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पाकिस्तान में उथल-पुथल

पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक तरफ राजनीतिक उथल-पुथल जारी है तो दूसरी तरफ उसका आर्थिक संकट गहराता जा रहा है।

पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक तरफ राजनीतिक उथल-पुथल जारी है तो दूसरी तरफ उसका आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ जगह-जगह भीख का कटोरा लेकर घूम रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष भी पाकिस्तान काे लेकर अभी तक ठेंगा ही दिखा रहा है। शहबाज शरीफ सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान की गिरफ्तारी लगभग तय कर ली है। इस्लामाबाद पुलिस की टीम इमरान खान को गिरफ्तार करने के लिए जब लाहौर स्थित उनके आवास पर पहुची तो वह घर से गायब हो गए। इस दौरान इमरान समर्थक भारी संख्या में उनके आवास पर इकट्ठे हो गए तो पुलिस पीछे हट गई। इमरान समर्थकों ने सीधे-सीधे सरकार को चुनौती दी कि अगर इमरान खान की गिरफ्तारी हुई तो देशभर में हालात बिगड़ सकते हैं।  इमरान खान पर तोशाखाना मामले समेत 74 मामले दर्ज हैं। इमरान खान को अब अदालत से ही उम्मीदें हैं। अगर अदालत ने उन्हें संरक्षण नहीं दिया तो उनका जेल जाना तय है।
इमरान पर अपनी संपत्ति की घोषणाओं में तोशाखाना में रखे गए उपहारों का विवरण छुपाने का आरोप है। तोशाखाना एक भंडार है जहां विदेशी सरकारों या अधिकारियों से पाकिस्तान के सरकारी अधिकारियों को दिए गए उपहार रखे जाते हैं। अधिकारियों को कानूनी रूप से उपहारों को रखने की अनुमति है, बशर्ते कि वह पूर्व निर्धारित रा​शि का भुगतान करे। आमतौर पर यह उपहार के मूल्य का एक हिस्सा होता है। इमरान खान पर आरोप है कि उसने सऊदी अरब के राजकुमार द्वारा दी गई महंगी घड़ियों समेत कई तोहफे बेच खाए। इमरान खान इसी केस में सुनवाई से बच रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि शहबाज शरीफ सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले इमरान खान के दामन पर भी कई आरोप हैं। मीडिया रिपोर्टें बताती हैं कि इमरान खान ने भी अपने कार्यकाल में खूब घपले किए हैं। इमरान खान के कार्यकाल में उनकी पत्नी की दोस्त फरहत शहजादी ने खूब तरक्की की। उनकी कमाई चार गुणा बढ़ी। उन्होंने ब्रिटेन में कंपनियां खोली। इसके अलावा भी इमरान खान पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं। यद्यपि इमरान खान इन आरोपों को सरकारी उत्पीड़न बता रहे हैं और उन्होंने सरकार से जान का खतरा भी बताया है लेकिन पाकिस्तान का आवाम जानता है कि उनके हुकुमरान कितने दूध के धुले हुए हैं।
सच तो यह है कि पाकिस्तान के हुकुमरानों ने अपने देश काे लूट-लूटकर विदेशों में अथाह संपत्तियां बनाई। जब भी वे राजनीतिक उथल-पुथल का शिकार हुए तो वह सउदी अरब जाकर बैठ गए या फिर ब्रिटेन या फिर किसी अन्य देश में। कौन नहीं जानता कि पाकिस्तानी सेना पाकिस्तान की आंतरिक राजनी​ित में प्रभुत्वशाली भूमिका निभाती है। 75 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के अलग देश बनने से लेकर 30 वर्षों से अधिक समय तक पाकिस्तान सीधे सैन्य शासन के तहत रहा है। सेना ने बार-बार लोकतंत्र को अपने बूटों के तले रौंदा है। देश की कोई भी सरकार सेना के समर्थन के बिना अस्तित्व में नहीं रह सकती। देश के किसी भी प्रधानमंत्री ने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया। अब तक 30 प्रधानमंत्री शासन कर चुके हैं। 2018 में नैशनल असैंबली के चुनावों में सेना ने क्रिकेटर से राजनितज्ञ बने इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का समर्थन किया था। तब इमरान खान सेना की भाषा बोल रहे थे। बाद में आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर इमरान और तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा में टकराव हो गया। फिर ऐसी दुश्मनी हुई कि सेना की शह पर विपक्षी दलों ने एकजुट होकर इमरान खान को सत्ता से बाहर कर दिया। पाकिस्तान में इस समय पूरी तरह से अराजकता का दौर है। महंगाई आसमान छू रही है। लोगों को खाने-पीने की वस्तुएं नहीं मिल रही।
पाकिस्तान का आवाम और मीडिया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ कर रहे हैं। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अशांति है। सिंध में ​आक्रोश है और खैबर पख्तूनख्वा और  बलूचिस्तान के लोगों में गुस्सा धीरे-धीरे लपटों में बदल रहा है। देश इस समय आर्थिक संकट, राजनीतिक अराजकता और  उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में आतंकी हमलों की बढ़ती संख्या का सामना कर रहा है। खराब हालत के कारण पाकिस्तान के संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। कौन नहीं जानता कि पाकिस्तान की यह हालत आतंकवाद की खेती करने के कारण हुई है। और  के मित्र देश भी इसकी मदद करने को तैयार नहीं हैं। पाकिस्तान  पर कर्जे की भरमार है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने को है। तहरीक-ए-तालिबान जिसे कभी पाकिस्तान ने पाला-पोसा था अब उसी को आंखें दिखा रहा है। चीन के कर्ज ने इसकी हालत खराब कर दी है। पाकिस्तान का आवाम अब खुलेआम भारत की नीतियों, उसकी अर्थव्यवस्था के विकास की सराहना कर रहा है और अपने हुकुमरानों को कोस रहा है। पाकिस्तान की राजनीतिक उथल-पुथल में सेना एक बार फिर बैरकों से बाहर निकल सकती है और सत्ता संभाल सकती है। अगर पाकिस्तान में सेना सत्ता संभालती है तो भारत भी इससे प्रभावित हो सकता है। पाकिस्तान का भविष्य क्या होगा यह समय ही बताएगा।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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