हमारे तीर्थ-विकास परमो धर्मः - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

हमारे तीर्थ-विकास परमो धर्मः

सच बात तो यह है कि सनातन धर्म की मान्यताओं का हर हिंदू के लिए बहुत महत्व है। सनातन धर्म और व्यवस्थाओं के प्रति हर किसी में आध्यात्मिक आस्था है। इसी कड़ी में पिछले दिनों राम मंदिर की बात की गयी और उसके निर्माण के बारे में भारत समेत पूरी दुनिया में जश्न का माहौल है। देश में अयोध्या जहां श्रीराम का जन्म हुआ वहां 500 से भी अधिक वर्षों के बाद राम जन्मस्थली मंदिर का बनना हमारी आस्था को दर्शाता है लेकिन अभी हफ्ताभर पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने जो कामख्या दिव्य लोक कॉरिडोर की आधार शिला रखी वह धार्मिक तीर्थ स्थलों के प्रति हमारी आस्था को अर्थशास्त्र के एक ऐसे अध्याय से जोड़ने जा रही है जो देश में बेरोजगारी को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकती है। इससे पहले काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, फिर महाकालेश्वर, उज्जैन कॉरिडोर और अब कामख्या कॉरिडोर, सचमुच यह इन तीर्थों के विकास के साथ-साथ लाखों लोगों की आय का बड़ा साधन बन रहा है। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा जिससे धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों के आने से वहां की अर्थ व्यवस्था भी मजबूत होगी।
सभी कॉरिडोर का अगर हम उल्लेख करते हैं तो इसे विशुद्ध रूप से हमारी आस्था के साथ-साथ पर्यटन से जोड़कर अगर आगे बढ़ेंगे तो यह राष्ट्र हित में बहुत जरूरी है। राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में जितनी तेजी से विकास हो रहा है पूरे अयोध्या में पर्यटन एक उद्योग की तरह फलफूल रहा है। होटल इंडस्ट्री की बल्ले-बल्ले हो रही है। टैक्सी जगत की बल्ले-बल्ले हो रही है। खानपान से जुड़े रेस्टोरेंट और हलवाइयों की बल्ले-बल्ले हो रही है। टूरिस्ट गाइड हो या फिर कुली समाज हो, मंदिर प्रशासन हो, स्कूल-कॉलेज हो, बाजारों में चढ़ावे का सामान हो ये सब उस विकास की कहानी है जो हमारे आर्थिक तंत्र को मजबूत करती है।
हम तो यही कहेंगे कि विकास परमो धर्म:। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में जिसका पीएम मोदी ने 2001 में लोकार्पण किया था वहां आज की तारिख तक पंद्रह करोड़ से अधिक श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंच चुके हैं। दर्शनों के साथ-साथ आसपास के इलाकों में काशी की भव्यता को पर्यटन के तौर पर उभारा गया है तो यह हमारी तीर्थाटन इकोनॉमी को मजबूत कर रहा है। लोकल स्तर पर रोजगार बढ़ रहा है। इसके लिए मौजूदा मोदी सरकार को बधाई बनती है जिसने धार्मिक स्थलों में एक नई पर्यटन अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है।
इसी कड़ी में महाकालेश्वर, उज्जैन कॉरिडोर के परिणाम भी सबके सामने हैं। सच यह है कि पिछले दस साल में स्थितियां बदली हैं। आज की तारिख तक महाकालेश्वर मंदिर में छह करोड़ लोग दर्शन कर चुके हैं और केदारनाथ में भी 20 लाख लोग दर्शन की चुके हैं। क्योंकि धार्मिक तीर्थ स्थलों पर जब-जब आने वालों की संख्या बढ़ेगी तब-तब गरीब लोगों की आजीविका बढ़ेगी। अहम बात यह है कि अब जिस कामख्या दिव्य लोक कॉरिडोर का पीएम ने नींव पत्थर रखा है तो उस पर 498 करोड़ रुपये खर्च होंगे। देश में आजादी के बाद पूजा स्थलों के महत्व को मजबूत करना बहुत जरूरी है और उससे भी बड़ी बात यह है कि धार्मिक महत्व को समझना चाहिए। हालांकि दक्षिण में तिरूपति बालाजी, महाराष्ट्र में विनायक गणेश जी, शिरडी में भगवान साईं और वैष्णो देवी में श्रीवैष्णो देवी श्राइन बोर्ड या जम्मू-कश्मीर अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने धार्मिक महत्व को समझते हुए आस्था के दृष्टिकोण के साथ-साथ आने-जाने वाले करोड़ों यात्रियों को ढेरों सुविधाएं दी हैं। इससे हमारी इन धार्मिक इकोनॉमी से जुड़ी संभावनाओं को मजबूती मिली है। अगर धार्मिक स्थलों की अर्थव्यवस्था कॉरिडोर बनने से मजबूत होती है तो मोदी सरकार के ये प्रयास सचमुच दूरदर्शी हैं और इसीलिए लोगों का भरोसा सरकार के प्रति बढ़ रहा है। जब-जब देश में विकास का पहिया घूमेगा तो वह हर क्षेत्र से जुड़ा होना चाहिए। तीर्थस्थलों का अपना एक अर्थजगत है और सरकार अगर डबल इंजन विकास की बात करती है और इसे धार्मिक ढांचे से जोड़कर आगे बढ़ाया जाता है तो रोजगार के अवसर तेजी से उभरते हैं। क्या अयोध्या, क्या काशी, क्या कामख्या और क्या उज्जैन इसे लेकर पिछले दिनों एक आर्थिक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत ने धार्मिक तीर्थ स्थलों के आर्थिक सुदृढ़ीकरण को एक नयी दिशा देते हुए विकास के चौतरफा द्वार खोल दिये हैं। देश में दस से ज्यादा श्रमिक संगठनों ने धार्मिक तीर्थ स्थलों पर अर्थ व्यवस्था की मजबूती की जरूरत पर बल देते हुए सरकार को शत-प्रतिशत अंक दिये हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने सोमनाथ मंदिर, मथुरा-वृंदावन के साथ-साथ पच्चीस से अधिक मंदिरों पर कॉरिडोर का काम शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के ओमकारेश्वर में कॉरिडोर की योजना है। बाबा वैद्यनाथ कॉरिडोर पर काम शुरू हो रहा है। रेलवे, एयरपोर्ट,इन से सटे मार्ग हर तरफ तेजी से काम हो रहा है। यह तीर्थ स्थलों में विकास की संभावनाओं के नये द्वार खोल रहा है। इसका स्वागत तो बनता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one × 3 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।