पश्चिम बंगाल के उत्तरी 23 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में राजनीति गरमायी हुई है। सड़कों पर महिलाओं का लाठी-डंडे लेकर उतरना और टीएमसी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के घरों में आग लगा देना वहीं स्थिति बिगड़ने पर पुलिस फोर्स तैनात करके धारा 144 लगा देना सभी अभी चर्चा में है। देखा जाए तो बंगाल की पूरी सियासत इस समय संदेशखाली के ईर्दगिर्द भटक रही है। सैकड़ों महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं। वहीं कुछ महिलाओं ने बेहद संगीन और शर्मनाक आरोप लगाए हैं, अलग-अलग जांच बिठाई जा चुकी है लेकिन आरोपियों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है।
संदेशखाली विवाद पर भाजपा और टीएमसी आमने-सामने हैं। टीएमसी के एक नेता ने कहा है कि आरएसएस और बीजेपी के लोग इन महिलाओं को बाहर से ला रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक ने कहा है कि इस प्रदर्शन का आरएसएस से संबंध है। पर अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। दरअसल वकील आलोक अलख श्रीवास्तव ने संदेशखाली के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल (जनहित याचिका) दायर की है और याचिका में मांग की है कि कोर्ट की देखरेख में सीबीआई या एसआईटी की टीम मामले की जांच करें।
दायर की गई याचिका में संदेशखाली के पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की गई है, साथ ही अपनी जिम्मेदारी ठीक तरह से न निभाने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की गई है। संदेशखाली मामले की जांच तीन जजों की कमेटी से कराने की मांग भी की गई है। याचिका में संदेशखाली मामले की जांच राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की भी मांग की है। आइए जानते हैं संदेशखाली कहां है, इसका विवाद क्या है और शाहजहां शेख कौन है?
कहां है संदेशखाली?
बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 80 किलोमीटर दूर स्थित संदेशखाली उत्तर 24 परगना जिले के बशीरहाट उपखंड में आता है। यह बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ इलाका है। यहां अल्पसंख्यक और आदिवासी समाज के लोग सबसे अधिक रहते हैं। पिछले महीने जब तृणमूल कांग्रेस के नेता टीएमसी नेता शाहजहां शेखे के घर पर ईडी की टीम ने रेड की थी तो उन्होंने ईडी की टीम पर ही हमला कर दिया जिसके बाद यह इलाका खूब सुर्खियों में रहा था।
#WATCH पश्चिम बंगाल: संदेशखाली घटना को लेकर सिलीगुड़ी में विरोध प्रदर्शन कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई। pic.twitter.com/MSfBnvXR5X
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 15, 2024
मालूम हो, 5 जनवरी को ईडी की एक टीम पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में करीब 10 हजार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में शाहजहां शेख के आवास पर पहुंची थी। शाहजहां के घर पर छापेमारी के समय उसके गुर्गों ने ईडी के अधिकारियों पर हमला कर दिया था। कहा गया कि ये लोग टीएमसी के कार्यकर्ता थे। ईडी की टीम पर हमले को लेकर भी बीजेपी और टीएमसी में जमकर आरोप प्रत्यारोप हुआ। इस घटना के बाद से शेख शाहजहां फरार हो गया और अभी तक उसका पता नहीं चला है।
क्या है संदेशखाली विवाद?
बता दें, संदेशखाली की सैकड़ों महिलाओं ने शेख शाहजहां और उसके समर्थकों के खिलाफ सड़क पर प्रदर्शन किया। इन महिलाओं का आरोप है कि टीएमसी के नेता और कार्यकर्ता गांव की महिलाओं और बेटियों पर नजर रखते हैं, घर-घर जाकर चेक करते हैं और जो पसंद आ जाए उसे उठा कर ले जाते हैं। फिर उसे पूरी रात अपने साथ पार्टी कार्यालय या अन्य जगह पर रखा जाता है, उन्हें पूरी रात खाना नहीं दिया जाता। यौन उत्पीड़न करने के बाद अगले दिन उसे उसके घर के सामने छोड़ जाते हैं। महिलाओं का आरोप है कि इसका विरोध करने पर सरकारी सुविधाएं बंद कर दी जाती थीं और पुलिस शिकायत भी नहीं ली जाती थी।
राज्य में गरमायी राजनीति
महिलाओं के खिलाफ हुए खौफनाक अत्याचार के मुद्दे को लेकर बीजेपी सड़क पर आ गई है। दो दिन पहले ही बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने संदेशखाली जाने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया गया। एक दिन पहले बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी संदेशखाली जाना चाहा, लेकिन पुलिस दीवार की तरह डट गई। शुभेंदु अधिकारी और उनके समर्थकों की पुलिस से झड़प हुई।
#WATCH पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद अधीर रंजन चौधरी रामपुर में धरने पर बैठे क्योंकि उन्हें संदेशखली जाने से रोका गया। pic.twitter.com/ydwkyH5nzN
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 16, 2024
वहीं, जब बीजेपी की फैक्ट फाइंडिंग टीम संदेशखाली जा रही थी तो उसे बंगाल पुलिस ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए रोक दिया। इसके बाद भाजपना नेताओं ने आरोप लगाए कि संदेशखाली में बड़े पैमाने पर अत्याचार हुआ है, पुलिस ने उन्हें रोककर ये साबित कर दिया है। मालूम हो,कांग्रेस सांसद और पश्चिम बंगाल में पार्टी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने संदेशखाली जाना चाहा लेकिन पुलिस ने उन्हें रास्ते में ही रोक दिया है। जिसके बाद वह वहीं धरने पर बैठ गए। खबर के मुताबिक पुलिस और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच भी झड़प हुई है।
कौन है शाहजहां शेख?
42 साल का शाहजहां शेख उत्तर 24 परगना में ‘भाई’ के नाम से मशहूर है। मछली कारोबारी रहे शाहजहां शेख ने 2004 में ईंट भट्ठा यूनियन से अपनी राजनीति में शुरू की। सीपीआई(एम) ने उसे यूनियन लीडर बना दिया। इसके बाद उसने कई धंधों में हाथ आजमाया। उसके कारोबार ने जमीन की खरीद फरोख्त और सूद पर पैसे देने से तरक्की की।
2011 में उसने सीपीएम छोड़कर टीएमसी का दामन थाम लिया। कुछ ही समय में वह टीएमसी के दिग्गज नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक का करीबी बन गया। इसके बाद सत्ता के गलियारे और प्रशासन में उसकी धमक बढ़ गई। आरोप है कि 2018 में ग्राम पंचायत के उप प्रमुख बनने के बाद उसने जमीन हड़पने का अभियान शुरू कर दिया। महिला आयोग के अनुसार, उसके इशारे पर महिलाओं का शारीरिक उत्पीड़न किया गया।