देेश हित में ‘आपरेशन अमृतपाल’ - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

देेश हित में ‘आपरेशन अमृतपाल’

पंजाब की हवाओं में जहर घोलने की साजिशें रची जा रही थीं।

पंजाब की हवाओं में जहर घोलने की साजिशें रची जा रही थीं। खालिस्तान जिन्दाबाद के  नारे खुलेआम बुलंद किए जा रहे थे। दुबई से लौटा अमृतपाल सिंह ‘दूसरा भिंडरावाला’ बनने के संकेत दे रहा था। वह खुलेआम कह रहा था कि भिंडरावाला ही उसका आदर्श है। उसने खुद को स्वयंभू खालिस्तानी घोषित कर दिया था। वह बार-बार कह रहा था कि वह भारतीय नहीं है। जिस तरह से वारिस पंजाब दे संगठन का मुखिया बनकर अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान समर्थकों के साथ अपने साथी को जेल से रिहा ​कराया और पंजाब पुलिस के जवानों पर हमला किया, उसके बाद से ही पंजाब पुलिस बेबस, लाचार और असहाय दिख रही थी। ऐसी स्थिति में अमृतपाल सिंह की नकेल कसने के लिए सख्त एक्शन की जरूरत थी। यह आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि पंजाब के युवा और खालिस्तान के समर्थक आपस में एक बार फिर मिल गए तो वह राज्य के लिए  बेहद चुनौतीपूर्ण ताकत बन सकते हैं। खालिस्तान के नए स्वयंभू ने गृहमंत्री अमित शाह को स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसा अंजाम भुगतने तक की धमकी दी थी। अंततः पंजाब पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा एजैंसियों ने अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों पर सख्त कार्रवाई चलाकर देश विरोधी ताकतों को एक बार​ फिर कड़ी चेतावनी दे दी है कि वह देश की एकता और  अखंडता का खतरा बने लोगों को सहन नहीं करेंगे।
अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के लिए चलाए गए आपरेशन के दौरान अमृतपाल सिंह भागता नजर आया। यद्यपि अमृतपाल सिंह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है लेकिन उसके 78 साथी पुलिस ने रफ्तार कर​ लिए हैं। यह आपरेशन अचानक नहीं हुआ बल्कि इसकी तैयारियां 15 दिन पहले ही चल रही थीं और सरकार को अमृतसर में जी-20 बैठक खत्म होने का इंतजार था। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 2 मार्च काे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिले थे और पंजाब के हालात पर चर्चा की थी। इसके तुरन्त बाद केन्द्रीय सैन्य सुरक्षा बलों के 2430 जवान और आठ रैपिड एक्शन फोर्स पंजाब में भेज दी गई थी। अमृतपाल खुलेआम बयानबाजी कर रहा था कि उसे ​िगरफ्तारी का कोई डर नहीं लेकिन जब पुलिस की गाड़ियों ने उसके काफिले का पीछा किया तो वह हाफता नजर आया। उसके साथियों ने फेसबुक पर लाइव होकर समर्थकों को इकट्ठे होने की अपील भी की लेकिन कोई मदद को न आया। इससे साफ है कि भ्रमित युवाओं को छोड़कर उसे पंजाब के सिखों का कोई समर्थन नहीं है। जाे अमृतपाल खुद को पंजाब में कट्टर सिख नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहा था वह बहुत कमजोर साबित हुआ। गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर भारत तक आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरैंस की नीति अपना रहे हैं। वह पंजाब को लेकर भी काफी गम्भीर हैं। गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने देशहित को सर्वोपरि रखते हुए आपरेशन अमृतपाल किया है। लोकतंत्र में चुनौतियों से निपटने के लिए सत्ता के पास ​जिस इच्छा शक्ति का होना जरूरी होता है उसी प्रबल इच्छा शक्ति का परिचय अमित शाह ने दे दिया है। गृह मंत्रालय पंजाब को इस मामले में हरसंभव सहायता दी है।  
अमृतपाल की गतिविधियों से पंजाब का ​हिन्दू समुदाय भयभीत हो गया था। हिन्दुओं में एक बार फिर असुरक्षा का माहौल पैदा करने की कोशिश की जा रही थी। पंजाब पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा एजैंसियों ने पंजाब में कार्रवाई करके सत्ता की ताकत का अहसास करा दिया है। अजनाला कांड के बाद पंजाब पुलिस का मनोबल काफी गिर चुका था। इस कार्रवाई के बाद पंजाब पुलिस का मनोबल एक बार फिर कायम हो गया। अमृतपाल और उसके समर्थकों के खिलाफ चार आपराधिक मामले हैं, ​जिनमें लोगों के बीच वैमन्सय फैलाने, हत्या की कोशिश, पुलिसकर्मियों पर हमला और पुलिस की कार्रवाई में बाधा डालने का आरोप है।
अमृतपाल सिंह को कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। अगर वह वास्तव में पंजाब का वारिस था तो उसे खुद को कानून के हवाले कर देना चाहिए था। सुरक्षा और खुफिया एजैंसियों के पास ऐसे इनपुट हैं जिससे साफ है कि उसके आईएसवाईएफ के नेता लखवीर सिंह रोडे और उसके भाई जसवंत सिंह के साथ सम्पर्क हैं। जो पाकिस्तान में बैठकर पंजाब को एक बार फिर काले दौर में धकेलना चाहते हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजैंसी के अमृतपाल सिंह को फंडिंग करने की सूचनाएं भी मिल रही हैं। राष्ट्र इस बात को सहन नहीं कर सकता कि खालिस्तान समर्थकों की भीड़ सड़कों पर आकर हथियार लहराए। गृह मंत्रालय और पंजाब सरकार को मिलकर खालिस्तानी तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करनी ही होगी। ताकि पंजाब शांत और खुशहाली की राह पर चले।

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