‘‘चुग दाना मिट्टी से कुछ पंछी मुक्त हो गए,
फिर कुछ लाल भारती के अमर शहीद हो गए,
आंख में देकर आंसू नील अम्बर में खो गए,
आघात सहकर दुश्मन का नींद में फिर सो गए,
केसर घाटी में शत्रु ने कैसा खेल रचाया,
धरती के स्वर्ग को रंग लहू का पहनाया,
रो रही आज धरती अम्बर भी साथ रोया,
आंसूओं से वीरों की शहादत को धोया।’’
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकवादयों के सेना के वाहन पर किए गए हमले में पांच जवानों को अपनी शहादत देनी पड़ी। जबकि तीन जवान घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर की शाखा पीपल्स एंटीफासिस फ्रंट ने ली है। पिछले महीने भी आतंकी हमलों में दो कैप्टन समेत पांच जवान शहीद हो गए थे। मई में आतंकियों के खिलाफ अभियान के दौरान चमरेर जंगल में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे। राजौरी के ताजा हमले के बाद दो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत मिले हैं जिससे अनुमान लगाया जाता है कि जवानों और आतंकियों के बीच आमने-सामने लड़ाई हुई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मोदी सरकार के फैसले को सही करार देने के बाद आतंकी ताकतें और पाकिस्तान में बैठे उनके आका काफी हताश हो गए हैं।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में जो सकारात्मक बदलाव हुए हैं, आतंकवादी इस नेरेटिव को बदलना चाहते हैं और यह दिखाना चाहते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। सेना के दो वाहनों पर जिस ढंग से हमला किया गया वह पूरी तरह से योजनाबद्ध था और इस हमले के तार भी पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही सीमा सुरक्षा बल ने खुफिया सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी थी कि पाकिस्तान सीमा में लगभग 300 आतंकी लांच पैड पर हैं। जो जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की फिराक में हैं। पिछले कुछ समय से जिस तरह से सेना के जवानों को निशाना बनाया गया उससे आतंकी संगठनों की बौखलाहट ही माना गया। राज्य में जिस तरह से आतंक का तेजी से सफाया हो रहा है, घाटी की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल रही हैं। आंकड़े खुद इसकी गवाही दे रहे हैं। उससे डर का माहौल अब खत्म हो चुका है। अब रात के समय भी लोग वहां स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं। इस वर्ष जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोग शांति से अपना काम धंधा कर रहे हैं।
उत्तर कश्मीर आतंकवाद से लगभग मुक्त हो चुका है। वहां कोई सक्रिय आतंकवादी नहीं है लेकिन कुछ आतंकवादी हैं जो एक जगह से दूसरी जगह भाग रहे हैं। इस साल केवल 10 स्थानीय युवाओं ने आतंकवाद का रास्ता चुना जबकि पिछले साल 110 युवा आतंकवादी बनेे थे। इनमें से 6 को मारा जा चुका है। बाकी बचे आतंकवादियों को भी जल्द मार गिराया जाएगा। कितना अच्छा होता अगर यह युवा हिंसा का रास्ता नहीं अपनाते। इस वर्ष सुरक्षा बलों का हाथ काफी ऊपर रहा है। राज्य में अक्तूबर तक 47 आतंकवादी मारे गए हैं जिनमें से 38 विदेशी आतंकी थे। जबकि 204 आतंकियों को पकड़ लिया गया है। पिछले वर्ष की अपेक्षा घाटी में सक्रिय आतंकवादियों की संख्या घटकर लगभग 100 रह गई है। पाक अधिकृत कश्मीर से सटा राजौरी-पुंछ का इलाका सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बना हुआ है। आतंकवादियों ने शहरी इलाकों को छोड़कर पीर पंजाब की पहाड़ियों और घने जंगल को अपना ठिकाना बना लिया है। गृहमंत्री अमित शाह की जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर लगातार नजर बनी हुई है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने का संकल्प लिया हुआ है। अब तो सीआरपीएफ की कमांडो फोर्सेस की खास यूनिट आतंकियों के ऑपरेशन में लगी हुई है। अब जबकि जम्मू-कश्मीर में चुनावों की हलचल शुरू होने वाली है। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन का काम पूरा हो चुका है। आतंकवादी चुनावों से पहले बड़ी वारदातें कर सकते हैं। सुरक्षा बलों को अब अपनी रणनीति में परिवर्तन करना होगा ताकि जवानों की कीमती जान न जाए। आतंक को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षा बलों और राज्य पुलिस को एक बार फिर अपनी संयुक्त रणनीति पर विचार करना होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि आतंकवादी अगर एक को मारते हैं तो सुरक्षा बल उनके पांच मार देते हैं। आतंकवादी घटनाएं रोकने के लिए पाकिस्तान की घुसपैठ को भी पूरी तरह से रोकना होगा। पिछले 30 वर्षों में सुरक्षा बलों ने बहुत कुछ सीखा है। घाटी में घटी कोई भी घटना लोगों का मनोबल बदल सकती है। जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और एक दिन पूरा राज्य आतंकवाद से मुक्त होगा। पंजाब केसरी जवानों की शहादत को सलाम करता है।