सड़कों के बिना जीवन की कल्पना करें तो आप को इनके महत्व का पता चल जाएगा। रोटी, कपड़ा, मकान लोगों की जरूरत है, लेकिन लोगों को सड़क, पानी और बिजली की भी जरूरत है। परिवहन की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी भी देश में उत्पादित होने वाली वस्तुओं और सेवाओं तथा उनके एक कोने से दूसरे कोने तक आवागमन पर उस देश की विकास दर निर्भर करती है। इसलिए कुशल परिवहन किसी भी देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। कुशल परिवहन के लिए बेेहतरीन सड़कों और सम्पर्क मार्गों का होना बहुत जरूरी है। सड़कें ही राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत में तेज गति से बेहतरीन सड़कें बनाने का रिकार्ड 2020-21 में कायम कर लिया था। इस अवधि में 13298 किलोमीटर लम्बी सड़कों का निर्माण हुआ। यानि हर रोज 36.4 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ। कोरोना महामारी के चलते भी सड़क निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। पिछले दो वर्षों में सड़कें बनाए जाने की गति कुछ कम हुई है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय एक बार फिर सड़क निर्माण की गति को तेज करने पर फोकस कर रहा है और उम्मीद है कि मंत्रालय अपने लक्ष्य को पार कर लेगा।
देश में बेहतरीन राजमार्ग बनाए गए हैं। जिससे शहरों की दूरियां कम हुई हैं और यात्रा का समय भी काफी कम हुआ है। इनसे व्यापार भी सुगम हुआ है और गतिवधियों में तेजी भी आई है। लेकिन कुछ सवाल उभर कर सामने आए हैं। देश में हर साल सड़कें बनाई जाती हैं, लेकिन जैसे ही बारिश आती है सड़कें बह जाती हैं या फिर उनमें बड़े-बड़े गड्ढे पड़ जाते हैं। ऐसी सड़कें दुर्घटनाओं को न्यौता देती हैं। ऐसा हाल राजमार्गों का ही नहीं बल्कि शहरों और गांवों के भीतर बनाई गई सड़कों का भी हो जाता है। इस वर्ष मानसून की वर्षा कहर ढा रही है। सड़कें धंस रही हैं या फिर पूरी तरह बह गई हैं। पता ही नहीं चलता कि सड़क बनी भी थी या नहीं। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर देश में सड़कों की गुणवत्ता में सुधार के बाद सड़क दुर्घटनाएं लगातार बढ़ने पर चिता व्यक्त करते हुए हर सड़क का ऑडिट करा कर उपाय निकालने की बात कही है। उन्होंने राजमार्गों पर जानवरों के आने की घटना को लेकर भी राज्य सरकारों को सलाह देने की बात कही है। नितिन गडकरी पहले भी देश में सीमेंट कंकरीट वाली सड़कें बनाने का सुझाव दे चुके हैं। हर साल वर्षा और बाढ़ के चलते तारकोल अैर डामर से बनने वाली सड़कों के बह जाने से अरबों रुपए का नुक्सान होता है। कंकरीट की सड़कें कई-कई साल खराब नहीं होतीं। इससे देश का काफी धन बच जाता है। कंकरीट की विशेषता यह है कि यह पानी मिलाकर छोड़ देने के बाद यह धीरे-धीरे कठोर बन जाता है। जबकि तारकोल और डामर से बनी सड़क इतनी मजबूत नहीं होती और वो जल्दी ही रखरखाव मांगने लगती है। लेकिन भारत में कंकरीट की सड़कों को ज्यादा सुरक्षित नहीं माना जाता। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि सड़कों की गुणवत्ता में सुधार कैसे हो। पिछले वर्ष देश में पहली स्टील की सड़क तैयार की गई थी और यह सड़क गुजरात में बनाई गई थी। इस सड़क के निर्माण में पत्थर और मिट्टी बालू का प्रयोग नहीं किया गया था, बल्कि इसको स्टील स्लैग से बनाया गया था और यह अन्य सड़कों के मुकाबले काफी मजबूत बनीं। इन सबके बावजूद भारत रफ्तार का शिकार हो रहा है। हर साल करीब 1.5 लाख से अधिक लोग दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। यानि देश में सड़क दुर्घटनाओं में रोज 415 लोग मारे जाते हैं।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में कुल 412,432 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिसमें से 1,53,972 लोगों की जान गई। इस दौरान 3,84,448 लोग घायल हुए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, इसी साल सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में नशीली दवाओं या फिर
शराब के नशे में ड्राइविंग से होने वाली मौतों का हिस्सा करीब दो प्रतिशत था। देश में हर साल जितनी मौतें होती हैं उसमें लोगों की जान सबसे अधिक वाहन को तेज गति से चलाने, ओवरटेकिंग और खतरनाक ड्राइविंग के कारण होती है। मंत्रालय के मुताबिक, देश में साल 2021 में जितनी मौतें हुई हैं उसमें से 90 प्रतिशत मौतें इसी वजह से हुई हैं। विश्व बैंक द्वारा जारी 2019 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत सड़क दुर्घटना के मामले में शीर्ष 20 देशों में शामिल था।
सड़क दुर्घटननों के लिए सड़कों की गुणवत्ता ही जिम्मेवार नहीं बल्कि ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन भी जिम्मेदार है। केन्द्र सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में मौतों को 50 प्रतिशत कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन यह लक्ष्य तभी हासिसल किया जा सकता है जब लोग संवेदनशीलता के साथ ट्रैफिक नियमों का पालन करें। सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ जिन्दगी को ही नहीं देश की जीडीपी को भी झटका देती है। बेहतर यही होगा कि देश में सड़कों की गुणवत्ता बेहतर बनाई जाए लेकिन लोगों का जागरूक होना भी बहुत जरूरी है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
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