल विस्तार की अपनी अवधि समाप्त होने से एक दिन पहले पिछले साल मई में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। परिसीमन की फाइनल रिपोर्ट के मुताबिक 114 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 90 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। बाकी सीटें पाक के अवैध कब्जे वाले इलाके में हैं। नवगठित सीटों में रियासी जिले में श्री माता वैष्णो देवी और कटरा विधानसभा क्षेत्र भी होंगे। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक नई विधानसभा के जम्मू क्षेत्र में 43 और कश्मीर घाटी संभाग में 47 सीटें होंगी।
अब जबकि राज्य में आतंकवादी घटनाएं कम हो गई हैं। हुर्रियत कांफ्रैंस के सांपों को पिटारे में बंद किया जा चुका है। युवाओं को रोजगार मिल रहा है। राज्य में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जी-20 कार्यक्रमों के आयोजन से पूरी दुनिया ने जम्मू-कश्मीर की सुन्दरता, परम्परा और संस्कृति देखी है और पूरी दुनिया की जम्मू-कश्मीर में रुचि बढ़ी है। हिंसा से प्रभावित राज्य का उथल-पुथल भरा अतीत अब पुराने दिनों की बात है गई। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कब कराए जाएंगे और केन्द्र शासित जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा। यद्यपि निर्वाचन आयोग का कहना है कि वह राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सम्भव है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से अपने कश्मीर दौरे से इस संबंध में कोई संकेत मिले। राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निर्वाचित सरकारों का होना बहुत जरूरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

fourteen − five =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।