चंडीगढ़: दिवाली पर बढ़ते वायु और ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने जो संज्ञान लिया था अब हाल ही में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाये जाने से हुए प्रदूषण पर चिंता जताई है लिहाजा हाईकोर्ट ने इस मामले में लिए गए संज्ञान का दायरा बढ़ाते हुए इस मामले में केंद्रीय पर्यावरण, स्वास्थ्य और कृषि मंत्रालय सहित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस मामले में प्रतिवादी पक्ष बनाते हुए जवाब तलब कर लिया है और मामले की अगली सुनवाई पर प्रदूषण के मौजूदा हालातों और इससे निपटने के लिए उठाये जा रहे कदमों की भी जानकारी मांग ली है।
जस्टिस ए.के. मित्तल एवं जस्टिस अमित रावल की खंडपीठ ने यह आदेश इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा लिए गए संज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए हैं हाई कोर्ट ने संतुष्टि जताई कि, दिवाली और प्रकाशोत्सव पर तीन घंटे ही पटाखे जलाये जाने के जो आदेश दिए गए थे वह काफी प्रभावी रहे हैं, लेकिन अब यह मामला यही खत्म नहीं किया जा सकता है। इस मामले में हाई कोर्ट को सहयोग दे रहे सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि, पटाखों के बाद पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाये जाने के कारण जो प्रदूषण हुआ है उसका असर इन दोनों राज्यों के साथ दिल्ली पर भी पड़ा है ऐसा नहीं है कि, इन दोनों राज्यों के अलावा अन्य किसी राज्य में किसान पराली नहीं जला रहे हैं। यु.पी., मध्यप्रदेश और बिहार और पश्चिमी राज्यों में भी ऐसा ही किया जा रहा है। जिस कारण पिछले कुछ दिनों में प्रदूषण बेहद ही बढ़ गया है। यह एक गंभीर मामला है लिहाजा अब समय आ गया है कि, इस मामले में ठोस कदम उठाये जाएँ।
गुप्ता ने कहा कि, पिछले दो दशकों में देश ने बड़ी तेजी से विकास किया है लेकिन इस पुरे विकास में किसान शामिल नहीं हो पाए हैं उदारीकरण के से पहले सरकार आम लोगों से सम्बंधित थी लेकिन उदारीकरण के बाद के दौर में सरकारें चाहे फिर वो किसी भी पार्टी की हों बिल्डरों और वयवसायियों के साथ कड़ी नजर आई है। ऐसे में आम लोग जिसमे बड़ी संख्या में किसान शामिल हैं उनके लिए कुछ किया ही नहीं गया है। पराली जलाये जाने की बजाय इसका और क्या विकल्प हो सकता है सरकार किसानों को बता ही नहीं सकी है। पराली को जलने के सिवाय भी इसे कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। यह किसानों को समझाना होगा इस पर हाई कोर्ट ने सहमति जताते हुए कहा कि, यह एक बड़ी समस्या है सिर्फ इस पर पाबन्दी लगाने भर से कुछ नहीं होगा बल्कि इसका विकल्प भी किसानों को बताना चाहिए।
(आहूजा)