माता-पिता को समय चाहिए... - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

माता-पिता को समय चाहिए…

पिछले बुधवार मुझे मेरे सदस्य मिलने आए, उन्होंने मुझे एक परफ्यूम भेंट किया तो मैंने उनसे कहा कि यह किसलिए लाये हो तो उन्होंने खुशी से कहा कि हमारे बेटे-बहू ने कनाडा से हमें बहुत गिफ्ट दिवाली के लिए भेजे और आपके लिए भी परफ्यूम भेजा है। धन्यवाद देने के लिए कि आपने हमें बहुत खुश रखा हुआ है। मैंने कहा कि मेरा धन्यवाद तो आपके चेहरे की मुस्कान है। खुशियां हैं सो भेंट की कोई जरूरत नहीं उन्हें मेरी तरफ से धन्यवाद कहना कि वो आपका इतना ध्यान रखते हैं। मेरा इतना कहना था कि वो मुस्कराने लगे और साथ ही उनकी आंखों में आंसू टपकने लगे।
मैं बहुत हैैरान हो गई यह क्या! आप अभी इतने खुश थे अभी यह क्या, तो कहने लगे कि सच में बताये तो हम लोगों को दिखाने के लिए तो खुश हैं कि उन्होंने हमें बहुत कुछ उपहार भेजे हैं परन्तु हमें इन उपहारों की खुशी नहीं है हमें तो खुशी तभी होती जब वो दोनों खुद हमारे पास आते, कुछ समय हमारे साथ बिताते। हमें चीजों से, उपहारों से खुशी नहीं मिलती। हमें तो अपने बच्चों से उनका प्यार पाकर जो वो हमारे साथ कुछ लम्हें बितायें उससे खुशी मिलती है। मैंने कहा, बात तो आप बिल्कुल ठीक कह रहे हो परन्तु फिर भी ईश्वर का धन्यवाद करो आपको बच्चे पूछ रहे हैं, आपको याद कर रहे हैं, आपके लिए भेंट भेज रहे हैं। मेरे पास बहुत से उदाहरण हैं जो बच्चे अपने मां-बाप को पूछते नहीं, याद भी नहीं करते आप इस हालत में तो प्रभु का शुक्रराना करो आपके बच्चे और बच्चों से फिर भी अच्छे हैं। आपको भुलाते भी नहीं हैं। आप कुछ दिन जाकर उनके पास रह आओ तो उन्होंने फिर से कहा कि इस उम्र में वहां रहना मुश्किल है। सारा दिन घर में अकेले रहना, किसी आवाज को भी तरस जाना क्योंकि बहू-बेटा दोनों काम पर चले जाते हैं तो मैंने उनको तसल्ली देने के लिए कहा कि फिर आप उनकी मजबूरी समझो ना दोनों काम करते हैं इसलिए आपको समय नहीं दे पाते।
फिर मैंने उनको बताया कि पिछले साल जब मैं जहां हमने अडोप्ट किए 30 बुजुर्गों को मिलने आश्रम में गई तो वहां हमने उनको बहुत सा सामान बांटा तो उनमें से एक वृद्धा ने बोली, बेटा हमें सामान नहीं सम्मान चाहिए। क्योंकि सामान तो जो आता है हमें बांट देता है। सामान की हमें कमी नहीं, कमी है तो सम्मान की या अपनों की जो हमारे साथ पल बिताये, हमारे साथ बातें करे, हमारी सुनें, हमें अपनापन चाहिए, हमें प्यार चाहिए, हमें समय चाहिए अपनों का, हमारे बच्चे भी साल में आकर हमें मिल जाते हैं, पर क्या साल में एक दिन काफी है। मैंने उनसे पूछा मां तुम्हारे बच्चे यहां क्यों छोड़ गए तो उन्होंने बताया मेरा बेटा मुझे बहुत प्यार करता था परन्तु बहू ने आते ही ऐसा धमाल मचाया कि बेटा-बहू दोनों मेरे साथ झगडऩे लगे तो बेटा मुझे यहां छोड़ गया। अब वो साल में एक बार आ जाता है परन्तु उसका आना न आना एक बराबर है। उनकी बात सुन कर मेरी आंखें नम हो गई यह कैसे बेटे, कैसी बहू क्या बहू के मां-बाप नहीं, क्या वो नहीं सोचती कि अगर उसके मां-बाप के साथ ऐसा हो तो। मेरी बातें सुनकर वो दम्पति खड़ा हो गया और हाथ जोड़कर कहने लगा वाकई आप ठीक कहते हो हमें तो शुक्रराना है प्रभु का करना चाहिए और हमें तो एक दूसरे का साथ चाहिए हम यही से बच्चों को आशीर्वाद दे देंगे। जब वो चले गए तो मैं यही सोचती रही कि आज बूढ़े मां-बाप बच्चों के समय के लिए तरसते हैं कैसा कलयुग है। हे! ईश्वर बच्चों को सद्बुद्धि दे और माता-पिता को सहन करने की शक्ति दे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

three × two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।