कश्मीर घाटी में पिछले तीन दशकों से जो कुछ होता रहा, वह किसी से छुपा नहीं है। वही आतंकवादी, वही उनके घिनौने खूनी खेल और अगर हम यह कहें कि वही व्यवस्था तो सचमुच बहुत दु:ख होता है। हालांकि पिछले दो वर्षों से जब से जम्मू-कश्मीर में एक लोकप्रिय सरकार बनी है और महबूबा उसकी मुख्यमंत्री हैं तब से आतंकवादियों के हौंसले थोड़े ज्यादा ही बढ़ गए हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से घाटी में आतंकवादियों का खात्मा करने के सुरक्षाबलों को खुले निर्देश हैं। आतंकी काबू भी किए जा रहे हैं, लेकिन आम लोगों के बीच में एक धारणा यही बन रही है कि घाटी में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। राजनीतिक इच्छाशक्ति के बगैर कुछ भी संभव नहीं है। यद्यपि हमारे बॉर्डर, हमारी फौज के रहते महफूज हैं। हमारे सुरक्षाबलों की सतर्कता से हम चैन की नींद सोते हैं। सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों की मुस्तैदी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों में सुरक्षा की भावना पैदा कर दी है, परंतु उस समय बहुत दु:ख होता है जब आतंकवादी ड्यूटी पर तैनात हमारे इन जवानों के साथ खून की होली खेलते हैं। हमारे कितने ही जवान, हमारी सुरक्षा की खातिर अपने प्राण गंवा चुके हैं और जज्बा देखिए कि फिर भी आतंकवादियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर रहे हैं। कितने ही शहीद जवानों की नन्हीं बच्चियों की पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा क्रिकेटर गौतम गंभीर जैसे सच्चे देशभक्त ले रहे हैं। सरकार शहीद सैनिकों की शहादत को सलाम कह रही है, हमें इस पर नाज है लेकिन फिर भी हम यही कहेंगे कि इन आतंकवादियों के आकाओं का फन जब तक नहीं कुचला जाएगा, बात नहीं बनने वाली।
आपको याद होगा, दो साल पहले हमारे जवान बॉर्डर पार करके पीओके (पाकिस्तान आक्यूपाइड कश्मीर) तक पहुंच गए और वहां आतंकवादियों के कैम्प नेस्तनाबूद कर डाले, जिनमें चालीस आतंकवादियों को ढेर कर दिया गया, तो सचमुच इस प्रयास को सराहा गया था। हम समझते हैं कि पाकिस्तान को ऐसी डोज मिलती रहनी चाहिए तभी वह बाज आएगा, क्योंकि आए दिन बॉर्डर पार से पाकिस्तान रेंजर्स और जवान अक्सर बिना मतलब के सीज फायर का उल्लंघन करते रहते हैं। हमारे कितने ही गांवों पर फायरिंग में 15-20 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। पाकिस्तानी फौज के मोर्टारों के खाली खोखे भारतीय गांवों में तबाही की कहानी सुना रहे हैं। ऐसे में यद्यपि राजनीतिक स्तर पर, कूटनीतिक स्तर पर पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने कत्र्तव्यपरायण एनएसए अजीत डोभाल के दम पर करारा जवाब दिया है लेकिन हम समझते हैं कि यह सब इस ढीठ पाकिस्तान के लिए पर्याप्त नहीं है।
अगर राजनीतिक दृष्टिकोण की बात करें तो जम्मू-कश्मीर में भाजपा सरकार ने महबूबा को समर्थन देकर कमान सौंप रखी है। हम यह चाहते हैं कि बदले में जम्मू-कश्मीर राज्य की सुरक्षा और खुशहाली की जिम्मेदारी राज्य सरकार का काम होना चाहिए। इस काम के लिए कड़ी चेतावनी दी जानी चाहिए। नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी रिक्वेस्ट की जरूरत नहीं, किसी ट्यूशन की जरूरत नहीं, बल्कि लोग यह चाहते हैं कि महबूबा सरकार को भाजपा स्पष्ट कर दे कि अगर घाटी में पत्थरबाज सुरक्षाबलों के खिलाफ अपनी हरकतों से बाज नहीं आते तो समर्थन वापिस ले लिया जाएगा। इसे धमकी के तौर पर नहीं बल्कि हथियार के तौर पर लागू किया जाना चाहिए। लोकतंत्र में अगर राष्ट्रहित जैसी मर्यादाएं निभानी हैं तो फिर सख्ती भी जरूरी है। यह बात महबूबा को भी समझ लेनी चाहिए। अभी चार दिन पहले ही वह आसिया अंद्राबी जो कश्मीर घाटी में महिलाओं को पत्थरबाजी के लिए उकसाने का काम करती थी, का फोटो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत कोकेरनाग जिले में एक समारोह के दौरान लगा हुआ पाया तो विवाद खड़ा हो गया। महबूबा जी आप जिस समारोह में जाती हैं और बैकड्राप पर अगर ऐसे बैनर लगते हैं जिनमें आतंक प्रमोटरों की फोटो छपती हो तो आपकी किरकिरी होगी और लोगों का उस लोकतंत्र से विश्वास उठेगा, जिसमें आपके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद का योगदान रहा है। हालांकि इस मामले में एक अफसर को सस्पेंड भी कर दिया गया है। क्षमा करना यह सारा मामला सोशल साइट्स पर छाया हुआ है।
बात वहीं से उस अमन-चैन की तरफ ले जाना चाहते हैं, जिसकी जरूरत इस वक्त सबसे ज्यादा है। बॉर्डर पर आतंकी गोलियां और बॉर्डर के अंदर वाले इलाकों में पत्थरबाजों के पत्थर, सेना के जवान अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी जी से अपील है कि जब हमें पता है कि बॉर्डर पार आतंकियों के कैम्प चल रहे हैं और सेना दो मिनट में उन्हें तबाह करने में सक्षम है तो फिर समय-समय पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसी डोज जरूरी हो जाती है। वक्त आ गया है कि हम इस तरफ भी बढ़ें, क्योंकि देशवासी इस सरकार पर भरोसा करते हैं, मोदी सरकार भरोसे पर खरा भी उतर रही है, लोगों को लग रहा है कि कोई सरकार उनके लिए काम कर रही है और दुश्मन पाकिस्तान जैसा हो तो फिर उस पर वार करने के लिए हमें कोई समय नहीं देखना चाहिए। हमारे जवान सीने पर गोलियां खाना जानते हैं और हमारा सर्जिकल स्ट्राइक भी अब जवाब मांग रहा है, यही समय की मांग भी है। मोदी जी हमें ही नहीं पूरे देश को इसका इंतजार है।